आज का इतिहास: 110 साल पहले दिल्ली बनी थी राजधानी, किंग जॉर्ज-V और क्वीन मैरी ने दिल्ली दरबार में की थी घोषणा
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एक दिन पहले
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‘हमें भारत की जनता को ये बताते हुए खुशी हो रही है कि सरकार और उसके मंत्रियों की सलाह पर देश को बेहतर ढंग से प्रशासित करने के लिए ब्रिटेन की सरकार भारत की राजधानी को कलकत्ता (अब कोलकाता) से दिल्ली स्थानांतरित करती है।’ ये शब्द थे ब्रिटेन के किंग जॉर्ज-V के, जो उन्होंने 12 दिसंबर 1911 की सुबह 80 हजार से ज्यादा की भीड़ के सामने कहे थे। किंग जॉर्ज-V ब्रिटेन के पहले राजा थे, जो भारत आए थे। उनके साथ क्वीन मैरी भी आई थीं।
किंग जॉर्ज-V और क्वीन मैरी के लिए दिल्ली में दरबार भी सजाया गया था। इस दरबार में देशभर के राजे-रजवाड़े और राजघराने शामिल हुए थे। दरबार लगने से एक दिन पहले पूरी दिल्ली जगमगा उठी थी। कोई विरोध न हो, इसके लिए गिरफ्तारियां भी हो रही थीं। उस दिन छुट्टी भी घोषित हो गई। हर तरफ पुलिस की नाकाबंदी लगा दी गई। दरबार में जब किंग जॉर्ज-V ने दिल्ली को राजधानी घोषित किया, तो उस दिन सभी घरों को ऐसे सजाया गया मानो दिवाली हो। इस दिन को खास बनाने के लिए बिजली का भी खास इंतजाम किया गया था।
किंग जॉर्ज-V और क्वीन मैरी के आगमन पर लाल किले पर दरबार सजाया गया था।
अंग्रेज दिल्ली पर अपनी छाप छोड़ना चाहते थे और ऐसा उन्होंने किया भी। अंग्रेजों ने यहां वायसराय हाउस और नेशनल वॉर मेमोरियल जैसी इमारतें बनाईं, जिन्हें आज हम राष्ट्रपति भवन और इंडिया गेट के नाम से जानते हैं। दिल्ली को डिजाइन करने का जिम्मा ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडवर्ड लुटियंस और सर हर्बट बेकर को मिला। इनको 4 साल में पूरी दिल्ली को डिजाइन करना था, लेकिन इसमें लग गए 20 साल। 13 फरवरी 1931 को दिल्ली का राजधानी के रूप में उद्घाटन किया गया।
दिल्ली को राजधानी बनाने की वजह भी खास थी। हुआ ये था कि 1905 में जब बंगाल का बंटवारा हुआ, तो इससे अंग्रेजों के खिलाफ देश में विद्रोह शुरू हो गया। उस समय कलकत्ता (अब कोलकाता) ही भारत की राजधानी हुआ करती थी, लेकिन बंटवारे की वजह से पैदा हुआ विद्रोह शांत ही नहीं हो रहा था। इसी वजह से अंग्रेजों ने राजधानी दिल्ली को बना दिया।
दिल्ली के बारे में उस समय कहा जाता था कि कोई भी इस पर ज्यादा समय तक राज नहीं कर सकता। ऐसा हुआ भी। दिल्ली को राजधानी घोषित करने के 36 साल के भीतर ही अंग्रेजों ने भारत छोड़ दिया और 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया। आजादी के बाद दिल्ली को राजधानी घोषित किया गया।
महाराष्ट्र के सबसे युवा CM का आज ही जन्म हुआ
12 दिसंबर 1940 को महाराष्ट्र के बारामती में शरद पवार का जन्म हुआ था। शरद पवार मात्र 27 साल की उम्र में विधायक बने थे। वो बारामती से चुने गए। शरद पवार महाराष्ट्र के अब तक के सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं। वो मात्र 38 साल की उम्र में CM बन गए थे। शरद पवार पहली बार 38 साल की उम्र में 18 जुलाई 1978 को CM बने। इस पद पर वो 17 फरवरी 1980 तक रहे। उसके बाद 1988 से 1991 और 1993 से 1995 तक CM रहे।
शरद पवार 2005 से 2008 तक BCCI और 2010 से 2012 तक ICC के अध्यक्ष भी रहे हैं।
1999 में सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने से नाराज शरद पवार ने पीए संगमा और तारिक अनवर के साथ मिलकर नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) बनाई। फिलहाल शरद पवार राज्यसभा के सदस्य हैं।
12 दिसंबर के दिन को इतिहास में और किन-किन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से याद किया जाता है…
2015: पेरिस में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान जलवायु परिवर्तन पर ऐतिहासिक समझौता, जिसमें 195 देश ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने पर राजी हुए। इस समझौते ने क्योटो करार का स्थान लिया।
2009: डेमोक्रेटिक नेता एनीस पार्कर की जीत के साथ ही ह्यूस्टन उस समय का अमेरिका का ऐसा सबसे बड़ा शहर बना, जिसने एक समलैंगिक को अपना मेयर चुना।
1988: दक्षिण लंदन में सुबह के व्यस्त समय में तीन रेलगाड़ियां आपस में टकरा गईं। इस हादसे में 35 लोगों की मौत हो गई। हादसे में 100 से ज्यादा लोग घायल हुए।
1964: ब्रिटेन से आजादी के एक साल बाद केन्या एक गणराज्य बना।
1958: विल्सन जोन्स अमेच्यर बिलियर्ड्स में विश्व चैंपियन बने।
1950: दक्षिण भारतीय सिनेमा के चर्चित सितारे और बेहद लोकप्रिय अभिनेता रजनीकांत का जन्म। रजनीकांत उनका फिल्मी नाम है जबकि उनका वास्तविक नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है।
1882: बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का बांग्ला उपन्यास ‘आनंद मठ’ प्रकाशित हुआ।
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