आज का इतिहास: 1.7 करोड़ मौतों के बाद थमा दुनिया का सबसे भीषण महायुद्ध, हथियारों के साथ-साथ बीमारी ने भी ली लाखों की जान

आज का इतिहास: 1.7 करोड़ मौतों के बाद थमा दुनिया का सबसे भीषण महायुद्ध, हथियारों के साथ-साथ बीमारी ने भी ली लाखों की जान

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2 मिनट पहले

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आज का इतिहास: 1.7 करोड़ मौतों के बाद थमा दुनिया का सबसे भीषण महायुद्ध, हथियारों के साथ-साथ बीमारी ने भी ली लाखों की जान

दुनिया का सबसे भीषण महायुद्ध यानी पहला विश्वयुद्ध 28 जून 1914 को ऑस्ट्रिया-हंगरी के युवराज की हत्या से शुरू हुआ और 11 नवंबर 1918 को खत्म हुआ। करीब चार साल तक चले इस महायुद्ध में 1.7 करोड़ लोगों की मौतें हुईं। इसे आधुनिक इतिहास का पहला ‘वैश्विक महाभारत’ भी कहा जा सकता है।

इस युद्ध के शुरू होने का तत्कालीन कारण ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य के युवराज फ्रांत्स फर्डिनांड की हत्या था। 28 जून 1914 को फर्डिनांड अपनी पत्नी सोफी के साथ बोस्निया के दौरे पर थे, जहां उनकी हत्या हुई थी। इस हत्या से ऑस्ट्रिया का राजघराना बौखला गया और उसे हत्या में सर्बिया की साजिश लग रही थी। ऑस्ट्रिया-हंगरी के सम्राट फ्रांत्स योजेफ ने 28 जुलाई 1914 को सर्बिया के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।

इस महायुद्ध में लाखों भारतीय सैनिक ब्रिटेन की ओर से लड़े। पहले विश्वयुद्ध वाले दिनों में मिडिल-ईस्ट भेजे गए भारतीय सैनिकों में से 60% मेसोपोटामिया (वर्तमान इराक) में और 10% मिस्र और फिलिस्तीन में लड़े। इन देशों में वे लड़ाई से ज्यादा बीमारियों से मारे गए।

युद्ध में शामिल ब्रिटिश इंडियन आर्मी के सैनिक।

युद्ध में शामिल ब्रिटिश इंडियन आर्मी के सैनिक।

यह पहला युद्ध था, जिसमें यूरोप के ज्यादातर देश शामिल थे। रूस, अमेरिका, मिडिल ईस्ट और अन्य इलाकों में भी यह युद्ध लड़ा गया। मुख्य रूप से यह युद्ध सेंट्रल पॉवर्स यानी जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और तुर्की के खिलाफ मित्र गुट यानी फ्रांस, ग्रेट ब्रिटेन, रूस, इटली, जापान और 1917 से अमेरिका ने लड़ा। यह युद्ध सेंट्रल पॉवर्स की हार के बाद ही खत्म हुआ। 11 नवंबर 1918 को युद्धविराम से पहले ही जर्मनी में जन-असंतोष इतना बढ़ गया था कि सम्राट विलहेल्म द्वितीय को सिंहासन छोड़ना पड़ा और नीदरलैंड में शरण लेनी पड़ी।

2006: विदेशी छात्र ने JNU में रचा इतिहास

अमेरिकी चुनावों में भारतीय मूल के लोगों की जीत समझ आती है, लेकिन अगर कोई अमेरिकी भारत में आकर चुनाव जीते तो? जी, हां। ऐसा हुआ था 2006 में, जब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्रसंघ चुनावों में अमेरिकी छात्र टायलर विलियम्स ने जीत हासिल की थी।

टायलर ने JNU में हिंदी की पढ़ाई की और अब वे अमेरिका में हिंदी पढ़ाते हैं।

टायलर ने JNU में हिंदी की पढ़ाई की और अब वे अमेरिका में हिंदी पढ़ाते हैं।

टायलर एक कम्युनिस्ट थे और 28 साल की उम्र में वे JNU छात्रसंघ में 300 से अधिक वोटों के अंतर से उपाध्यक्ष बने थे। टायलर जेएनयू में हिंदी के छात्र थे और फर्राटेदार हिंदी बोल लेते थे। नक्सलबाड़ी आंदोलन पर टायलर ने BBC से कहा था कि भारत के छोटे-छोटे गांवों में लोग अपने बुनियादी अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। अगर वे हथियार उठाते हैं तो हम इसका समर्थन करेंगे। वे अमेरिका बनाने के लिए हथियार नहीं उठा रहे हैं।

11 नवंबर के दिन को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किन महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए याद किया जाता है…

2004ः प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान के साथ शांति प्रक्रिया के तहत कश्मीर में सैनिकों की संख्या घटाने की घोषणा की।

2002ः माइक्रोसॉफ्ट के बिल गेट्स ने भारत में एड्स के खिलाफ लड़ाई में 100 मिलियन डॉलर देने की घोषणा की।

1975: शिलॉन्ग समझौता हुआ, जिसमें नागालैंड की अंडरग्राउंड सरकार ने बिना किसी शर्त के भारत का संविधान स्वीकार किया।

1982ः इजरायल के सैन्य मुख्यालय में गैस विस्फोट में 60 लाेगों की मौत।

1975ः अंगोला को पुर्तगाल से आजादी मिली।

1966ः अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अंतरिक्ष यान ‘जैमिनी-12’ लॉन्च किया।

1962ः कुवैत की नेशनल असेंबली ने संविधान को स्वीकार किया।

1918ः पोलैंड ने खुद को स्वतंत्र देश घोषित किया।

1888ः स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अबुल कलाम आजाद का सऊदी अरब में जन्म।

1836ः चिली ने बोलीविया और पेरु के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।

खबरें और भी हैं…

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