आज का इतिहास: भोपाल गैस कांड के 37 साल; जहरीली गैस की वजह से कोई नींद में ही चल बसा, तो कोई हांफते-हांफते मर गया

आज का इतिहास: भोपाल गैस कांड के 37 साल; जहरीली गैस की वजह से कोई नींद में ही चल बसा, तो कोई हांफते-हांफते मर गया

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  • 37 Years Of Bhopal Gas Tragedy; Some Died In Sleep Due To Poisonous Gas, While Some Died Gasping.

8 मिनट पहले

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2 दिसंबर 1984 की रात 8:30 बजे मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की हवा जहरीली हो रही थी। रात होते ही और 3 तारीख लगते ही ये हवा जहरीली तो रही, लेकिन साथ ही जानलेवा भी हो गई। कारण था यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का लीक होना।

गैस के लीक होने की वजह थी टैंक नंबर 610 में जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का पानी से मिल जाना। इससे टैंक में दबाव बन गया और वो खुल गया। फिर इससे निकली वो गैस, जिसने हजारों की जान ले ली। लाखों को विकलांग बना दिया, जिसका दंश आज भी दिखाई पड़ता है।

2-3 दिसंबर की रात भोपाल के लिए वो रात थी, जब हवा में मौत बह रही थी। फैक्ट्री के पास ही झुग्गी-बस्ती बनी थी, जहां काम की तलाश में दूर-दराज गांव से आकर लोग रह रहे थे। इन झुग्गी-बस्तियों में रह रहे कुछ लोगों को तो नींद में ही मौत आ गई। जब गैस धीरे-धीरे लोगों को घरों में घुसने लगी, तो लोग घबराकर बाहर आए, लेकिन यहां तो हालात और भी ज्यादा खराब थे। किसी ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया, तो कोई हांफते-हांफते ही मर गया।

इस तरह के हादसे के लिए कोई तैयार नहीं था। बताते हैं कि उस समय फैक्ट्री का अलार्म सिस्टम भी घंटों तक बंद रहा था, जबकि उसे बिना किसी देरी के ही बजना था। जैसे-जैसे रात बीत रही थी, अस्पतालों में भीड़ बढ़ती जा रही थी। लेकिन डॉक्टरों को ये मालूम नहीं था कि हुआ क्या है? और इसका इलाज कैसे करना है?

भोपाल गैस कांड में मारे गए लोगों की तस्वीरें।

भोपाल गैस कांड में मारे गए लोगों की तस्वीरें।

उस समय किसी की आंखों के सामने अंधेरा छा रहा था, तो किसी का सिर चकरा रहा था और सांस की तकलीफ तो सभी को थी। एक अनुमान के मुताबिक, सिर्फ दो दिन में ही 50 हजार से ज्यादा लोग इलाज के लिए पहुंचे थे। जबकि, कइयों की लाशें तो सड़कों पर ही पड़ी थी।

भोपाल गैस त्रासदी की गिनती सबसे खतरनाक औद्योगिक दुर्घटना में होती है। इसमें कितनों की जान गई? कितने अपंग हो गए? इस बात का कोई सटीक आंकड़ा नहीं है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस दुर्घटना में 3,787 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 5.74 लाख से ज्यादा लोग घायल या अपंग हुए थे। जबकि, सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए एक आंकड़े में बताया गया है कि दुर्घटना ने 15,724 लोगों की जान ले ली थी।

इस हादसे का मुख्य आरोपी था वॉरेन एंडरसन, जो इस कंपनी का CEO था। 6 दिसंबर 1984 को एंडरसन को गिरफ्तार भी किया गया, लेकिन अगले ही दिन 7 दिसंबर को उन्हें सरकारी विमान से दिल्ली भेजा गया और वहां से वो अमेरिका चले गए। इसके बाद एंडरसन कभी भारत लौटकर नहीं आए। कोर्ट ने उन्हें फरार घोषित कर दिया था। 29 सितंबर 2014 को फ्लोरिडा के वीरो बीच पर 93 साल की उम्र में एंडरसन का निधन हो गया।

गैस लीक होने के 8 घंटे बाद भोपाल को जहरीली गैस के असर से मुक्त मान लिया गया था। लेकिन 1984 में हुई इस दुर्घटना से मिले जख्म 36 साल बाद भी भरे नहीं हैं।

भारत-पाक के बीच जंग छिड़ी, इसी लड़ाई से बांग्लादेश बना

3 दिसंबर 1971 को तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कलकत्ता में एक जनसभा कर रही थीं। तभी ठीक 5 बजकर 40 मिनट पर पाकिस्तानी वायुसेना के सैबर जेट्स और लड़ाकू विमानों ने भारतीय वायु सीमा पार कर पठानकोट, श्रीनगर, अमृतसर, जोधपुर और आगरा के मिलिट्री बेस पर बम गिराने शुरू कर दिए। उसी समय भारतीय सेना ने भी जवाब में हमला किया।

14 दिसंबर को भारतीय सेना ने एक गुप्त संदेश को पकड़ा कि दोपहर 11 बजे ढाका के गवर्नमेंट हाउस में एक मीटिंग होने वाली है। भारतीय सेना ने तय किया कि मीटिंग के वक्त ही गवर्नमेंट हाउस पर बम बरसाए जाएंगे। भारतीय वायुसेना के मिग-21 विमानों ने बिल्डिंग की छत उड़ा दी। उस मीटिंग में तब के पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के सेना प्रमुख जनरल नियाजी भी मौजूद थे।

पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के सेना प्रमुख जनरल नियाजी सरेंडर के दस्तावेज पर साइन करते हुए। साथ में भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा।

पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के सेना प्रमुख जनरल नियाजी सरेंडर के दस्तावेज पर साइन करते हुए। साथ में भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा।

16 दिसंबर की शाम करीब 5 बजे जनरल नियाजी ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर कर दिया। उन्होंने अपने बिल्ले उतार दिए और रिवॉल्वर भी रख दी। उसी समय जनरल सैम मानिक्शॉ ने इंदिरा गांधी को फोन कर बांग्लादेश पर जीत की खबर बताई। इसके बाद इंदिरा गांधी ने ऐलान किया- “ढाका अब एक आजाद देश की आजाद राजधानी है।”

3 दिसंबर के दिन को इतिहास में और किन-किन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से याद किया जाता है…

2011 : बॉलीवुड अभिनेता देव आनंद का निधन हुआ था।

1982 : भारतीय महिला क्रिकेटर मिताली राज का जन्म हुआ।

1979 : ईरान ने इस्लामी संविधान को अपनाया।

1979 : हॉकी के जादूगर ध्यानचंद का निधन हुआ।

1971 : इस दिन भारत-पाकिस्तान में जंग छिड़ी और राष्ट्रपति ने देश में इमरजेंसी का ऐलान किया था। इस युद्ध से बांग्लादेश के उदय हुआ।

1959 : साइप्रस में इमरजेंसी खत्म की गई थी।

1937 : भारतीय भाषाविद् बिनोद बिहारी वर्मा का जन्म हुआ था।

1920 : तुर्की और आर्मेनिया शांति समझौते पर सहमत हुए थे।

1889 : स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस का जन्म हुआ।

1884 : भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म हुआ था।

1882 : नन्दलाल बोस का जन्म हुआ। वो आधुनिक भारतीय चित्रकला के प्रणेताओं में से एक थे।

1829 : वायसराय लॉर्ड विलियम बेंटिक ने भारत में सती प्रथा पर रोक लगाई थी।

1790 : लार्ड कार्नवालिस ने मुर्शीदाबाद के नवाब से फौजदारी न्याय प्रशासन का अधिकार छीना था। जिसके बाद सदर निजामत कोर्ट कलकत्ता (अब कोलकाता) ले गए।

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