आज का इतिहास: ऑस्ट्रिया के राजकुमार की हत्या के बाद शुरू हुआ पहला विश्वयुद्ध; जर्मनी के सरेंडर के बाद खत्म हुआ, लेकिन तब तक करोड़ों जानें जा चुकी थीं

आज का इतिहास: ऑस्ट्रिया के राजकुमार की हत्या के बाद शुरू हुआ पहला विश्वयुद्ध; जर्मनी के सरेंडर के बाद खत्म हुआ, लेकिन तब तक करोड़ों जानें जा चुकी थीं

[ad_1]

  • Hindi News
  • National
  • Today History (Aaj Ka Itihas) 28 July; The Beginning Of World War| World War 1 Started In Which Year

21 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
आज का इतिहास: ऑस्ट्रिया के राजकुमार की हत्या के बाद शुरू हुआ पहला विश्वयुद्ध; जर्मनी के सरेंडर के बाद खत्म हुआ, लेकिन तब तक करोड़ों जानें जा चुकी थीं

28 जुलाई 1914 के दिन ही पहले विश्वयुद्ध की शुरुआत हुई थी। सर्बिया में ऑस्ट्रिया के राजकुमार फ्रांसिस फर्डिनेंड की हत्या कर दी गई थी। इससे गुस्साए ऑस्ट्रिया ने हंगरी के साथ मिलकर सर्बिया पर हमला कर दिया था। यहीं से शुरू हुए युद्ध ने धीरे-धीरे करीब आधी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया था।

फ्रांसिस फर्डिनेंड।

फ्रांसिस फर्डिनेंड।

हालांकि विश्वयुद्ध की शुरुआत का ये केवल तात्कालिक कारण था। इसके अलावा भी कई कारण थे जो प्रथम विश्वयुद्ध की वजह बने थे। इसमें यूरोपीय देशों के बीच समझौते और संधियां भी एक वजह थीं। इन संधियों में शर्त थी कि अगर किसी एक देश पर हमला होता है तो सहयोगी देश उसे खुद पर हमले की तरह मानेगा। वो अपनी सेना को भी युद्ध मैदान में भेजेगा। इससे युद्ध में भाग ले रहे देशों की संख्या बढ़ती गई। इसके अलावा भी कई ऐसे कारण थे जिन्होंने पहले विश्वयुद्ध को भड़काया।

सर्बिया, ऑस्ट्रिया और हंगरी के मुकाबले काफी छोटा था। उसने युद्ध में रूस से मदद मांगी। रूस मदद देने को तैयार हुआ और इस तरह रूस भी युद्ध में शामिल हो गया। रूस के युद्ध में शामिल होते ही जर्मनी भी ऑस्ट्रिया और हंगरी के साथ हो गया।

इस तरह फ्रांस, बेल्जियम, ब्रिटेन, जापान, अमेरिका युद्ध में शामिल होते गए और पूरी दुनिया दो खेमों में बंट गई। एक खेमा मित्र देशों का था, जिसमें इंग्लैंड, जापान, अमेरिका, रूस और फ्रांस शामिल थे। दूसरा खेमा धुरी या केंद्रीय देशों का था। इसमें जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ऑटोमन साम्राज्य और इटली मुख्य देश थे।

भारत के सैनिक भी युद्ध में शामिल थे। भारत में उस समय ब्रिटिशर्स का शासन था इसलिए भारतीय सिपाहियों ने ब्रिटेन की ओर से दुनियाभर में अलग-अलग जगहों पर लड़ाइयां लड़ीं। 1914 से शुरू हुआ ये युद्ध कई मोर्चों पर लड़ा जा रहा था।

युद्ध के दौरान निर्माण कार्यों में लगे भारतीय सैनिक।

युद्ध के दौरान निर्माण कार्यों में लगे भारतीय सैनिक।

जर्मनी ने मित्र देशों की जलसेना से निपटने के लिए एक पनडुब्बी को तैयार किया था। ये पनडुब्बी मित्र देशों के सैनिक जहाजों पर हमले कर उन्हें डुबा देती थी। शुरुआत में इस पनडुब्बी ने सैनिक जहाजों को ही निशाना बनाया लेकिन बाद में नागरिक जहाजों पर भी हमला करना शुरू कर दिया।

1917 तक अमेरिका इस युद्ध में शामिल नहीं था, लेकिन जर्मनी की इस पनडुब्बी ने अमेरिका से यूरोप के बीच आम लोगों को ले जा रहे यात्री जहाज पर हमला कर दिया। इस हमले में जहाज में सवार करीब 1000 लोग मारे गए, इनमें कई अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे। इस घटना के बाद अमेरिका भी युद्ध में कूद पड़ा।

इधर अमेरिका युद्ध में शामिल हुआ, उधर रूस में क्रांति शुरू हो गई। इस वजह से रूस ने युद्ध से खुद को बाहर कर लिया। ये दो घटनाएं युद्ध में बड़ी निर्णायक साबित हुईं। 1918 के आखिरी कुछ महीनों में बर्लिन क्रांति की वजह से जर्मनी में राजा का शासन समाप्त हो गया और गणतंत्र की शुरुआत हुई।

11 नवंबर 1918 को आधिकारिक रूप से जर्मनी के सरेंडर करने के बाद युद्ध समाप्त हो गया। इसके बाद पेरिस शांति सम्मेलन की शुरुआत हुई। ये सम्मेलन करीब 5 साल तक चलता रहा जिसमें कई संधियां की गईं। इस युद्ध को मानव इतिहास की भीषण त्रासदियों में गिना जाता है। करोड़ों सैनिकों और आम लोगों की मौत हुई। इसके अलावा बीमारियों की वजह से लाखों लोग मारे गए। दुनिया इस त्रासदी से उभरने की कोशिश कर रही थी कि 20 साल बाद एक और विश्वयुद्ध की त्रासदी झेलनी पड़ी।

आज वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे

नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक डॉ. बरुच ब्लमबर्ग का जन्म आज ही के दिन हुआ था। उन्होंने ही हेपेटाइटिस-बी वायरस की खोज की थी और उसका टीका विकसित किया था। उन्हीं की याद में हर साल 28 जुलाई को वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे मनाया जाता है।

डॉ. बरुच सैमुएल ब्लमबर्ग ।

डॉ. बरुच सैमुएल ब्लमबर्ग ।

हेपेटाइटिस एक ऐसी खतरनाक बीमारी है, जो लिवर को प्रभावित करती है। इस बीमारी की वजह से लिवर में सूजन आ जाती है, जिस वजह से लिवर ठीक तरह से काम नहीं कर पाता है। लिवर भोजन पचाने के साथ-साथ खून में से टॉक्सिन्स को साफ करने का भी काम करता है। ये काम बखूबी नहीं होने पर लिवर कैंसर होने का भी खतरा होता है।

ये बीमारी पांच अलग-अलग वायरस की वजह से होती है। इसी आधार पर हेपेटाइटिस को भी ए, बी, सी, डी और ई कैटेगरी में बांटा गया है। WHO के मुताबिक दुनियाभर के करीब 35 करोड़ लोग इस बीमारी से संक्रमित हैं। भारत में भी करीब 4 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी वायरस का शिकार हैं।

इस बीमारी की गंभीरता को देखते हुए लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से 2010 से ही हर साल 28 जुलाई को वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे मनाया जाता है।

28 जुलाई के दिन को इतिहास में और किन-किन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से याद किया जाता है…

1979: चौधरी चरण सिंह भारत के 5वें प्रधानमंत्री बने।

1976: चीन के तांगशान इलाके में भीषण भूकंप आया। करीब ढाई लाख लोग मारे गए।

1858: भारतीय प्रशासनिक सेवा के सर विलियम जेम्स हर्शेल द्वारा पहचान के लिए पहली बार फिंगर प्रिंट का इस्तेमाल किया गया।

1851: पहली बार सूर्यग्रहण का फोटो क्लिक किया गया।

1586: माना जाता है कि इंग्लैंड से लौटने के बाद आज ही के दिन सर थॉमस हेरिओट ने यूरोप को आलू से परिचित करवाया था।

खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Source link

Published By:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *