आज का इतिहास: इंदिरा गांधी की हत्या, ऑपरेशन ब्लू स्टार से नाराज थे उनके 2 सिख बॉडीगार्ड, हत्या के बाद के 12 घंटे बेहद भयावह थे

आज का इतिहास: इंदिरा गांधी की हत्या, ऑपरेशन ब्लू स्टार से नाराज थे उनके 2 सिख बॉडीगार्ड, हत्या के बाद के 12 घंटे बेहद भयावह थे

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20 मिनट पहले

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आज का इतिहास: इंदिरा गांधी की हत्या, ऑपरेशन ब्लू स्टार से नाराज थे उनके 2 सिख बॉडीगार्ड, हत्या के बाद के 12 घंटे बेहद भयावह थे

तारीख- 31 अक्टूबर 1984। जगह – 1 सफदरजंग रोड दिल्ली। समय – सुबह के साढ़े सात बजे। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपने दिनभर के कार्यक्रम की पूरी तैयारी कर चुकी थी। आज का दिन उनके लिए बेहद व्यस्त रहने वाला था। उनके दिन का पहला अपॉइंटमेंट पीटर उस्तीनोव के साथ था, जो इंदिरा गांधी पर डॉक्युमेंट्री बना रहे थे। एक दिन पहले इंदिरा उड़ीसा में चुनाव प्रचार कर दिल्ली लौटी थी, तब भी पीटर उनके साथ ही थे। दोपहर में उन्हें ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री जेम्स कैलेघन से मिलना था। शाम में ब्रिटेन की राजकुमारी ऐन को इंदिरा गांधी ने डिनर पर आमंत्रित किया था।

महात्मा गांधी के साथ इंदिरा गांधी। इस वक्त इंदिरा गांधी की उम्र 7 साल थी।

महात्मा गांधी के साथ इंदिरा गांधी। इस वक्त इंदिरा गांधी की उम्र 7 साल थी।

सुबह 9 बजकर 10 मिनट पर इंदिरा गांधी पीटर को इंटरव्यू देने के लिए बाहर आई। सब-इंस्पेक्टर बेअंत सिंह और संतरी बूथ पर कॉन्स्टेबल सतवंत सिंह स्टेनगन लेकर खड़ा था।

इंदिरा ने आगे बढ़कर बेअंत और सतवंत को नमस्ते कहा। इतने में बेअंत ने .38 बोर की सरकारी रिवॉल्वर निकाली और इंदिरा गांधी पर तीन गोलियां दाग दीं। सतवंत ने भी स्टेनगन से गोलियां दागनी शुरू कर दीं। एक मिनट से कम वक्त में स्टेनगन की 25 गोलियों की मैगजीन खाली कर दी। साथ वाले लोग तो कुछ समझ नहीं सके। उस समय पीएम आवास पर खडे एंबुलेंस का ड्राइवर चाय पीने गया हुआ था। कार से इंदिरा गांधी को एम्स ले गए। शरीर से लगातार खून बह रहा था।

एम्स के डॉक्टर सक्रिय हुए। खून बहने से रोकने की कोशिश की। बाहर से सपोर्ट दिया गया। 80 बोतल ओ-निगेटिव खून चढ़ाया, लेकिन कुछ काम नहीं आया। राजीव गांधी भी तब तक दिल्ली पहुंच गए थे। दोपहर 2 बजकर 23 मिनट पर औपचारिक रूप से इंदिरा गांधी की मौत की घोषणा हुई। उनके शरीर पर गोलियों के 30 निशान थे और 31 गोलियां इंदिरा के शरीर से निकाली गईं।

एम्स में सैकड़ों लोग जुटे थे। धीरे-धीरे यह खबर भी फैल गई कि इंदिरा गांधी को दो सिखों ने गोली मारी है। इससे माहौल बदलने लगा। राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की कार पर पथराव हुआ। शाम को अस्पताल से लौटते लोगों ने कुछ इलाकों में तोड़फोड़ शुरू कर दी। धीरे-धीरे दिल्ली सिख दंगों की आग में झुलस गई थी। रात होते-होते तो देश के कई शहरों में सिख विरोधी दंगे भड़क गए।

हत्या के वक्त इंदिरा गांधी ने जिस साड़ी को पहना रखा था, उसे इंदिरा गांधी मेमोरियल म्यूजियम में रखा गया है।

हत्या के वक्त इंदिरा गांधी ने जिस साड़ी को पहना रखा था, उसे इंदिरा गांधी मेमोरियल म्यूजियम में रखा गया है।

पंजाब में सिख आतंकवाद को दबाने के लिए इंदिरा ने 5 जून 1984 को ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू किया। इसमें प्रमुख आतंकी भिंडरावाला सहित कई की मौत हो गई। ऑपरेशन में स्वर्ण मंदिर के कुछ हिस्सों को क्षति पहुंची। इससे सिख समुदाय में एक तबका इंदिरा से नाराज हो गया था। इंदिरा के दो हत्यारों को 6 जनवरी 1989 को फांसी पर चढ़ाया गया था।

1875: गुजरात में देश के सरदार का जन्म

वल्लभ भाई पटेल को भारत का लौह पुरुष भी कहते हैं और सरदार भी। 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के खेड़ा जिले में उनका जन्म हुआ था और उन्होंने अंतिम सांस 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में ली। सरदार पटेल का जन्म किसान परिवार में हुआ, लेकिन उन्हें कूटनीतिक क्षमताओं के लिए जाना जाता है। आजाद भारत को एकजुट करने का श्रेय पटेल की सियासी और कूटनीतिक क्षमता को ही दिया जाता है।

गुजरात के सरदार सरोवर डैम के पास दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति- स्टेच्यू ऑफ यूनिटी है, जो सरदार पटेल की याद में बनाई गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर 2018 को स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को उद्घाटन किया था।

गुजरात के सरदार सरोवर डैम के पास दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति- स्टेच्यू ऑफ यूनिटी है, जो सरदार पटेल की याद में बनाई गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर 2018 को स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को उद्घाटन किया था।

आज 10वीं की परीक्षा आम तौर पर 16 साल में पास हो जाती है, लेकिन सरदार पटेल ने 22 साल की उम्र में 10वीं की परीक्षा पास की। परिवार में आर्थिक तंगी थी और इस वजह से वो कॉलेज जाने के बजाय जिलाधिकारी की परीक्षा की तैयारी में जुट गए। सबसे ज्यादा अंक भी हासिल किए। 36 साल की उम्र में वल्लभ भाई वकालत पढ़ने इंग्लैंड गए। कॉलेज का अनुभव नहीं था, फिर 36 महीने का कोर्स सिर्फ 30 महीने में पूरा किया।

देश आजाद हुआ, तब पटेल प्रधानमंत्री पद के तगड़े दावेदार थे, लेकिन उन्होंने नेहरू के लिए यह पद छोड़ दिया। खुद उप-प्रधानमंत्री बने और ऐसा काम किया कि सदियों तक याद रखे जाएंगे। उन्होंने पाकिस्तान में जाने का मन बना रही जूनागढ़ और हैदराबाद रियासतों को कूटनीति से भारत में ही रोक लिया। जम्मू-कश्मीर आज भारत में है, तो उसका श्रेय भी कुछ हद तक पटेल को जाता है।

31 अक्टूबर के दिन को इतिहास में और किन-किन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से याद किया जाता है…

2015ः रूसी एयरलाइन कोगलीमाविया का विमान-9268 उत्तरी सिनाई में दुर्घटनाग्रस्त होने से विमान में सवार सभी 224 लोगों की मौत।

2011: दुनिया की आबादी औपचारिक रूप से 7 अरब हुई। यूएन पापुलेशन फंड ने इस दिन को डे ऑफ सेवन बिलियन कहा।

1999ः इजिप्ट एयर फ्लाइट 990 अमेरिका के पूर्वी तट पर क्रैश हुई और 217 की मौत हुई।

1978ः यमन ने अपना संविधान अपनाया।

1966ः भारत के मशहूर तैराक मिहिर सेन ने पनामा नहर को तैरकर पार किया।

1956ः स्वेज नहर को फिर से खोलने के लिए ब्रिटेन तथा फ्रांस ने मिस्र पर बमबारी शुरू की।

1953ः बेल्जियम में टेलीविजन का प्रसारण शुरू हुआ।

1920ः मध्य यूरोपीय देश रोमानिया ने पूर्वी यूरोप के बेसाराबिया पर कब्जा किया।

1914ः ब्रिटेन तथा फ्रांस ने तुर्की के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।

1905ः अमेरिका के सेंट पीटर्सबर्ग में क्रांतिकारी प्रदर्शन।

1864ः नेवादा अमेरिका का 36वां प्रांत बना।

1759ः फिलीस्तीन के साफेद में भूकंप से 100 लोग मारे गए।

खबरें और भी हैं…

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