आज का इतिहास: आजाद हिंद फौज ने सिंगापुर में भारत की सरकार बनाई; इसका अपना बैंक, करंसी और डाक टिकट भी था
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11 मिनट पहले
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आज का दिन हर भारतीय के लिए बेहद खास है। साल 1943 में आज ही के दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारत की अस्थायी सरकार की स्थापना की थी। इस सरकार को आजाद हिन्द सरकार कहा जाता था। इस सरकार के पास अपनी फौज से लेकर बैंक तक की व्यवस्था थी। बोस ही इस सरकार के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री थे।
आजाद हिंद फौज का विचार आने से लेकर इसके गठन तक कई स्तरों पर कई लोगों के बीच बातचीत हुई। जापान में रहने वाले रास बिहारी बोस ने इसकी अगुवाई की। जुलाई 1943 में सुभाष चंद्र बोस जर्मनी से जापान के नियंत्रण वाले सिंगापुर पहुंचे। वहीं से उन्होंने दिल्ली चलो का नारा दिया था।
भारत की आजाद हिन्द सरकार की स्थापना की घोषणा करते सुभाष चंद्र बोस।
इस सरकार को जर्मनी, जापान, फिलिपींस, कोरिया, चीन, इटली, आयरलैंड समेत 9 देशों ने मान्यता भी दी थी। फौज को आधुनिक युद्ध के लिए तैयार करने में जापान ने बड़ी मदद की। जापान ने ही अंडमान और निकोबार द्वीप आजाद हिंद सरकार को सौंपे। बोस ने अंडमान का नाम बदलकर शहीद द्वीप और निकोबार का स्वराज द्वीप रखा। इम्फाल और कोहिमा के मोर्चे पर कई बार भारतीय ब्रिटिश सेना को आजाद हिंद फौज ने युद्ध में हराया।
नेताजी ने इस सरकार की स्थापना के साथ ही ब्रिटिशर्स को ये बताया था कि भारतवासी अपनी सरकार खुद चलाने में पूरी तरह सक्षम हैं। सरकार का अपना बैंक, अपनी मुद्रा, डाक टिकट, गुप्तचर विभाग और दूसरे देशों में दूतावास भी थे।
हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमलों के बाद जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया और यहीं से आजाद हिंद फौज का पतन शुरू हुआ। सैनिकों पर लाल किले में मुकदमा चला, जिसने भारत में क्रांति का काम किया।
1951: जनसंघ की स्थापना हुई
21 अक्टूबर 1951 को जनसंघ की स्थापना हुई थी। इसी के साथ दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी होने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी के सफर की शुरुआत हुई। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1951 में पार्टी बनाई और 1952 के पहले आम चुनावों में तीन सीटें भी जीती थीं। चुनाव चिह्न था दीपक। 1957 के दूसरे लोकसभा चुनावों में जनसंघ को 4 सीटें मिली थीं। 1962 में 14, 1967 में 35 सांसद चुनकर संसद पहुंचे। 1977 में आपातकाल के बाद विपक्षी दलों ने जनता पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ा और 295 सीटें जीतकर मोरारजी देसाई के नेतृत्व में सरकार बनाई। अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री थे और लालकृष्ण आडवाणी सूचना एवं प्रसारण मंत्री। आंतरिक कलह की वजह से जनता पार्टी टूट गई।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के साथ श्यामा प्रसाद मुखर्जी।
1980 के आम चुनावों में जनता पार्टी की करारी हार हुई और तब भाजपा का जन्म हुआ। 6 अप्रैल 1980 को वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा बनी। उसके बाद के पहले लोकसभा चुनाव यानी 1984 में पार्टी को सिर्फ 2 सीटें मिलीं। यहीं से पार्टी की नई शुरुआत हुई थी।
राम मंदिर आंदोलन के सहारे पार्टी ने 1989 में 85 सीटें जीतकर किंग मेकर की भूमिका निभाई। 1996 में 161 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी और सरकार भी बनाई, लेकिन बहुमत नहीं था इसलिए चल नहीं पाई। 1998 में भी ऐसा ही हुआ। 1999 में जरूर वाजपेयी के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनी, जिसने 2004 तक सरकार चलाई और कार्यकाल पूरा करने वाली पहली गैर-कांग्रेसी पार्टी बनी। 2014 से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है, जो भारत में अपने दम पर बहुमत से चल रही पहली गैर-कांग्रेसी सरकार है।
21 अक्टूबर के दिन को इतिहास में और किन-किन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से याद किया जाता है…
2014: प्रसिद्ध पैरालिम्पिक रनर ऑस्कर पिस्टोरियोस को प्रेमिका रीवा स्टीनकेंप की हत्या के लिए पांच साल की सजा हुई।
2005: सामूहिक दुष्कर्म की शिकार पाकिस्तान की मुख्तारन माई को वूमेन ऑफ द ईयर चुना गया।
1954: भारत और फ्रांस के बीच पुडुचेरी, करैकल और माहे को भारतीय रिपब्लिक में शामिल करने के लिए समझौता हुआ था।
1934: जयप्रकाश नारायण ने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया था।
1805: स्पेन के तट पर ट्राफलगर की लड़ाई हुई थी।
1577: गुरू रामदास ने अमृतसर नगर की स्थापना की।
1555: इंग्लैंड के संसद ने फिलिप को स्पेन के राजा मानने से इनकार किया।
1296: अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली की गद्दी संभाली थी।
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