आंदोलनकारी किसानों ने नहीं दिया OP चौटाला को माइक: खटकड़ टोल प्लाजा पर चल रहे धरने को समर्थन देने पहुंचे थे पूर्व मुख्यमंत्री, नहीं बोलने देने पर गुस्से में निकले

आंदोलनकारी किसानों ने नहीं दिया OP चौटाला को माइक: खटकड़ टोल प्लाजा पर चल रहे धरने को समर्थन देने पहुंचे थे पूर्व मुख्यमंत्री, नहीं बोलने देने पर गुस्से में निकले

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जींद/हिसार5 मिनट पहले

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आंदोलनकारी किसानों ने नहीं दिया OP चौटाला को माइक: खटकड़ टोल प्लाजा पर चल रहे धरने को समर्थन देने पहुंचे थे पूर्व मुख्यमंत्री, नहीं बोलने देने पर गुस्से में निकले

जींद जिले के गांव खटकड़ में माइक पाने के इंतजार में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला।

जेबीटी टीचर भर्ती घोटाले में सजा पूरी करने के बाद राजनीति की दूसरी पारी खेलने निकले हरियाणा पूर्व मुख्यमंत्री OP चौटाला की जींद में खासी तौहीन हुई। रविवार को चौटाला किसान आंदोलन को समर्थन देने जींद के खटकड़ टोल प्लाजा पर जारी धरने में पहुंचे थे। वह यहां बार-बार माइक मांगते रहे और जब आंदोलनकारियों ने बोलने का मौका नहीं दिया तो फिर पूरे गुस्से में उस जगह को छोड़कर चल दिए। उधर, चौटाला के खिलाफ एक किसान नेता को डोगा (छड़ी) मारने का आरोप भी लगा है।

मिली जानकारी के अनुसार धरने में पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री OP चौटाला के दौरे के साथ ही नया विवाद हो गया है। OP चौटाला काफी देर तक स्टेज की साइड में कुर्सी पर बैठे रहे। इसके बाद उन्होंने किसानों को सम्बोधित करने के लिए अपने पोते कर्ण चौटाला की मदद से कुर्सी से उठकर माइक मांगा तो किसान नेताओं ने उन्हें माइक नहीं दिया। ओम प्रकाश चौटाला ने कई बार माइक मांगा, लेकिन किसानों ने माइक नहीं दिया। एक बार तो चौटाला ने यह तक भी कहा कि एक सेकंड के लिए माइक दे दो, लेकिन फिर भी किसानों ने माइक नहीं दिया। इसके बाद गुस्से से भरे ओम प्रकाश चौटाला किसानों के धरने से बैरंग लौटने पर मजबूर हो गए।

जब मीडिया ने इस मसले पर पक्ष जानने की कोशिश की तो वह मीडियाकर्मियों पर भी बरस पड़े और गुस्से में गाड़ी का शीशा चढ़ाकर वहां से निकल गए। इससे पहले टोल पर किसान धरने पर समर्थन देने पहुंचे राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा को भी माइक नहीं दिया गया था। दूसरी ओर आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान नेता एवं खेड़ा खाप के प्रधान सतबीर पहलवान का कहना जाते जाते चौटाला गुस्से में उसके पैर पर डोगा भी मार गए, जिससे उनका पैर चोटिल हो गया। चौटाला को माइक नहीं देने पर उन्होंने कहा कि आंदोलन के शुरू से ही यह फैसला लिया हुआ है कि कोई भी राजनेता यहां माईक से नहीं बोलेगा। अगर हम राजनैतिक आदमियों को माइक देने लेगे तो हजारों राजनीति मेंढ़क यहां कूद जाएंगे और उनका आंदोलन फेल हो जाएगा।

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