असम-मिजोरम विवाद: सैटेलाइट मैपिंग से तय होंगी पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाएं, केंद्र ने कहा- बॉर्डर पर हुई झड़प की CBI जांच नहीं

[ad_1]
- Hindi News
- National
- Centre Demarcate Northeastern States Boundaries Dispute Satellite Imaging No Plans For CBI Probe
नई दिल्लीएक घंटा पहले
केंद्र सरकार ने सैटेलाइट मैपिंग के जरिए पूर्वोत्तर राज्यों का सीमा विवाद सुलझाने का फैसला किया है। अधिकारियों ने बताया कि मैपिंग का काम नॉर्थ ईस्टर्न स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (NESAC), डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस (DoS) और नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल (NEC) को दिया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कुछ महीने पहले सैटेलाइट मैपिंग के जरिए राज्यों की सीमाओं के सीमांकन का सुझाव दिया था। शाह ने पूर्वोत्तर में सीमाओं और जंगलों की मैपिंग के लिए NESAC की मदद लेने की बात कही थी। शिलांग स्थित NESAC पहले से ही इस इलाके में फ्लड मैनेजमेंट के लिए स्पेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है।
वैज्ञानिक तरीके से बंटवारे में गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं
अधिकारी ने कहा कि सीमाओं का बंटवारा वैज्ञानिक तरीके से होगा तो गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं होगी। राज्य भी इसे मानने के लिए तैयार होंगे। एक बार सैटेलाइट मैपिंग हो जाने पर पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाएं तय हो जाएंगी और विवाद हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा।
असम-मिजोरम की विवादित सीमा पर हिंसा में असम पुलिस के 5 जवानों समेत 6 लोगों की मौत हो गई थी। 50 से अधिक घायल हुए। इस हिंसा ने पूरे देश का ध्यान पूर्वोत्तर के दो राज्यों के सीमा विवाद की ओर खींचा। असम का विवाद सिर्फ मिजोरम से नहीं है, बल्कि उन सभी 6 राज्यों से है, जिनके साथ वह सीमा साझा करता है। हिंसक संघर्ष के बाद दोनों ने एक-दूसरे पर अवैध अतिक्रमण के आरोप लगाए हैं।
बॉर्डर पर हुई झड़पों की CBI जांच कराने की योजना नहीं
वहीं, केंद्र ने साफ किया है कि असम-मिजोरम सीमा पर हुई झड़पों की CBI जांच कराने की कोई योजना नहीं है। विवाद को बातचीत से शांति भरे माहौल में निपटाया जाएगा। सरकार के दो सीनियर अधिकारियों ने कहा कि केंद्र सरकार ऐसा कोई फैसला नहीं लेना चाहती है जिससे जमीनी स्थिति और खराब हो।
उन्होंने बताया कि गृहमंत्री शाह असम और मिजोरम के मुख्यमंत्रियों (हिमंत बिस्वा सरमा, जोरमथांगा) से लगातार संपर्क में हैं। वहीं, जोरामथांगा ने कहा है कि पूर्वोत्तर भारत हमेशा एक रहेगा। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा उनके भाई की तरह हैं और वे इस विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझा लेंगे।
असम-मिजोरम के बीच जमीन को लेकर यह विवाद क्या है?
- मिजोरम के तीन जिले- आइजोल, कोलासिब और ममित- असम के कछार, करीमगंज और हैलाकांडी जिलों के साथ लगभग 164.6 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं। दोनों राज्यों में सीमा विवाद 100 साल पहले ब्रिटिश राज के समय से है। तब मिजोरम को असम के लुशाई हिल्स के रूप में जाना जाता था।
- 1950 में असम भारत का राज्य बन गया। उस समय असम में आज के नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मिजोरम आते थे। ये राज्य असम से अलग हो गए तो उनके असम से सीमा विवाद रहने लगे। नॉर्थईस्टर्न एरिया (रीऑर्गेनाइजेशन) एक्ट 1971 के तहत असम से तीन नए राज्य बनाए गए थे- मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा।
- 1987 में मिजो पीस एकॉर्ड के तहत मिजोरम को अलग राज्य बनाया गया। यह मिजो ट्राइब्स और केंद्र सरकार के बीच हुए करार के तहत था। इसका आधार 1933 का सीमा नियम था। पर मिजो ट्राइब्स का कहना है कि उन्होंने 1875 ILR बॉर्डर को स्वीकार किया, इसके बाद सीमा पर लगातार विवाद बढ़ता गया। यानी असम 1933 में बनी सीमा को मान्यता देता है और मिजोरम 1875 में बनी सीमा को। यह ही विवाद की असली जड़ है।
- असम सरकार ने विधानसभा में बताया कि मिजोरम के लोगों ने बराक घाटी क्षेत्र में असम के तीन जिलों में 1,777.58 हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है। इसमें सर्वाधिक 1000 हेक्टेयर जमीन पर हैलाकांदी जिले में अवैध कब्जा किया गया। मिजोरम ने 16 जुलाई को आरोप लगाया कि असम उसकी जमीन पर दावा कर रहा है। इन सीमावर्ती गांवों में 100 साल से ज्यादा समय से मिजो ट्राइब्स रह रहे हैं।
[ad_2]
Source link