अमेरिकी सेना की 20 साल बाद वापसी: अफगानिस्तान ने कहा- तालिबान विद्रोहियों से बातचीत फेल हुई तो ले सकते हैं भारतीय सेना की मदद
[ad_1]
- Hindi News
- International
- Afghanistan Said If Talks With Taliban Insurgents Fail, Then Indian Army’s Help Can Be Taken
दिल्ली3 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
- अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान छोड़ने की घोषणा के बाद तालिबान विद्रोहियों ने सरकारी सेना पर हमले तेज किए
अमेरिकी सेना की 20 साल बाद हो रही वापसी के बीच अफगानिस्तान में सबकुछ ठीक नहीं है। भारत में अफगानिस्तान के राजदूत ने कहा है कि अगर तालिबान से बातचीत विफल होती है तो भविष्य में भारतीय सेना की मदद ली जा सकती है।
हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि मांगी गई सहायता में सैनिकों को भेजना शामिल नहीं होगा। हम अफगानी सेना के लिए ट्रेनिंग और तकनीकी सहायता जैसे क्षेत्रों पर जोर देंगे।
भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुंडजे ने कहा कि शांति प्रक्रिया के लिए तालिबान के साथ हमें एक मंच पर आना चाहिए। एक समय ऐसा भी आएगा जहां हम भारतीय से सैन्य सहायता की मांग करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया, “हम अफगानिस्तान में सैनिक भेजने में भारत की सहायता नहीं मांग रहे हैं। फरीद ने इन मुद्दों का जिक्र किया…
- अफगानिस्तानी सेना को सैन्य मोर्चे पर भारत से प्रशिक्षण और तकनीकी मोर्चे पर सहयोग की जरूरत होगी।
- 20,000 अफगान छात्रों की सुविधा, नई अफगान संसद के निर्माण समेत अन्य बुनियादी परियोजनाओं में सहयोग जारी रहे।
376 जिलों में से 150 में तालिबान से लड़ाई जारी
राजदूत ने कहा कि अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति बहुत गंभीर है। सेना के जवान 376 जिलों में से 150 में तालिबान से लड़ रहे हैं। देश का एक-तिहाई हिस्सा सक्रिय लड़ाई में है। अकेले अप्रैल 2021 से देश में दो लाख से अधिक लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं, जिसमें करीब 4,000 लोग मारे गए हैं।
एएफपी ने बताया कि विद्रोहियों ने हाल के दिनों में उत्तरी अफगानिस्तान के अधिकांश हिस्सों में घुसपैठ कर ली है। हालांकि, तालिबान ने कहा है कि वे शहरों के अंदर सरकार से लड़ना नहीं चाहते हैं।
अफगानिस्तान और तालिबान के बीच बातचीत फेल
इस बीच तालिबान विद्राेहियों ने अफगानिस्तान पर फिर से कब्जा करने के लिए अपनी धमक बढ़ा दी है। हालांकि, अफगानिस्तान सरकार और तालिबानी विद्रोहियों के बीच बातचीत भी जारी है।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक तरफ विद्रोही गुट जहां टेबल पर बातचीत कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उनके लड़ाके अफगानिस्तान के सीमाई इलाकों को अपने कब्जे में लेना शुरू कर चुके हैं।
हालांकि, माना जाता है कि दोहा में हो रही शांति वार्ता काफी हद तक विफल हो गई है और तालिबान अब पूरी तरह से बंदूक की नोक पर अफगानिस्तान पर अपना शासन थोपने को तैयार है।
अगले महीने तक लौट जाएंगे अमेरिकी सैनिक
न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, करीब 2 दशक तक अफगानिस्तान में रह रहे अमेरिकी सैनिकों की वापसी शुरू हो गई है। ये इसी साल अगस्त तक यानी अगले महीने पूरी तरह से अमेरिका लौट जाएंगे। इस बीच खबर ये भी आई कि भारत ने कांधार कंसूलेट से अपने अधिकारियों और सुरक्षा बलों को वापस देश बुला लिया है। हालांकि, विदेश मंत्रालय ने इससे इनकार किया है।
[ad_2]
Source link