अमेरिकी रिपोर्ट में दावा: भारत ने रूस से हथियारों की खरीदी कम की, लेकिन रूसी उपकरणों के बिना नहीं चल सकती इंडियन आर्मी
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नई दिल्ली16 मिनट पहले
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CRS की रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले समय में भी भारत की रूसी हथियारों पर निर्भरता बनी रहेगी। (फाइल फोटो)
रूस से हथियारों और उपकरणों पर भारत की निर्भरता काफी कम हो गई है। अमेरिका की कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (CRS) ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारतीय सेना रूस से मिलने वाले उपकरणों के बिना प्रभावी ढंग से काम नहीं कर सकती है। साथ ही आने वाले समय में भी इस तरह की निर्भरता बनी रहेगी।
यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब बाइडेन प्रशासन भारत के रूस से सैन्य हथियार खरीदने को लेकर अहम फैसला लेने वाला है। अमेरिका CAATSA एक्ट के तहत भारत पर पाबंदियां लगाने का विचार कर रहा है। इस कानून के तहत अमेरिका अपने साझेदारों से रूस से किसी भी प्रकार के सैन्य लेन-देन को तत्काल रोकने की अपील करता है। ऐसा न होने पर इन देशों को अमेरिका कई तरह की पाबंदियां लगा देता है।
रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की खरीद 2016 से लटकी पड़ी
रूस में बने S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की खरीद की भारत की योजना 2016 से लटकी पड़ी है। यह डील होने पर अमेरिका CAATSA के सेक्शन 231 के तहत पाबंदियां लगा सकता है। मालूम हो कि CRS एक्सपर्ट्स के जरिए अलग-अलग मुद्दों पर समय-समय पर रिपोर्ट तैयार करता है। इसकी रिपोर्ट्स कांग्रेस की आधिकारिक रिपोर्ट नहीं हैं। ये सांसदों को फैसला लेने में मदद करने के लिए तैयार की जाती हैं।
मोदी सरकार के तहत रूस से हथियारों के आयात में लगातार गिरावट
CRS की रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 के बाद से मोदी सरकार के तहत रूस से हथियारों के आयात में लगातार गिरावट आई है। 2010 से भारत रूस से करीब दो-तिहाई (62%) हथियारों की खरीद कर रहा है। इस तरह भारत रूसी हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार है। वहीं, रूस अपने हथियारों का एक-तिहाई (32%) हिस्सा भारत को बेचता है।
भारत के सैन्य शस्त्रागार में रूस में बने हथियारों का भारी भंडार
रिपोर्ट में कहा गया है कि द मिलिट्री बैलेंस 2021 के अनुसार भारत के मौजूदा सैन्य शस्त्रागार में रूस में बने या डिजाइन किए गए हथियारों का भारी भंडार है। नौसेना के 10 गाइडेड-मिसाइल विध्वंसक में से चार रूसी काशीन वर्ग के हैं और इसके 17 युद्धपोतों में से छह रूसी तलवार वर्ग के हैं। नौसेना की एकमात्र परमाणु-संचालित पनडुब्बी रूस से पट्टे पर ली गई है और सेवा में मौजूद 14 दूसरी पनडुब्बियों में से आठ रूसी हैं।
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