अमृतसर के सिविल सर्जन ऑफिस पहुंची CBI: डेढ़ साल पहले पकड़ी 12 लाख ट्रामाडोल की गोलियों का रिकॉर्ड खंगाल रही टीम, हाईकोर्ट के आदेश पर हो रही जांच

अमृतसर के सिविल सर्जन ऑफिस पहुंची CBI: डेढ़ साल पहले पकड़ी 12 लाख ट्रामाडोल की गोलियों का रिकॉर्ड खंगाल रही टीम, हाईकोर्ट के आदेश पर हो रही जांच

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अमृतसर3 घंटे पहले

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अमृतसर के सिविल सर्जन ऑफिस पहुंची CBI: डेढ़ साल पहले पकड़ी 12 लाख ट्रामाडोल की गोलियों का रिकॉर्ड खंगाल रही टीम, हाईकोर्ट के आदेश पर हो रही जांच

सिविल सर्जन कार्यालय पहुंची टीम।

22 दिसंबर 2019 को सेहत विभाग की तरफ से बाबा बुढ़ा एवेन्यू स्थित रेवनबहल फार्मास्यूटिकल में रेड करते हुए जब्त की गई 12 लाख ट्रामाडोल की गोलियों के मामले में मंगलवार सीबीआई की टीम सिविल सर्जन कार्यालय पहुंची। गौरतलब है कि मामला कोर्ट में विचाराधीन था। लेकिन हाईकोर्ट ने इस मामले में कोताही देखते हुए यह केस 3 अगस्त 2021 को सीबीआई के सुपुर्द कर दिया था। जिसके बाद जांच शुरु हुई और जांच करने के लिए सीबीआई की टीम मंगलवार सिविल सर्जन कार्यालय ड्रग विभाग के रिकॉर्ड खंगालने पहुंच गई। खबर लिखे जाने तक 10 लोगों की टीम विभाग के अंदर बैठी हुई है और कंप्यूटर व कागजों की छानबीन कर रही है।

22 दिसंबर 2019 को सेहत विभाग की तरफ से बाबा बुढ़ा एवेन्यू में रेड कर 12 लाख ट्रामाडोल का रिकॉर्ड देखते हुए।

22 दिसंबर 2019 को सेहत विभाग की तरफ से बाबा बुढ़ा एवेन्यू में रेड कर 12 लाख ट्रामाडोल का रिकॉर्ड देखते हुए।

जानकारी के अनुसार पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीश अरविंदर सिंह सांगवान जालंधर जिले के भोगपुर थाने में दर्ज मादक पदार्थ मामले में सरबजीत सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। न्यायमूर्ति सांगवान का ध्यान सुनवाई के दौरान 22 दिसंबर 2019 को रेवनबेहल फार्मोस्यूटिकल कंपनी के गोदाम से पकड़ी गई 12 लाख ट्रामाडोल की छपी खबरों पर गया। रिकार्ड की जांच शुरू हुई तो कई गहरे राज सामने आए। डायरेक्टर की तरफ से जो हलफनामे दायर किए गए थे, उसमें स्पष्ट हुआ कि इतनी अधिक मात्रा में पकड़ी गई ट्रामाडोल मामले में पुलिस ने केस मात्र ड्रग एंड कास्मेटिक एक्ट 1940 के तहत ही दर्ज किया गया था। जिसके बाद कोर्ट ने उसी वक्त संज्ञान लिया और पुलिस व ड्रग विभाग से पूछा कि 12 लाख ट्रामाडोल पकड़े जाने के बाद भी मामला सिर्फ ड्रग एंड कास्मेटिक एक्ट के अंतर्गत ही क्यों दर्ज किया गया। जबकि इसे एनडीपीएस एक्ट के अंतर्गत भी मामला दर्ज करना चाहिए था।

कोर्ट को कहीं भी मात्रा और बैच के बारे में बताया ही नहीं गया
ब्यूरो आफ इन्वेस्टिगेशन और ज्वाइंट कमिश्नर (ड्रग्स) की ओर से दिए गए हलफनामों में यह बताया ही नहीं गया कि यह 12 लाख ट्रामाडोल टेबलेट इस समय कहां हैं और इनके बैच नंबर की जानकारी भी नहीं थी। जिसके बाद कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि अधिकारी इस पूरे घटनाक्रम के पीछे किसी को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। नशे से लोग मर रहे हैं और पंजाब पुलिस मामलों की जांच गंभीरता से नहीं कर रही। जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले को सीबीआई के हवाले कर दिया था।

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