अब पंजाब में किसान Vs कांग्रेस सरकार: 32 संगठनों के नेताओं की चंडीगढ़ में मीटिंग; कल CM चन्नी से मुलाकात, पूर्ण कर्ज माफी की होगी मांग
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चंडीगढ़4 मिनट पहले
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विवादित कृषि कानून पर केंद्र से जंग जीतकर दिल्ली से लौटे किसान अब पंजाब सरकार से लड़ाई के लिए तैयार हैं। पंजाब में कांग्रेस सरकार का पूर्ण कर्जमाफी का वादा अभी तक अधूरा है, जिसे देखते हुए बुधवार को पंजाब के 32 किसान संगठनों ने चंडीगढ़ में मीटिंग बुला ली है। इस मीटिंग में किसान नेता आगे की रणनीति तैयार करेंगे।
कल किसान संगठनों की पंजाब के CM चरणजीत चन्नी से भी मीटिंग होनी है। सरकार के किस रुख पर क्या रणनीति रहेगी, इसका फैसला आज हो जाएगा। पंजाब में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर किसी भी दिन आचार संहिता लग सकती है। ऐसे में किसान उससे पहले सरकार को वादा पूरा करने के लिए मजबूर करने की कोशिश में हैं।
CM चन्नी ने किसान नेताओं के साथ पहले मीटिंग की थी।
पिछली मीटिंग रही थी बेनतीजा
पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह CM बने चरणजीत चन्नी ने किसान नेताओं के साथ मीटिंग की थी। जिसमें सरकार और किसान नेताओं के बीच 18 मुद्दों पर सहमति बन गई थी। हालांकि कर्ज माफी के मुद्दे पर कोई फैसला नहीं हुआ। सीएम चन्नी ने इसके लिए समय मांगा था, लेकिन फिर मीटिंग नहीं हुई। जैसे ही किसान आंदोलन खत्म हुआ तो पंजाब सरकार हरकत में आई और किसानों को मीटिंग का न्योता भेज दिया।
कैप्टन अमरिंदर सिंह की किसान नेताओं से नजदीकी चन्नी सरकार को भारी पड़ेगी।
2017 में कैप्टन ने किया था वादा
पंजाब में किसानों की कर्जमाफी का वादा कांग्रेस पार्टी का था, जिसकी घोषणा कैप्टन अमरिंदर सिंह ने की थी। उन्होंने बैंकों और कोऑपरेटिव संस्थाओं के साथ आढ़तियों से लिया कर्जा भी माफ करने की घोषणा की थी। कैप्टन ने कहा था कि यह कर्जा पंजाब सरकार देगी।
कैप्टन का दावा है कि उन्होंने सरकार बनने के बाद साढ़े 4 साल में 5.64 लाख किसानों के 4 हजार 624 करोड़ रुपया कर्ज माफ किया। इसके अलावा 2.85 लाख भूमिहीन मजदूरों का 520 करोड़़ रुपए कर्ज माफ किया गया। इसी वजह से कांग्रेस की मुश्किल बढ़ी हुई है।
किसान नेता अब पूर्ण कर्ज माफी का संघर्ष छेड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
कांग्रेस की दोहरी मुसीबत: किसान मुद्दा छिना, अब मुसीबत भी बना
कांग्रेस अभी तक किसान आंदोलन के मुद्दे पर पंजाब में सियासत कर रही थी। इसमें वह भाजपा से ज्यादा पंजाब में अकाली सरकार को घेर रही थी। जिस वक्त विवादित कृषि सुधार कानून बने थे, अकाली दल भी केंद्र सरकार के साथ था। पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू इसमें दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार को भी घेर रहे थे कि उन्होंने एक कानून नोटिफाई किया।
हालांकि अचानक केंद्र ने कानून वापस ले लिए तो कांग्रेस के हाथ से मुद्दा छिन गया। वहीं, अब कांग्रेस की मुसीबत बढ़ गई है क्योंकि अब किसान संगठन कर्ज माफी को लेकर संघर्ष की तैयारी कर चुके हैं। खास बात यह है कि इस बार आंदोलन के चलते सभी संगठन एकजुट होकर चन्नी सरकार को घेरेंगे।
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