अब नदी को लेकर मचा बवाल, ईरान को तालिबान से किस बात का खतरा सता रहा
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अब ईरान ने भी तालिबान को लेकर खुलकर अपनी बात रखी है। ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अफगानिस्तान में हालिया राजनीतिक बदलाव ईरान के हितों के लिए रणनीतिक ख़तरा बन सकता है। ईरान विदेश मंत्रालय के पश्चिम एशिया डिपार्टमेंट के जनरल डायरेक्टर रसूल मौसवी ने कहा है कि अगर मौजूदा सोच और प्रारूप वाली तालिबान सरकार अफगानिस्तान में स्थापित हो जाती है, तो यह निश्चित रूप से हमारे देश के राष्ट्रीय हितों के लिए एक रणनीतिक खतरा होगा। इसमें कोई संदेह नहीं है।
हेलमंद नदी संधि को लेकर उन्होंने कहा है कि तालिबान ने ईरान के साथ हुए अनौपचारिक बैठकों में कहा है कि वह 1973 में हुए इस संधि को मान्यता दी है। इस संधि के मुताबिक अफगानिस्तान हेलमंद नदी के पानी को ईरान के साझा करने के लिए प्रतिबद्ध है। संधि के तहत अफगानिस्तान प्रति सेकेंड 26 क्यूबिक मीटर पानी या 850 मिलियन क्यूबिक मीटर सालाना पानी की आपूर्ति ईरान को करेगा।
टोलो न्यूज की एक रिपोर्ट बताती है कि अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ने बार-बार कहा था कि अफगानिस्तान किसी भी देश, खासकर ईरान को मुफ्त में पानी नहीं देगा। गनी ने कहा था कि वह तेल के बदले पड़ोसी देशों को पानी देने को तैयार हैं लेकिन मुफ्त में पानी नहीं देंगे।
बता दें कि हेलमंद नदी में पानी को लेकर अफगानिस्तान और ईरान में विवाद होता रहा है। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, हेलमंद प्रांतीय परिषद के पूर्व प्रमुख अताउल्लाह अफगान ने कहा कि हेलमंद नदी में पानी का स्तर कम हो गया है, और कहा कि ईरान में नदी के पानी के प्रवाह की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा है कि हम ईरान को पानी कैसे दे सकते हैं कि जब हम खुद ही पानी की कमी का सामना कर रहे हैं।
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