सरकारी टीचर के जज्बे को सलाम: पश्चिम बंगाल का एक स्कूल ऐसा भी जहां चबूतरे पर स्कूल; लैपटॉप और माइक्रोस्कोप से पढ़ाई
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7 मिनट पहले
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तस्वीर पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्धमान जिले की है।
आदिवासी गांव जोबा अट्टापाड़ा की गलियों और चबूतरों पर स्कूल लगता है। इसमें एक से आठवीं तक की कक्षाएं लगती हैं। खास बात यह है कि इन कक्षाओं में अ से अनार और एबीसीडी से लेकर कंप्यूटर और माइक्रोस्कोप तक से पढ़ाई कराई जाती है। यह मुमकिन हो पाया है 34 साल के स्कूल टीचर दीप नारायण नायक के जज्बे की बदौलत। नायक आदिवासी इलाके में सरकारी टीचर हैं।
वे बताते हैं कि लॉकडाउन के कारण जब स्कूल बंद हुए तो उन्हें अपने छात्रों के पीछे छूट जाने की चिंता हुई। उनके ज्यादातर छात्र आदिवासी इलाकों से हैं। इसलिए उनके पास मोबाइल और कंप्यूटर जैसी सुविधाएं नहीं हैं। स्कूल भी बंद थे। इसलिए उन्होंने गांव में गलियों की दीवारों को रंगकर बोर्ड बना दिया और वहीं कक्षाएं लगाने लगे।
इन कक्षाओं का सिलसिला 30 बच्चों से शुरू हुआ था, जो 200 के करीब पहुंच चुका है। अब नायक इन बच्चों को अकेले सभी विषय पढ़ाते हैं। नायक बताते हैं कि उनकी कक्षाओं में ज्यादातर बच्चे ऐसे हैं, जिनके परिवार से पहली बार कोई स्कूल आया। इसलिए अब वे चाहते हैं कि बच्चे हर हाल में आगे बढ़ें। इन कक्षाओं में लोकगीतों के जरिए भी पढ़ाई होती है।
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