लॉकडाउन का असर: बच्चों की मेमोरी कमजोर हो रही, भूख घटी, व्यवहार भी बदला
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श्रीनगर39 मिनट पहलेलेखक: मुदस्सिर कुल्लू
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दो साल पूर्व के कई सर्वे में पता चला था कि कश्मीर की करीब 45% आबादी चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक विकारों से पीड़ित है।
घाटी में दो साल से बच्चे स्कूल से दूर हैं। कोरोनाकाल में घर में कैद रहने, टीवी, स्मार्टफोन आदि से चिपके रहने की वजह से उनकी शारीरिक-मानसिक सेहत पर गहरा असर पड़ा है। श्रीनगर में बच्चों की मानसिक समस्याओं पर काम करने वाले सीजीडब्ल्यूसी सेंटर में हर रोज 15 बच्चे काउंसलिंग के लिए पहुंच रहे हैं। इस सेंटर में दो साल में 14 हजार बच्चे पहुंचे हैं। यहां पुलवामा से अपने बेटे को लेकर पहुंचे एक शख्स ने बताया कि उसका बेटा 8वीं में पढ़ता है।
अब तक 80% से अधिक अंक लेकर आता था। लेकिन सात महीने पहले उसके व्यवहार में बड़ा बदलाव दिखा। दिनभर टीवी से चिपका रहता है। उसकी भूख खत्म हो गई थी। वे बताते हैं कि डॉक्टरों की काउंसलिंग के बाद उसकी सेहत में काफी सुधार हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद से ही बच्चे स्कूल से दूर हो गए थे। अनिश्चितता, पत्थरबाजी, बंद और आतंकवाद के चलते यहां की आबादी पहले से ही अवसाद में थी।
कोरोना ने इस बीमारी को और तेजी से बढ़ा दिया है। दो साल पूर्व के कई सर्वे में पता चला था कि कश्मीर की करीब 45% आबादी चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक विकारों से पीड़ित है। इस वर्ष नेहरू मेमोरियल अस्पताल के डॉक्टर द्वारा किए गए सर्वे में गंभीर चिंता वाले 94.2% मरीज मिले। लॉकडाउन से बच्चों की याददाश्त पर असर पड़ा है। अस्पताल में 13 साल के इमरान बट का याददाश्त घटने का इलाज चल रहा है। उसे दिन का ही पता नहीं रहता था। रात भर जागता और रोता रहता।
सीजीडब्ल्यूसी के मनोचिकित्सक डॉ. जैद वानी बताते हैं कि लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद रहने से बच्चों की शारीरिक गतिविधियां बहुत कम हो गई। वे स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के आदी हो गए हैं। सीजीडब्ल्यूसी के पीडियाट्रिक ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट मोहम्मद शाहीन बताते हैं कि मल्टीडिसीप्लिनरी टीम लर्निंग डिसऑर्डर, एकेडमिक डिसऑर्डर, बिहेवियरल डिस्टर्बेंस और अन्य का सामना कर रहे बच्चों का इलाज कराती है। वे बताते हैं कि ऐसे बच्चों का इलाज करने के लिए मनोचिकित्सा और फिजिकल एक्टीविटीज जैसे उपचार देते हैं।
माता-पिता मोबाइल और घर की कलह को बच्चों से दूर रखें
क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट वसीम राशिद कारू कहते हैं कि कश्मीर में बच्चों में कोविड के दौरान या पारिवारिक मुद्दों के कारण मानसिक तनाव बढ़ा है। हम माता-पिता को सलाह देते हैं कि घर की कलह को बच्चों से दूर रखें, बच्चों को मोबाइल का सीमित इस्तेमाल करने दें। हम समय प्रबंधन, क्रोध नियंत्रण या तनाव प्रबंधन और संचार या सामाजिक कौशल पर भी ध्यान केंद्रित करते हैं।
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