रोहतक का चौहरा हत्याकांड: दो दिन में 3 बार की थी आरोपी अभिषेक ने अपने ही घर की रेकी; तीसरे दिन मौका मिलते ही मारी गोली, रिमांड में रोज नई कहानी बना रहा मोनू
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रोहतक42 मिनट पहले
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आरोपी मोनू अपने पिता बबलू, मां बबली और बहन नेहा के साथ, जिन्हें उसने मौत के घाट उतार दिया। (फाइल फोटो)
रोहतक में अपने ही परिवार के चार लोगों की हत्या करने वाला आरोपी अभिषेक उर्फ मोनू रिमांड के दौरान रोज नई कहानी गढ़ रहा है। शनिवार को रिमांड के चौथे दिन मोनू ने बताया कि उसने दो दिन में तीन बार हत्याकांड को अंजाम देने के लिए खुद अपने ही घर की रेकी की थी। कभी घर पर मेहमान की मौजूदगी, कभी पड़ोसी तो कभी घरवालों के न होने के कारण यह टलता रहा। 27 अगस्त को उसे मौका मिला और उसने बड़े ही शातिर तरीके से चारों की हत्या कर दी।
25 को एक और 26 को दो बार की घर की रेकी
आरोपी अभिषेक ने बताया कि 27 जुलाई को एक महीने के अंदर वारदात को अंजाम देने के बारे में ठाना था। इसलिए 25 अगस्त की सुबह उसने लिवइन में रहने वाले अपने मित्र अभिषेक को दिल्ली से रोहतक बुलाया। यहां दोनों दिल्ली बाईपास पर एक होटल में रुके थे। होटल में दोनों के ही आईडी प्रूफ जमा हुए थे। अभिषेक घर पर बिना बताए दो दिन और दो रात तक घर से गायब रहा। दिन में एक-दो बार घर का चक्कर लगा रहा था ताकि घर वालों को यह पता रहे कि वह शहर में ही है। लेकिन चल रहे मनमुटाव और नाराजगी के कारण घर के किसी भी सदस्य ने उससे नहीं पूछा था कि आखिर वो कर क्या रहा है। उसने कई दिन पहले ही घर पर रखी पिस्तौल उठाकर अपने पास रख ली थी। 25 और 26 अगस्त की रात को वह अपने लिवइन में रहने वाले दोस्त के साथ होटल में ही रुका था। 25 अगस्त दोपहर को घर के बाहर छिपकर रेकी थी। उस दौरान घर पर कोई मेहमान आए थे। इसके बाद वह चला गया। 26 अगस्त को दिन में दो बार रेकी की। एक बार पड़ोसी घर पर बैठे थे तो एक बार घरवाले ही मौजूद नहीं थे। 27 अगस्त को फिर उसने रेकी की थी और मौका लगते ही चारों को मार डाला और फरार हो गया था।
अभिषेक ने इसी घर में वारदात को अंजाम दिया था।
पिता ने कर दिया था खर्चा बंद, मां से चुपके से लिए थे पैसे
पुलिस पूछताछ में आरोपी मोनू ने बताया कि पिता बबलू पहलवान उससे काफी नाराज थे। इस कारण उन्होंने उसका खर्चा भी बंद कर दिया था। किसी तरह मां बबली को अपने तरीके से बहलाया और उनसे रुपए ले लिए थे। मां से मिले रुपयों से उसने होटल और खाने के बिल सहित अन्य खर्चे किए थे। इतना ही नहीं, मां समेत पिता, बहन और नानी की हत्या करने के बाद इन्हीं रुपयों से होटल में दोस्तों के साथ पार्टी करने गया था।
मृतक बबलू पहलवान और उनकी पत्नी बबली। (फाइल फोटो)
अभिषेक ने ऐसे दिया हत्याकांड को अंजाम
पुलिस को अभिषेक ने बताया कि 27 अगस्त की सुबह 11 बजे जब वह घर गया था तो देखा कि पापा, मम्मी और नानी नीचे थे। मम्मी रसोई में खाना बनाने की तैयारी कर रही थी। पापा कमरे में लेटे थे। नानी घर के आंगन में थी। वह दबे पांव बड़ी आसानी से एलईडी में गानों वाला चैनल लगाकर तेज आवाज कर हथियार लेकर पहले ऊपर वाले कमरे में गया। जहां कमरे में सो रही बहन तमन्ना के सिर में गोली मारी। गोली बिल्कुल सटा कर मारी थी, मगर फिर भी नानी रोशनी को कुछ भनक लग गई थी। वह ऊपर यह कहते हुए आई कि बेटी नेहा किस चीज की आवाज आई थी अभी। नानी की आवाज सुनकर वह दरवाजे के पीछे छिप गया। जैसे ही नानी कमरे के भीतर घुसी तो उसे भी सिर में गोली मार दी। तभी मम्मी खाने के बारे में तमन्ना से पूछने आई थी, सीढ़ियों में चढ़ने की आवाज सुनकर वहा फिर से दरवाजे के पीछे छिप गया और कमरे में आते ही पीछे से सिर में गोली मार दी। तीनों को कमरे में बंद कर लॉक लगाकर चाबियां जेब में डाल नीचे आया। नीचे जाने के बाद पापा के कमरे में गया। वहां देखा तो उसके पापा फोन चला रहे थे, उन्हें एकदम मुझ पर शक न हो, इसलिए हथियार को पहले तकिए के नीचे रख दिया। मोनू के अनुसार जैसे ही पापा का ध्यान उससे हटा उसने हथियार निकाला और नजदीक से पापा के माथे में गोली मार दी। पिस्तौल में दो गोलियां बची थीं, वो दोनों गोलियां भी बबलू को ही मार दीं। इसके बाद उसने दरवाज बंद किया और लॉक लगाकर उस कमरे की भी चाबी जेब में डाली और एक्टिवा पर दिल्ली बाईपास के एक होटल में रुके अपने दोस्त के पास आ गया।
वारदात के बाद गया था दोस्तों के साथ खाना खाने
अभिषेक ने बताया कि होटल से अपने लिवइन दोस्त और अन्य दो दोस्तों के साथ खरावड़ के एक होटल में खाना खाने गया। वहां उसके दोस्तों ने खाने के लिए नॉन वेज और अन्य सामान ऑर्डर किया। जो ऑर्डर किया था वह सिर्फ उसके दोस्तों ने खाया। उसकी आंखों के आगे वो सीन चल रहे थे। यहां वह कुछ देर सोचता रहा कि आखिर कैसे लोगों को पता चले, क्या करूं।
होटल से सीधे गया चाचा के घर, फिर किया था ड्रामा
अभिषेक ने बताया कि होटल से वह सीधे चाचा के घर पहुंचा और बताया कि घर पर कोई दरवाजा ही नहीं खोल रहा। चाचा के बाद पड़ोस की एक दादी के पास पहुंचा, उससे पूछा कि मां आई थी क्या? उसे बताया कि घर पर कोई दरवाजा नहीं खोल रहा। जब आस पड़ोस के लोग आ गए तो सबके सामने ही घर के सदस्यों को एक-एक करके फोन किया। जब फोन नहीं उठे तो चाचा को कहा कि वह उनके घर की छत पर सीढ़ी लगाकर अपने घर की छत पर जाएगा। छत पर चढ़ा तो वहां करीब दो मिनट के लिए खड़ा रहा, उसके बाद शोर मचा दिया कि दरवाजे से बाहर तो खून आ रहा है। उसके बाद सभी लोग छत पर आ गए और पुलिस को बुला लिया। पुलिस के आने के बाद वह बहुत ज्यादा रोने लगा तो उसे वहां से दूसरे घर ले जाया गया था।
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