राहत की खबर: CSIR पूर्व प्रमुख ने कहा ‘ओमिक्रॉन के खिलाफ शील्ड की तरह काम करेगी वैक्सीन’
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नई दिल्ली15 मिनट पहले
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देश में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ‘ओमिक्रॉन’ के बढ़ते खतरे के बीच एक राहत भरी खबर आई है। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ जेनेटिक्स एंड सोसायटी के डायरेक्टर और काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च सेंटर (CSIR) फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के पूर्व प्रमुख डॉ. राकेश मिश्रा ने कहा कि कोरोना की वैक्सीन नए वैरिएंट पर भी प्रभावी है। वैक्सीन कोरोना से बचाने में एक शील्ड की तरह काम करेगी।
संक्रमण के हल्के लक्षण तक पहुंचना अच्छा संकेत
डॉ मिश्रा ने आगे कहा कि इस साल की शुरुआत में जब देश कोरोना की दूसरी लहर का सामना कर रहा था तो उस वक्त डेल्टा वैरिएंट बेहद खतरनाक था। अब दक्षिण अफ्रीका से आया ओमिक्रोन डेल्टा वैरिएंट से भी ज्यादा संक्रामक है। हालांकि, राहत की बात यह है कि यह वायरस हल्के लक्षणों के साथ देश प्रमुख शहरों में पहुंचेगा जो बेहद ही अच्छा संकेत है।
हाइब्रिड इम्युनिटी से मिलेगा फायदा
उन्होंने कहा कि नए वैरिएंट के खिलाफ हाइब्रिड इम्युनिटी प्रभावशाली होगी। वैज्ञानिक रूप से इसे मान्यता मिल रही है। मुझे लगता है कि इसे सुरक्षात्मक होना चाहिए। हो सकता है थोड़ा कम ही सही, लेकिन वैक्सीन इसमें काफी सहायक हो सकती है।
डॉ मिश्रा ने बताया कि इन्फेक्शन की वजह से नेचुरल इम्युनिटी मिलती है। वैक्सीन इम्युनिटी, वैक्सीन से मिलती है और हाइब्रिड इम्युनिटी में पहले जो व्यक्ति इन्फेक्टेड हो चुका है वह भी वैक्सिनेटेड हो जाता है। आगे हाइब्रिड इम्युनिटी के बारे में कहा कि इसके वैक्सिनेटेड लोगों पर काम करने और उन्हें सुरक्षा देने की संभावना है। उन्होंने कहा, ‘अगर लोगों को नेचुरल इन्फेक्शन हुआ है और साथ में उन्होंने वैक्सीन भी ली है तो ऐसा होना चाहिए। बड़े शहरों में काफी लोगों को जाने-अनजाने इन्फेक्शन हुआ है। इसलिए काफी लोगों में हाइब्रिड इम्युनिटी होगी।
सभी की सेंपलिंग जरूरी
डॉ मिश्रा ने कहा कि ‘बीते कुछ दिनों में हमने दो-चार मामलों का पता लगाया है, लेकिन हम कितने सेंपल्स को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेज रहे हैं? अगर हम 100% की सिक्वेंसिंग करें, तब ही आप पक्का बता सकते हैं कि यह वैरिएंट कितने लोगों में और कितनों में नहीं।
कई लोग हल्के लक्षण या बिना लक्षण के हैं, जो इसे फैला रहे हैं। इस संक्रमण के साथ यही समस्या है कि 70 से 80% लोगों में लक्षण नहीं है और लोगों को यह सामान्य सर्दी-खांसी लग रहा है। ऐसे में इसके फैसले का खतरा बढ़ रहा है।
डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन अधिक संक्रामक
डॉ मिश्रा ने आगे कहा कि इस साल की शुरुआत में भारत में दूसरी लहर लाने वाले डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन अधिक संक्रामक हो सकता है। हालांकि, उनका मानना था कि नए वैरिएंअ में गंभीर न होना एक अच्छा संकेत है।
ये हमारे लिए एक वेक अप कॉल
CSIR के पूर्व प्रमुख कहते हैं कि “ये हमारे लिए एक वेक अप कॉल है कि महामारी अभी खत्म नहीं हुई है। हम पहली और दूसरी लहर की तुलना में अभी मजबूत स्थिति में हैं लेकिन हमें लापरवाही नहीं करनी चाहिए।
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