रणजीत का बेटा जगसीर बोला-पिता की जंग पूरी हुई: 19 साल बाद भी दीवाली के पटाखों से डर लगता है, याद आ जाता है गोलियों से छलनी उनका चेहरा

रणजीत का बेटा जगसीर बोला-पिता की जंग पूरी हुई: 19 साल बाद भी दीवाली के पटाखों से डर लगता है, याद आ जाता है गोलियों से छलनी उनका चेहरा

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चंडीगढ़ / पंचकूला24 मिनट पहलेलेखक: दिग्विजय मिश्रा

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रणजीत का बेटा जगसीर बोला-पिता की जंग पूरी हुई: 19 साल बाद भी दीवाली के पटाखों से डर लगता है, याद आ जाता है गोलियों से छलनी उनका चेहरा

डेरा प्रबंधन कमेटी के सदस्य रहे रणजीत सिंह की हत्या के मामले में बेटे जगसीर सिंह ने राम रहीम समेत चार अन्य दोषियों को सजा दिलवाने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि दोषियों को सजा मिलने से उनके पिता की जंग पूरी हो गई है। दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में उन्होंने अपनी संघर्ष यात्रा को साझा किया। उन्होंने बताया कि उन्हें आज भी दीवाली के पटाखों से डर लगता है। पटाखों की आवाज उन्हें फिर वह खौफनाक मंजर याद दिला देती है, इसलिए 19 साल से दीवाली नहीं मना पाए हैं।

जगसीर ने बताया कि गोलियों की आवाज सुनकर और पिता के छलनी चेहरे की याद आते ही आज भी उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। पिता की मौत पर फैसला आया है इसलिए अब अपने इस दुख को सबसे साझा करना चाहता हूं। वारदात के समय 7 साल का था और कोचिंग से क्लास खत्म होने के बाद घर पहुंचा था। मां ने बताया कि पिता जी खेत में काम कर रहे मजदूरों के लिए चाय लेकर गए हैं। इसके बाद खेल में मस्त हो गया। कुछ देर बाद सूचना मिली कि गांव में किसी की गोली मारकर हत्या हुई है। मां सहित घर के अन्य सदस्य सूचना के बाद खेत की ओर भागे। इस बात से काफी परेशान हो गया और खेत की ओर चल दिया। खेत के पास पहुंचा तो देखा कि भीड़ जमा है और मां रो रही है। साथ में दादा जोगिंदर सिंह परेशान से खड़े हैं और मां को ढांढस बंधा रहे हैं।

पहचान नहीं पा रहा था कि मेरे पिता हैं…

जगसीर के मुताबिक काफी देर बाद भीड़ को साइड कर देखा तो वहां मंजर देखकर होश उड़ गए। पापा का गोलियों से छलनी चेहरा दिखा। पहचान भी नहीं पा रहा था कि यह मेरे पिता हैं। मां ने गले से लगा लिया और घर की ओर चलने लगी। मां से पूछा कि ये पापा हैं तो मां ने कहा नहीं बेटा कोई और है। मैं सो गया, सुबह जब उठा तो देखा कि घर के बाहर भीड़ है और सब रो रहे हैं। मां भी रो रही है, मैं पास गया और बोला क्या हुआ मां। मां ने मुझे गले लगा लिया, बोली कि बेटा पापा चले गए और रोने लगी। यह दृश्य आज भी मेरे जेहन में जिंदा है। रणजीत के बेटे जगसीर सिंह ने आंसू को पोछते हुए कहा कि आज जब फैसला आया है, इसने उस सालों पुराने खौफनाक मंजर से राहत दी है।

दादा जिंदा होते तो अच्छा होता

आज दादा जिंदा नहीं है और उनके बेटे की हत्या का फैसला 19 साल बाद आया है। 2016 में उनकी मौत हो गई। जगसीर ने बताया कि यदि दादा जिंदा होते तो उन्हें भी अच्छा लगता। उन्होंने बेटे की हत्या के दोषियों को सजा दिलाने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया। जगसीर ने बताया कि सुबूत जुटाने के लिए उन्हें कई बार दूसरे पक्ष से धमकियां भी मिलीं। दादाजी ने इस केस को अंजाम तक पहुंचाने में निर्णायक भूमिका निभाई।

घर जुटी रिश्तेदारों की भीड़, सुरक्षा भी बढ़ी

जगसीर के मुताबिक पिता की मौत के जिम्मेदार लोगों को आज सजा मिली। सुबह से ही रिश्तेदार और शुभचिंतक घर पहुंच रहे हैं। हालात को देखते हुए जिला प्रशासन भी सक्रिय हो गया है। जगसीर ने बताया कि घर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। घर के चारों ओर पुलिसकर्मी तैनात हैं। सुकून है कि अब सब कुछ ठीक हो रहा है।

न्यायपालिका पर भरोसा था

रणजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर भरोसा था। उम्मीद थी कि अदालत पिता के दोषियों को सख्त सजा सुनाएगी। न्यायपालिका ने सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अपना फैसला सुनाया है। ऐसे लोग जिन्हें समाज में लाखों लोग पूजते हैं, वह ऐसा कृत्य करता है तो उसे समाज में रहने का कोई हक नहीं।

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