मॉर्डना की वैक्सीन के भारत में आने पर पेंच: अप्रूवल के बाद भी सरकार मंथन कर रही; कंपनी की शर्त- वह साइड इफेक्ट की जिम्मेदार नहीं होगी

मॉर्डना की वैक्सीन के भारत में आने पर पेंच: अप्रूवल के बाद भी सरकार मंथन कर रही; कंपनी की शर्त- वह साइड इफेक्ट की जिम्मेदार नहीं होगी

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नई दिल्ली16 मिनट पहले

भारत में मॉर्डना को इमरजेंसी अप्रूवल तो दे दिया गया है, लेकिन सरकार अब तक कंपनी की इन्डेम्निटी यानी क्षतिपूर्ति से राहत वाली शर्त पर फैसला नहीं कर पाई है। सूत्रों की मानें, तो मॉर्डना की इस शर्त पर अभी चर्चाओं का दौर चल रहा है। ऐसे में देश की पहली इंटरनेशनल वैक्सीन के जल्द भारत आने पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है।

दरअसल, मॉडर्ना ने शर्त रखी थी कि उन्हें इन्डेम्निटी मिलेगी, तो ही वे वैक्सीन भारत भेजेंगे। यह इन्डेम्निटी वैक्सीन कंपनियों को सब तरह की कानूनी जवाबदेही से मुक्त रखती है। अगर भविष्य में वैक्सीन की वजह से किसी तरह की गड़बड़ी हुई तो इन कंपनियों से मुआवजा नहीं मांगा जा सकता। फाइजर ने भी भारत सरकार से ऐसी ही छूट मांगी है।

अमेरिका समेत कई देशों में छूट मिली
दिसंबर 2020 में अमेरिका की एक कोर्ट ने फाइजर-मॉर्डना को क्षतिपूर्ति से इम्युनिटी दी। यानी वैक्सीन से हुए साइडइफेक्ट के लिए कंपनी से मुआवजा नहीं मांगा जा सकता। दरअसल, क्षतिपूर्ति से राहत या इन्डेम्निटी का मतलब है- किसी नुकसान के खिलाफ हर्जाने की गारंटी। अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में भी फाइजर-मॉर्डना को ऐसी छूट मिली हुई है।

3 सवाल-जवाब में समझिए इन्डेम्निटी का गणित
1. भारत में इन्डेम्निटी पर क्या है कानून?

– इस मामले में कानूनी प्रावधान बड़े ही साफ हैं। भारत के ड्रग कानूनों में किसी भी नई दवा या वैक्सीन को अप्रूवल देते समय कानूनी सुरक्षा या इन्डेम्निटी देने का प्रावधान नहीं है। अगर किसी दवा या वैक्सीन को इन्डेम्निटी दी जानी है तो जवाबदेही सरकार की बन जाएगी। सरकार और सप्लायर के कॉन्ट्रैक्ट के क्लॉज में इसका उल्लेख होगा।

2. क्या भारत में उपलब्ध अन्य वैक्सीन पर जवाबदेही बनती है?
– हां। भारतीय ड्रग रेगुलेटर ने अब तक अप्रूव की गई तीनों वैक्सीन- कोवैक्सिन, कोवीशील्ड और स्पुतनिक वी के लिए कंपनियों को इन्डेम्निटी नहीं दी है। यहां क्लिनिकल ट्रायल्स के लिए नियम साफ हैं। ट्रायल्स के दौरान किसी वॉलंटियर की मौत हो जाती है या उसे गंभीर चोट लगती है तो उसे मुआवजा मिलता है।

3. इन्डेम्निटी का लोगों पर असर?
– इन्डेम्निटी के अभाव में विदेशी कंपनियां वैक्सीन की कीमतें बढ़ा सकती हैं। इन्डेम्निटी देकर सरकार वैक्सीन की कीमत और संख्या पर मोलभाव कर सकती है। यह भारत के टीकाकरण अभियान को बढ़ावा देगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि बच्चों को वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी। चूंकि, फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन अमेरिका समेत कुछ देशों में 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को भी लग रही है। सरकार 5 करोड़ डोज खरीदने का सोच रही है, जिनका इस्तेमाल बच्चों पर भी हो सकता है।

देश की पहली इंटरनेशनल वैक्सीन
मॉडर्ना को भारत में पहली इंटरनेशनल वैक्सीन इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि यह सीधे इंपोर्ट होगी। देश में इसकी मैन्युफैक्चरिंग नहीं होगी। वहीं, कोवीशील्ड को देश में सीरम इंस्टीट्यूट बना रहा है और कोवैक्सिन को भारत बायोटेक और ICMR मिलकर बना रहे हैं। वहीं रूस की स्पुतनिक-V की मैन्युफैक्चरिंग भारत में डॉ. रेड्डीज लैबोरेट्रीज करेगी। डॉ. रेड्डीज लैबोरेट्रीज स्पुतनिक के डेवलपर रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) की भारतीय पार्टनर है।

सरकार ने पॉलिसी में बदलाव भी किया
मॉडर्ना और फाइजर उन कंपनियों में शामिल हैं, जिन्होंने भारत सरकार से अपील की थी कि वह इमरजेंसी यूज की इजाजत देने के बाद होने वाले लोकल ट्रायल की बाध्यता को खत्म करे। लेकिन सिप्ला को 100 लोगों पर ट्रायल करना होगा। हालांकि, विदेशी वैक्सीन को भारत में अप्रूवल मिलने पर पहले 1500-1600 लोगों पर ट्रायल करना होता था। लेकिन 15 अप्रैल को सरकार ने पॉलिसी में बदलाव कर इसे 100 लोगों तक सीमित कर दिया था।

भारत में अभी 3 वैक्सीन और एक पाउडर
देश में फिलहाल कोवीशील्ड और कोवैक्सिन का इस्तेमाल वैक्सीनेशन ड्राइव में किया जा रहा है। रूस की स्पुतनिक-V भी इस्तेमाल की जा रही है। इसके अलावा DRDO ने कोविड की रोकथाम के लिए 2-DG दवा बनाई है। इसके इमरजेंसी इस्तेमाल को भी मंजूरी दे दी गई है। यह एक पाउडर होता है, जिसे पानी में घोलकर दिया जाता है।

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