मेरठ की अन्नू से देश को मेडल की उम्मीद: कल ओलिंपिक के भाला फेंक मुकाबले में दिखाएंगी दमखम, अपने ही नेशनल रिकॉर्ड को 7 बार कर चुकी हैं ब्रेक; बांस, गन्ना से की थी प्रैक्टिस

मेरठ की अन्नू से देश को मेडल की उम्मीद: कल ओलिंपिक के भाला फेंक मुकाबले में दिखाएंगी दमखम, अपने ही नेशनल रिकॉर्ड को 7 बार कर चुकी हैं ब्रेक; बांस, गन्ना से की थी प्रैक्टिस

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मेरठ2 घंटे पहले

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मेरठ की अन्नू से देश को मेडल की उम्मीद: कल ओलिंपिक के भाला फेंक मुकाबले में दिखाएंगी दमखम, अपने ही नेशनल रिकॉर्ड को 7 बार कर चुकी हैं ब्रेक; बांस, गन्ना से की थी प्रैक्टिस

इंडियन क्वीन ऑफ जैवलिन के नाम से मशहूर अन्नू पहली भारतीय महिला हैं जिन्होंने 60 मीटर से दूर भाला फेंका है।

टोक्यो ओलिंपिक में उत्तर प्रदेश के मेरठ की बेटी अन्नू रानी के भाले से खेल प्रेमियों को पदक की उम्मीद नजर आ रही है। 3 अगस्त को मेरठ के बहादुरपुर गांव की एथलीट अन्नू रानी ओलिंपिक क्वालीफाइंग में भाग लेंगी। अन्नू भाला फेंक प्रतियोगिता में ओलिंपिक में जाने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट हैं।

अपने ही नेशनल रिकॉर्ड को 7 बार ब्रेक कर चुकीं अन्नू ने वर्ल्ड रैकिंग के आधार पर टोक्यो ओलिंपिक का कोटा हासिल किया। इंडियन क्वीन ऑफ जैवलिन के नाम से मशहूर अन्नू पहली भारतीय महिला हैं जिन्होंने 60 मीटर से दूर भाला फेंका है।

अन्नू रानी के नाम 60 मीटर दूर भाला फेंकने का रिकॉर्ड है।

अन्नू रानी के नाम 60 मीटर दूर भाला फेंकने का रिकॉर्ड है।

गुरुकुल आश्रम से की थी शुरूआत
इंटरनेशनल फेम की जैवलीन थ्रोअर अन्नू रानी 28 अगस्त 1992 में किसान परिवार में जन्मी थीं। अन्नू ने 2009-10 में मेरठ के गुरुकुल प्रभात आश्रम टीकरी से प्रशिक्षण शुरू किया था। आश्रम के स्वामी विवेकानंद सरस्वती अन्नू के पहले गुरु हैं, जिन्होंने देश को बेहतरीन भाला फेंक खिलाड़ी दिया। अन्नू रानी ने अपने स्पोर्ट्स करियर का आगाज डिस्कस, शॉटपुट और जैवलिन में किया।

अन्नू ने 2009-10 में मेरठ के गुरुकुल प्रभात आश्रम टीकरी से प्रशिक्षण शुरू किया था।

अन्नू ने 2009-10 में मेरठ के गुरुकुल प्रभात आश्रम टीकरी से प्रशिक्षण शुरू किया था।

ओलंपिक के लिए होना पड़ेगा फोकस
अन्नू भले ही अब तक 7 बार अपना ही नेशनल रिकॉर्ड ब्रेक कर चुकी हैं, लेकिन टोक्यो में उन्हें अपने गेम पर और फोकस करना पड़ेगा। ओलिंपिक में महिला भाला फेंक में क्वालीफाई करने के लिए 64 मीटर की दूरी रखी गई है। जबकि अन्नू रानी की भाला फेंकने अधिकतम दूरी 60 मीटर ही है। यानी अन्नू 4 मीटर की रेंज बढ़ाने के लिए अभी और मेहनत करनी पड़ेगी। अन्नू रानी ने भले ही ओलिपिक क्वालीफाइंग में 63.24 मीटर के थ्रो से ओलिंपिक कोटा और गोल्ड मेडल लिया है, मगर ओलिंपिक पदक के लिए उनको और अच्छे प्रयास करने होंगे।

ओलिंपिक में महिला भाला फेंक में क्वालीफाई करने के लिए 64 मीटर की दूरी रखी गई है।

ओलिंपिक में महिला भाला फेंक में क्वालीफाई करने के लिए 64 मीटर की दूरी रखी गई है।

बांस, गेंद और गन्ने से किया अभ्यास
क्वीन ऑफ जैवलिन के नाम से मशहूर अन्नू बेहद सामान्य परिवार से हैं। 1 लाख रुपए का भाला खरीदकर अभ्यास करने में असमर्थ थीं तो गन्ने, बांस और गेंद फेंककर अभ्यास करती थीं। स्कूल के दौरान अन्नू 25 मी. भाला फेंक लेती थी। तकनीक सीखने के लिए अन्नू ने भारतीय भाला फेंक खिलाड़ी व 2010 कॉमनवेल्थ कांस्य पदक विजेता काशीनाथ नाइक से प्रशिक्षण लिया। काशीनाथ नाइक ने अन्नू को थ्रो एंगल, रिलीज प्वाइंट, ट्रांजेक्टी सिखाकर निखारा है।

1 लाख रुपए का भाला खरीदकर अभ्यास करने में असमर्थ थीं तो गन्ने, बांस और गेंद फेंककर अभ्यास करती थीं।

1 लाख रुपए का भाला खरीदकर अभ्यास करने में असमर्थ थीं तो गन्ने, बांस और गेंद फेंककर अभ्यास करती थीं।

भाई ने कराई गन्ने से ट्रेनिंग
अन्नू तीन बहनों और दो भाइयों में सबसे छोटी हैं। बड़े भाई उपेंद्र भी 5,000 मीटर के धावक हैं और विश्वविद्यालय स्तर पर खेल चुके हैं। उपेंद्र ने अन्नू की खेल क्षमता पहचानकर उसे गुरुकुल प्रभात आश्रम पहुंचाया। रोजाना 20 किमी. साइकिल से आश्रम जाकर अन्नू अभ्यास करती। श्री गांधी स्मारक इंटर कॉलेज दबथुआ से 6 से 12वीं तक की पढ़ाई के बाद गांव के डिग्री कॉलेज से ग्रेजुएशन किया।

अन्नू तीन बहनों और दो भाइयों में सबसे छोटी हैं।

अन्नू तीन बहनों और दो भाइयों में सबसे छोटी हैं।

रूढ़िवादी सोच ने खड़ी की राह में मुश्किलें
अन्नू की कामयाबी के सफर में संसाधन और रूढिवादी सोच हमेशा बाधा बनी। अन्नू के पिता अमरपाल सिंह ने पहले अन्नू को खेलने से मना कर दिया। भाई के सपोर्ट से अन्नू ने खेलना शुरू किया तो पिता बेटी की सुरक्षा के लिए चिंतित हो गए। अन्नू जहां भी खेलने जातीं, अमरपाल साथ जाते। महिला छात्रावास में पहले पूरी चेकिंग करते फिर अन्नू को रहने की इजाजत देते, अन्नू के पिता अमरपाल हॉस्टल के बाहर खुद पहरा देते थे।

अन्नू के पिता अमरपाल सिंह ने पहले अन्नू को खेलने से मना कर दिया था।

अन्नू के पिता अमरपाल सिंह ने पहले अन्नू को खेलने से मना कर दिया था।

अन्नू की उपलब्धियां

  • लखनऊ में 2014 के राष्ट्रीय अंतरराज्यीय चैंपियनशिप में 58.83 मीटर भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता, 14 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ राष्ट्रमंडल खेलों में पहुंचीं
  • दक्षिण कोरिया में इंचियोन एशियन गेम्स 2014 में 59.53 मीटर भाला फेंककर कांस्य पदक जीता
  • एशियन चैंपियनशिप 2015 में कांस्य पदक जीता
  • नेशनल एथलेटिक्स चैंपियशिप 2016 में 60.1 मीटर थ्रो करके अपना ही रिकार्ड तोड़ा
  • एशियन चैंपियनशिप 2017 में रजत पदक अपने नाम किया
  • एशियन एथलेटिक चैंपियनशिप 2019 (दोहा) में रजत पदक, वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनिशप के लिए क्वालीफाई किया
  • नेशनल चैंपियनशिप 2019 में 62.34 मीटर फेंककर कीर्तिमान बनाया
  • चेक रिपब्लिक में आईआईएएफ एथलेटिक्स चैलेंज में कांस्य पदक जीता
  • ऑस्त्रा गोल्डन स्पाइक प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीतकर वर्ल्ड एथलेटिक चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाली देश की पहली महिला एथलीट बनीं
  • 2020 में एथलेटिक्स में स्पोर्ट्सस्टार एस स्पोर्स्टवूमन ऑफ द ईयर अवॉर्ड जीता

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