मानने वाला नहीं है संयुक्त किसान मोर्चा,: MSP बिल और बिजली शोध एक्ट रद्द करने तक जारी रहेगा संघर्ष
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लुधियाना10 मिनट पहले
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दिल्ली के सिंघु बार्डर पर बैठे हुए किसान
प्रधान मंत्री नरिंदर मोदी द्वारा दिया गया ब्यान किसानों और सरकार के बीच हुईं 11 मीटिंगों के जैसा ही रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा ने संघर्ष को समाप्त करने पर पेंच लगा दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने ब्यान जारी कर कहा है कि हम प्रधन मंत्री के एलान का स्वागत करते हैं, मगर हमारा आंदोलन मिनिमम सपोर्ट प्राइज MSP को लेकर और बिजली शोध कानूनों को लेकर भी है। वह अभी मीटिंग करने जा रहे हैं और इस पर अगली रणनीति का एलान करेंगे।
प्रेस विज्ञप्ति में लिखा गया है कि भारत के प्रधान मंत्री नरिंदर मोदी ने जून 2020 में आर्डीनेसों के रूप में लेकर आए तीनों किसान विरोधी कार्पोरेट पक्षीय काले कानूनों को रद करने के लिए भारत सरकार के फैसले की घोषणा की है और इसका एलान करना चुना है। संयुक्त किसान मोर्चा इस फैसले का स्वागत करता है मगर हम उचित संसदीय प्रक्रियाओं के जरिए इस एलान को लागू होने की उडीक करेगा। हालाकि इस संघर्ष में 700 के करीब किसान शहीद हो चुके हैं, लखीमपुर खेड़ी में हुए कतलों समेत इन टाल देने योग्य मौतों के लिए केंद्र सरकार की जिद्द जिम्मेदार है।
SKM प्रधान मंत्री मोदी को याद दिलाता है कि किसानों का आंदोलन तीन काले कानूनों काो लेकर ही नहीं था, बल्कि सभी कृषि उपजों और सभी किसानों के लिए फायदेमंद कीमतों की कानूनी गारंटी के लिए भी है। किसानों की अहम मांग अभी भी लटक रही है।जिसमें बिजली शोध बिल को वापिस लेना भी है। SKM सभी गतीविधियों के नोट करेगा और जल्द ही अपनी मीटिंग रखेगा और अगले फैसलों का एलान करेगा।
1 साल 11 बैठक नतीजा रहा जीरो
कृषि कानूनों को लेकर पिछले 14 माह से ही किसानों का संघर्ष चल रहा है। पहले पंजाब में और बाद में 26 नवंबर से दिल्ली के अलग अलग बार्डर पर यह संघर्ष चल रहा है। इस दौरान किसानों की जनवरी 2021 तक 11 बैठक हो चुकी हैं। जिसमें कृषि मंत्री नरिंदर तोमर शामिल होते रहे हैं, मगर हर बार बात नहीं बनी है। पहले कहा जा रहा था कि बिलों में शोध की जा सकती हैं मगर एसा नहीं हुआ है।
संसद कूच पर भी लिया जाना है फैसला
26 नवंबर को दिल्ली में किसानों के प्रदर्शन का एक साल पूरा हो रहा है। इसे लेकर किसानों की तरफ से 29 नवंबर से दिल्ली संसद के लिए ट्रैक्टर मार्च का एलान किया गया है। अब इस पर फैसला होना है कि वह यह कार्यक्रम करते हैं या इसे टाला जाता है।
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