महाराष्ट्र को PM की नई सौगात: मोदी आज पंढरपुर में दो हाईवे के विस्तार की नींव रखें, 11 हजार करोड़ से ज्यादा लागत आएगी

महाराष्ट्र को PM की नई सौगात: मोदी आज पंढरपुर में दो हाईवे के विस्तार की नींव रखें, 11 हजार करोड़ से ज्यादा लागत आएगी

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पुणे12 मिनट पहले

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महाराष्ट्र को PM की नई सौगात: मोदी आज पंढरपुर में दो हाईवे के विस्तार की नींव रखें, 11 हजार करोड़ से ज्यादा लागत आएगी

प्रधानमंत्री मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इन राज्यमार्गों के विस्तार की आधारशिला रखेंगे।

भगवान विट्‌ठल के दर्शन करने के लिए पंढरपुर पहुंचने वाले भक्तों की सुविधा के लिए 4 लेन रोड का निर्माण किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दोपहर 3.30 बजे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए इसकी आधारशिला रखेंगे।

इसके तहत संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग (NH-965G) के 3 खंडों और संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग (NH-965) के 5 खंडों को 4 लेन बनाने की योजना है। इन राष्ट्रीय राजमार्गों के दोनों तरफ ‘पालखी’ के लिए पैदल मार्ग भी बनाया जाएगा। ताकि पैदल जाने वाले भक्तों को परेशानी न हो।

इन दोनों मार्गों की लागत 6690 करोड़ रु. और 4400 करोड़ रु. होगी। कार्यक्रम में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी शामिल होंगे।

पंढरपुर की लोगों के दिल और दिमाग में खास जगह: मोदी
पीएम ने रविवार को एक ट्वीट में इस कार्यक्राम के बारे में बताते हुए कहा, ‘कई लोगों के दिल और दिमाग में पंढरपुर के लिए खास जगह है। यहां का मंदिर पूरे भारत से समाज के सभी वर्गों के लोगों को आकर्षित करता है। 8 नवंबर को दोपहर 3:30 बजे, मैं पंढरपुर की बुनियादी सुविधाओं के अपग्रेडेशन से संबंधित एक कार्यक्रम में शामिल होऊंगा।’

कितने किलोमीटर रोड का निर्माण होगा

  • संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग के दिवेघाट से मोहोल तक के 221 किलोमीटर
  • संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग के पतस से टोंदले-बोंदले तक 130 किलोमीटर

पंढरपुर को कहा जाता है दक्षिण का काशी
महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में भीमा नदी के तट पर पंढरपुर स्थित है। पंढरपुर को दक्षिण का काशी भी कहा जाता है। पद्मपुराण में वर्णन है कि इस जगह पर भगवान श्री कृष्ण ने ‘पांडुरंग’ रूप में अपने भक्त पुंडलिक को दर्शन दिए और उनके आग्रह पर एक ईंट पर खड़ी मुद्रा में स्थापित हो गए थे। हजारों सालों से यहां भगवान पांडुरंग की पूजा चली आ रही है, पांडुरंग को भगवान विट्ठल के नाम से भी जाना जाता है।

यहां एक साल में चार बड़े मेले लगते हैं
पंढरपुर में एक वर्ष में चार बड़े मेले लगते हैं। इन मेलों के लिए वारकरी(भक्त) लाखों की संख्या में यहां इकट्ठे होते हैं। चैत्र, आषाढ़, कार्तिक, माघ, इन चार महीनों में शुक्ल एकादशी के दिन पंढरपुर की चार यात्राएं होती हैं। आषाढ़ माह की यात्रा को ‘महायात्रा’ या ‘वारी यात्रा’ कहते हैं। इसमें महाराष्ट्र ही नहीं देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु पंढरपुर आते हैं। संतों की प्रतिमाएं, पादुकाएं पालकियों में सजाकर वारकरी यहां आते हैं। इस यात्रा के दर्शन के लिए पूरे 250 कि.मी. रास्ते पर दोनों ओर लोगों की भारी भीड़ जमा रहती है। एक साथ लाखों लोगों के शामिल होने और भक्तों के कई सौ किलोमीटर पैदल चलने के कारण इसे सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा कहा जाता है।

विदेशों से भी पंढरपुर आते हैं श्रद्धालु
संत ज्ञानेश्वर महाराज की पालकी यात्रा जैसी करीब 100 यात्राएं अलग-अलग संतों के जन्म स्थान या समाधि स्थल से प्रारंभ होती हैं। इस यात्रा का आकर्षण सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशियों में भी है। हर साल रिसर्च के लिए यहां जर्मनी, इटली और जापान से स्टूडेंट्स आते हैं। प्रतिदिन पालकी यात्रा 20 से 30 किलोमीटर का रास्ता तय करके सूर्यास्त के साथ विश्राम के लिए रुक जाती है।

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