महंत नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट के 11 पन्ने: लिखा- 13 सितंबर को ही आत्महत्या करना चाहता था, पर हिम्मत नहीं हुई; लड़की के साथ फोटो बनाकर बदनाम करना चाहता था आनंद गिरि
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प्रयागराज/लखनऊएक घंटा पहले
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़ा के सचिव महंत नरेंद्र गिरि (70) की मौत को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। इस बीच महंत नरेंद्र गिरि 11 पन्नों में लिखा सुसाइड नोट भास्कर के हाथ लगा है। जिसमें उन्होंने आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी का तीन बार जिक्र किया और पूरे होश में उन्हें अपनी आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
ये भी लिखा है कि एक महिला से जोड़कर उनका वीडियो वायरल किए जाने का धमकी दी जा रही थी। इसके चलते उन्हें यह कदम उठाना पड़ रहा है। इसके अलावा उन्होंने बाघंबरी गद्दी मठ का उत्तराधिकारी बलबीर को घोषित किया है। साथ ही अपने प्रिय शिष्यों के नाम वसीयत भी की है।
महंत का पूरा सुसाइड नोट हूबहू पढ़िए…
पहला पन्ना..
मैं महंत नरेंद्र गिरि। मठ वाघम्बरी गद्दी बड़े हनुमान मंदिर (लेटे हनुमानजी) वर्तमान में अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अपने होशोहवास में और बगैर किसी दबाव में ये बात लिख रहा हूं कि जबसे आनंद गिरि ने मेरे ऊपर सत्य, मिथ्या, मनगढ़ंत आरोप लगाया, तब से मैं मानसिक दबाव में जी रहा हूं। जब भी मैं एकांत में रहता हूं मर जाने की इच्छा होती है। आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और उनका लड़का संदीप तिवारी मिलकर मेरे साथ विश्वासघात किया। मुझे जान से मारने का प्रयास किया।
दूसरा पन्ना..
सोशल मीडिया, फेसबुक और समाचार पत्रों में आनंद गिरि ने मेरे चरित्र के ऊपर मनगढ़ंत आरोप लगाया। मैं मरने जा रहा हूं। सत्य बोलूंगा मेरा घर से कोई संबंध नहीं है। मैंने एक भी पैसा घर पर नहीं दिया। मैंने एक-एक मंदिर एवं मठ में लिगाया। 2004 में मैं महंत बना। 2004 से पहले अभी जो मठ एवं मंदिर का विकास किया सभी भक्त जानते हैं।
आनंद गिरि द्वारा जो भी आरोप लगाया गया। उससे मेरी एवं मठ मंदिर की बदनामी हुई। मैं बहुत आहत हूं। मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं। मेरे मरने की सम्पूर्ण जिम्मेदार आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी, जो मंदिर में पुजारी है, आद्या प्रसाद तिवारी का बेटा संदीप तिवारी की होगी। मैं समाज में हमेशा शान से जिया, लेकिन आनंद गिरि मुझे गलत तरीके से बदनाम किया।
तीसरा पन्ना..
मैं महेंद्र नरेंद्र गिरि। आज मेरा मन आनंद गिरि के कारण विचलित हो गया। हरिद्वार से ऐसी सूचना मिली कि कम्प्यूटर के माध्यम से एक लड़की के साथ मेरी फोटो जोड़कर गलत काम करते हुए बदनाम करेगा। आनंद गिरि का कहना है कि महराज यानी मैं “कहां तक सफाई देते रहेंगे’। मैं जिस सम्मान से जी रहा हूं। अगर मेरी बदनामी हो गई तो मैं समाज में कैसे रहूंगा। इससे अच्छा मर जाना ही ठीक है। इससे मैं दुखी होकर आत्महत्या करने का निर्णय लेकर आत्महत्या करने जा रहा हूं।
चौथा पन्ना..
मैं महेंद्र नरेंद्र गिरि। वैसे तो मैं 13 सितंबर 2021 को आत्महत्या करने जा रहा था, लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया। आज जब हरिद्वार से सूचना मिली कि एक-दो दिन में आनंद गिरि कम्प्यूटर के माध्यम से मोबाइल से किसी लड़की या महिला के गलत काम करते हुए मेरी फोटो लगाकर फोटो वायरल कर देगा। मैंने सोचा कहां-कहां सफाई दूंगा। एक बार तो बदनाम हो जाऊंगा। मैं जिस पद पर हूं गरिमामयी पद है।
पांचवां पन्ना..
आज मैं आत्महत्या कर रहा हूं, जिसकी पूरी जिम्मेदारी आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी जो पहले तिवारी थी व उनको मैंने निकाल दिया और संदीप तिवारी सन ऑफ आद्या प्रसाद तिवारी की होगी। वैसे मैं पहले ही आत्महत्या करने जा रहा था, लेकिन हिम्मत नहीं कर पा रहा था। एक ऑडियो कैसेट आनंद गिरि जारी किया था, उससे मेरी बदनामी हुई। आज मैं हिम्मत हार गया और आत्महत्या कर रहा हूं। 25 लाख रुपया आदित्य मिश्रा से एवं 25 लाख रुपया शैलेष सिंह सेंगर रियल स्टेट से मांगता हूं।
छठवां और सातवां पन्ना..
सच्चाई तो लोगों को बाद में पता चल जाएगी, लेकिन मेरा नाम बदनाम हो जाएगा। मेरी मौत का जिम्मेदार आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी, संदीप तिवारी सन ऑफ आद्या प्रसाद तिवारी ही होंगे। प्रयागराज के सभी पुलिस अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारियों से अनुरोध करता हूं कि मेरी आत्महत्या के जिम्मेदार उपरोक्त लोगों पर कार्रवाई की जाए। जिससे मेरी आत्मा को शांति मिले।
आठवां पन्ना..
प्रिय बलवीर गिरि ओम नमो नारायण। मैं तुम्हारे नाम एक रजिस्टर वसीयत की है। जिसमें मेरे ब्रह्मलीन (मरने के बाद) हो जाने के बाद तुम बड़े हनुमान मंदिर एवं मठ वाघम्बरी गद्दी का महंत बनोगे। तुमसे मेरा एक अनुरोध है कि मेरी सेवा में लगे विद्यार्थी जैसे मिथलेश पांडे, राम कृष्ण पांडे, मनीष शुक्ला, विवेक कुमार मिश्रा, अभिषेक कुमार मिश्रा, उज्ज्वल द्विवेदी, प्रज्ज्वल द्विवेदी, अभय द्विवेदी, निर्भर द्विवेदी, सुमित तिवारी का ध्यान देना। जिस तरह से मेरे समय में रह रहे थे उसी तरह से तुम्हारे समय में रहेंगे। इन सभी का ध्यान देना।
नौवा पन्ना..
उपरोक्त सभी जिनका मैंने नाम लिया है तुम लोग भी हमेशा बलवीर गिरि महाराज का सम्मान करना जिस तरह से हमेशा मेरी सेवा और मंदिर की सेवा किया उसी तरह से बलवीर गिरि महाराज और मठ-मंदिर की सेवा करना। वैसे हमें सभी विद्यार्थी प्रिय हैं, लेकिन मनीष शुक्ला, शिवेक मिश्रा, अभिषेक मिश्रा मेरे अति सप्रिय हैं। जब मुझे कोरोना हुआ मेरी सेवा सुमित तिवारी ने की। मंदिर में माला-फूल की दुकान मैंने सुमित तिवारी को किरायानाम रजिस्टर किया है। मिथलेश पांडे को बड़े हनुमान की इम्पोरियम की दुकान किराए पर दी है। मनीष शुक्ला, शिवेक मिश्रा, अभिषेक को दुकान नंबर एक लड्डू की दुकान किराये में दी है।
दसवां पन्ना..
बलवीर गिरि मेरी समाधि पार्क में नींबू के पेड़ के पास दी जाए। यही मेरी अंतिम इच्छा है। धनंजय विद्यार्थी मेरे कमरे की चाभी बलवीर गिरि महाराज को देना। बलवीर गिरि एवं पंच परमेश्वर निवेदन कर रहा हूं मेरी समाधि पार्क में नींबू के पेड़ के पास लगा देना।
ग्यारहवा पन्ना..
प्रिय बलवीर गिरि, मठ-मंदिर की व्यवस्था का प्रयास करना। जिस तरह से मैंने किया है, उसी तरह से करना। आशुतोष गिरि और नीतेश गिरि एवं मढ़ी के सभी महात्मा बलवीर गिरि का सहयोग करना। परम पूज्य महंत हरि गोविंद गिरि एवं (एक नाम लिखकर काट दिया) बलबीर गिरि को मढ़ी का महंत बनाना। महंत रवींद्र पुरी जी आपने हमेशा साथ दिया। मेरे मरने के बाद बलवीर गिरि का ध्यान दीजिएगा। सभी को मेरा ओम नमो:।
…लेकिन ये सवाल भी अहम
काशी सुमेरू पीठाधीश्वर नरेंद्र नंद सरस्वती जी महाराज ने कहा ये क्षति है, जिसे पूरा नहीं किया जा सकता है। सपने में भी सोचा नहीं था कि महंत जी आत्महत्या करेंगे। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। वे इतना लिखते नहीं थे। न ही कभी लिखा पढ़ी किया। वे सिर्फ साइन ही बना पाते थे। इसका मेरे पास प्रमाण भी है। अप्रैल में मेरी हरिद्वार कुंभ में नरेंद्र गिरी से मुलाकात हुई थी।
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