मजीठिया ड्रग्स केस में SAD के खुलासे: दागी अफसर से करवाई FIR दर्ज; ADGP सिद्धू के मजीठिया से रिश्ते ठीक नहीं, परसों सभी SSP ऑफिस का घेराव
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चंडीगढ़7 मिनट पहले
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पत्रकारों से बात करते परमबंस सिंह रोमाणा।
अकाली नेता बिक्रम मजीठिया के खिलाफ ड्रग्स केस दर्ज करने के बाद अकाली दल हमलावर हो गया है। बुधवार को यूथ अकाली दल के प्रधान परमबंस सिंह बंटी रोमाणा ने कहा कि पंजाब सरकार ने दागी अफसर से यह FIR दर्ज करवाई।
वहीं, जिन ADGP हरप्रीत सिद्धू की रिपोर्ट पर केस दर्ज किया गया, वह मजीठिया परिवार के करीबी रिश्तेदार हैं। हालांकि 14 साल से उनकी आपस में कोई संपर्क नहीं है। ऐसे में बिक्रम मजीठिया से सिद्धू की कैसी रिश्तेदारी होगी, सब समझ सकते हैं। अब अकाली दल शुक्रवार को पंजाब में सभी जिलों में SSP के दफ्तर का घेराव करेंगे।
IG पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज, इसीलिए ADGP की प्रमोशन नहीं हुई
चंडीगढ़ में रोमाणा ने कहा कि जिस IG गौतम चीमा ने केस दर्ज किया, उसके खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज हैं। इनमें एक केस सीबीआई और दूसरा पंजाब पुलिस के पास चल रहा है। उक्त IG के साथ के अफसर ADGP बन चुके हैं। ऐसे में उनका क्या लेन-देन हुआ, जो गलत तरीके से यह FIR दर्ज की गई।
अपनी रिपोर्ट में ही ADGP हरप्रीत सिद्धू ने रिश्तेदारी का जिक्र किया था
कितने केस में DGP सीधे FIR दर्ज करवाते हैं?
रोमाणा ने पूछा कि DGP ने सीधे FIR दर्ज करने के लिए कहा। पंजाब या देश भर में ऐसा कौन सा केस है, जिसे सीधे दर्ज करने को कहा जाता है। मामले की जांच होती है और फिर केस दर्ज होता है। फिर केस किसी थाने में दर्ज होता है। इसमें सरकार ने नया ही मापदंड अपनाकर केस दर्ज कर दिया। इसके लिए दो डीजीपी और ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के 3 डायरेक्टर बदले गए। जब सभी एसएसपी ने जवाब दे दिया तो यह केस क्राइम ब्रांच के थाने में दर्ज किया गया। जिस बनूड़ थाने में ओरिजनल 56 नंबर FIR दर्ज हुई थी, वहां इसे क्यों नहीं दर्ज किया गया?।
सिद्धू की यह कैसी रिपोर्ट, न जांच और न ताजे सबूत
रोमाणा ने कहा कि ADGP हरप्रीत सिद्धू ने खुद अपनी रिपोर्ट में लिखा कि मैंने कोई जांच नहीं की। मेरी रिपोर्ट एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट के लिए बयान और ऑब्जर्वेशन पर आधारित है। ऐसे में इसके लिए कोई ताजे सबूत नहीं लिए गए। फिर यह जांच कैसे हुई?, यह तो हरप्रीत सिद्धू का ओपिनियन है। जिसके आधार पर केस दर्ज कर दिया गया। अगर सबूत होते तो ED खुद इस मामले में चालान पेश करती। ,
बिना हायर कोर्ट की परमिशन के केस दर्ज किया
इस केस के ट्रायल पूरे हुए 3 साल हो चुके हैं। जनवरी 2019 में आरोपियों को सजा मिल चुकी है। इसमें कुछ लोग बरी भी हुए। कोर्ट में पूरे ट्रायल या जजमेंट के दौरान मजीठिया का कहीं कोई नाम नहीं आया। एक बार केस कनक्लूड होने पर उसकी दोबारा जांच के लिए ऊपरी अदालत यानी हाईकोर्ट से परमिशन लेनी चाहिए थी लेकिन पंजाब सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया।
हाईकोर्ट के आदेश पर बनी कमेटी और SIT की रिपोर्ट कहां है?
अकाली नेता रोमाणा ने कहा कि ADGP हरप्रीत सिद्धू की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने एक कमेटी बनाने को कहा था। जिसके बाद सरकार ने डीजीपी और एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (होम) की कमेटी बनाई थी। उनकी रिपोर्ट में क्या आया?, सरकार उसके बारे में क्यों नहीं बता रही? वह रिपोर्ट इस एफआईआर के साथ क्यों नहीं लगाई गई।
इसके अलावा हाईकोर्ट ने ड्रग मामले की जांच के लिए 3 आईजी इश्वर सिंह, नागेश्वर राव और वी नीरजा की एसआईटी बनाई थी। उन्होंने जांच कर इसके 10 सप्लीमेंट्री चालान पेश किए। उसमें मजीठिया का नाम नहीं था तो फिर केस कैसे दर्ज हुआ। वहीं, उन 3 आईजी की रिपोर्ट कहां है?, पंजाब सरकार उसे क्यों छुपा रही है?।
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