मछली ने बनाया करोड़पति: पालघर में मछुआरे के जाल में फंसीं 157 ‘सी गोल्ड’ मछलियां, UP और बिहार के व्यापारियों ने 1 करोड़ 33 लाख में खरीदीं

मछली ने बनाया करोड़पति: पालघर में मछुआरे के जाल में फंसीं 157 ‘सी गोल्ड’ मछलियां, UP और बिहार के व्यापारियों ने 1 करोड़ 33 लाख में खरीदीं

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पालघरएक घंटा पहले

मछलियों को पकड़ने के बाद खुश चंद्रकांत के बेटे सोमनाथ तरे।

महाराष्ट्र के पालघर में एक मछुआरे पर किस्मत कुछ इस कदर मेहरबान हुई कि वह एक झटके में करोड़पति बन गया। पालघर के चंद्रकांत तरे अपने 7 साथियों के साथ समुद्र में मछली पकड़ने गए थे। जब इन लोगों ने समुद्र में जाल डाला, तो ‘सी गोल्ड’ कही जाने वाली दुर्लभ घोल मछलियां इसमें फंस गईं।

माना जा रहा है कि घोल मछलियां झुंड में जा रही थीं, इसीलिए वे एक साथ जाल में फंस गईं।

माना जा रहा है कि घोल मछलियां झुंड में जा रही थीं, इसीलिए वे एक साथ जाल में फंस गईं।

चंद्रकांत की किस्मत इतनी अच्छी थी कि उनके जाल में एक-दो नहीं पूरी 157 घोल मछलियां एक साथ फंस गईं। ये मछलियां 1.33 करोड़ रुपए में बिकीं। मछलियों का ऑक्शन पालघर के मुर्बे में हुआ। चंद्रकांत के बेटे सोमनाथ ने बताया कि उन्होंने हर मछली को करीब 85 हजार रुपये में बेचा।

समुद्र तट से 20 से 25 नॉटिकल माइल अंदर मिलीं सी गोल्ड
सोमनाथ ने बताया कि वे 7 लोगों के साथ हारबा देवी नाम की नाव से समुद्र में 20 से 25 नॉटिकल माइल अंदर वाधवान की तरफ गए थे। इसी दौरान उनके पिता के समुद्र में फैलाए जाल में 157 घोल मछलियां फंस गई। इसके साथ ही नाव पर सवार लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई, क्योंकि यह उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी कमाई वाली ट्रिप बन गई थी।

दवाइयों और कॉस्मेटिक्स में होता है ‘सी गोल्ड’ का इस्तेमाल
घोल मछली का वैज्ञानिक नाम ‘Protonibea Diacanthus’ है। इसे ‘सी गोल्ड’ भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल दवाइयां और कॉस्मेटिक्स बनाने में होता है। थाईलैंड, इंडोनेशिया, जापान, सिंगापुर जैसे देशों में इसकी बहुत मांग है। सर्जरी के दौरान इस्तेमाल होने वाले धागे, जो अपने आप गल जाते हैं, वे भी इसी मछली से बनाए जाते हैं।

घोल मछली का इस्तेमाल दवाइयां और टांके लगाने में इस्तेमाल होने वाले धागे बनाने में होता है।

घोल मछली का इस्तेमाल दवाइयां और टांके लगाने में इस्तेमाल होने वाले धागे बनाने में होता है।

UP और बिहार के व्यापारियों ने खरीदीं मछलियां
समुद्र में प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाने की वजह से अब ये मछलियां किनारे पर नहीं मिलती हैं। इन मछलियों की तलाश में मछुआरों को समुद्र के बहुत अंदर तक जाना होता है। सोमनाथ के मुताबिक, इन मछलियों को UP और बिहार से आए व्यापारियों ने खरीदा है।

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