मंडी के बोर्डिंग स्कूल में 82 बच्चे कोरोना पॉजिटिव: 68 बच्चों को परिजनों के साथ भेजा; स्कूल बंद करने की तैयारी, शिक्षा विभाग ने कहा- SOP का पालन करवाना प्रिंसिपलों का काम

मंडी के बोर्डिंग स्कूल में 82 बच्चे कोरोना पॉजिटिव: 68 बच्चों को परिजनों के साथ भेजा; स्कूल बंद करने की तैयारी, शिक्षा विभाग ने कहा- SOP का पालन करवाना प्रिंसिपलों का काम

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शिमला9 घंटे पहले

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मंडी के बोर्डिंग स्कूल में 82 बच्चे कोरोना पॉजिटिव: 68 बच्चों को परिजनों के साथ भेजा; स्कूल बंद करने की तैयारी, शिक्षा विभाग ने कहा- SOP का पालन करवाना प्रिंसिपलों का काम

हिमाचल में मंडी जिले के डॉ. विजय मेमोरियल सीनियर सेकेंडरी बोर्डिंग स्कूल में कोरोना संक्रमित बच्चों की संख्या 82 पहुंच गई है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी मंडी डॉ देवेंद्र शर्मा का कहना है कि नागरिक अस्पताल धर्मपुर के चिकित्सक, पैरा मैडिकल स्टॉफ को स्थिति पर नज़र रखने के आदेश जारी किए गए हैं। हालांकि सभी छात्र स्वस्थ हैं और उनमें कोरोना के लक्षण नहीं पाए गए हैं। उन्होंने बताया कि 68 छात्रों को उनके अभिभावकों के साथ घर भेजा जा चुका है। जैसे ही यह सभी छात्र भी ठीक हो जाएंगे, इन्हें भी घर भेज दिया जाएगा और उसके बाद आगामी आदेशों तक डे बोर्डिंग स्कूल को बंद कर दिया जाएगा। डॉक्टरों की टीम लगातार यहां पर चेकिंग कर रही है।

इससे पहले जिला प्रशासन ने शिक्षा विभाग के जिला अधिकारियों से मामले में रिपोर्ट तलब की। उधर शिक्षा विभाग के शिमला निदेशालय ने जांच के निर्देश जारी कर दिए। अब प्रशासन की एक टीम स्कूल का दौरा कर रिपोर्ट बनाकर जिला प्रशासन और सरकार को सौंपेगी। जांच के लिए आदेश के बाद डिप्टी डायरेक्टर इंस्पेक्शन चिरंजी लाल के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया है। इसमें मंडी डाइट के प्रिंसिपल, धर्मपुर सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल और अधिकारी शामिल हैं। टीम मौके पर पहुंचकर जांच करेगी। यह टीम रिपोर्ट तैयार करके डिप्टी डायरेक्टर हायर एजुकेशन को सौंपेगी। इसके बाद यहां से रिपोर्ट सरकार को भेजी जाएगी। वहीं जिसकी लापरवाही सामने आएगी उस पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. अमरजीत सिंह का कहना है कि मंडी के डिप्टी डॉयरेक्टर से रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट आने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी।

बोर्डिंग स्कूल में कबड्‌डी का मुकाबला खेलते विद्यार्थी।

बोर्डिंग स्कूल में कबड्‌डी का मुकाबला खेलते विद्यार्थी।

स्कूलों को एसओपी के पालन करने के निर्देश

शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्कूलों को खोलने से पहले प्रिंसिपल को मानक संचालन प्रक्रिया( SOP) जारी की गई है। जिसमें स्कूलों में एसओपी का पालन करवाना प्रिंसिपल की जिम्मेदारी तय की गई थी। एसओपी में बच्चों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का प्रयोग करना, लक्षण मिलने पर टेस्ट कराना, एक-एक कमरे में 5-5 फुट की दूरी पर बच्चों के सोने का प्रबंध करना, खाना खाने वाली जगह पर ज्यादा भीड़ का इकट्ठा न होना, स्कूल को सैनिटाइज करना समेत बच्चों के सोने वाली जगहों पर साफ-सफाई और उसे भी लगातार सैनिटाइज करना प्रमुख है।

26 जुलाई को चेकिंग के लिए बनाई गई है एक टीम

स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी(SDMA)ने शिक्षा विभाग को एसओपी बनाने के आदेश दिए थे। जिसमें कहा गया था कि सभी स्कूलों को खोलने को लेकर एसओपी तैयार करें। इसे तैयार करने के बाद 26 जुलाई को एक निरीक्षण टीम का भी गठन किया गया था। जिसमें संबंधित जिला के डिप्टी डायरेक्टर इंस्पेक्शन, डाइट प्रिंसिपल, एक सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल समेत अधिकारियों को शामिल किया गया है।

इसमें साफ कहा गया था कि अगर किसी भी सरकारी या प्राइवेट स्कूल में कोई भी कोरोना संक्रमित पाया जाता है तो उन्हें इस टीम को सूचित करना होगा। टीम मौके पर जाकर मुआयना करेगी और जरूरी दिशा निर्देश जारी करेगी। डिप्टी डायरेक्टर इंस्पेक्शन चिरंजीलाल का कहना है कि स्कूल की तरफ से उन्हें अभी तक ऐसी कोई भी जानकारी नहीं दी गई है। उन्हें केवल मीडिया के माध्यम से ही बच्चों के संक्रमित होने का पता चला है।

किसी भी तरह की कोई टीम नहीं बनी

शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि ऐसी किसी भी तरह की टीम का गठन नहीं किया गया है। जो यहां पर जाकर रेंडम चेकिंग करेगी। लेकिन डिप्टी डायरेक्टर इंस्पेक्शन के नेतृत्व में जो टीम तैयार की गई है। वह रोजाना स्कूलों की चेकिंग करती है। मंडी जिला में 2189 स्कूल हैं। रोजाना 20 से 30 स्कूलों की चेकिंग की जाती है।

आखिर बच्चों के संक्रमित होने के बाद जिम्मेदार कौन?

अब सवाल यह खड़ा हो गया है कि बच्चों के संक्रमित होने के पीछे जिम्मेदार कौन है?, क्योंकि सरकार ने बोर्डिंग स्कूलों को खोलने के निर्देश दे दिए। एसडीएमए ने शिक्षा विभाग को एसओपी बनाने के आदेश दिए। शिक्षा विभाग ने एसओपी बनाकर स्कूल के प्रिंसिपल को सौंप दी। वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ऐसी किसी भी तरह की कोई टीम गठित नहीं है, जो यह देखे कि स्कूलों में एसओपी की पालन हो रही है या नहीं। यह प्रिंसिपलों का काम है कि वह अपने स्कूल में एसओपी की पालन करवाएं। अगर उनके स्कूल में कोई संक्रमित बच्चा या टीचर मिलता है तो एक टीम बनाई जाएगी। जो वहां पर जाकर स्कूलों को जरूरी दिशा निर्देश देकर स्थिति को कंट्रोल करने में मदद करेगी। लेकिन उन्हें टीम को यह जानकारी देनी होगी। सभी अपनी जिम्मेदारियों से बच रहे हैं।

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