भास्कर एक्सक्लूसिव: सड़क नहीं बल्कि जंगल में असम और मिजोरम की पुलिस ने कैंप बनाए; हथियार लेकर जवान तैनात, दो देशों के बॉर्डर जैसा नजारा
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- The Police Of Assam And Mizoram Set Up Camps In The Forest, Not The Road; Soldiers Deployed With Weapons, Atmosphere Like Border Of Two Countries
नई दिल्लीएक दिन पहलेलेखक: अक्षय वाजपेयी, असम-मिजोरम के सरहदी इलाके वैरेंगटे से
यह तस्वीर असम-मिजोरम बॉर्डर के लैलापुर की है। 26 जुलाई की हिंसा में तोड़ी गई गाड़ियां जहां-तहां अभी भी सड़कों पर दिख जाती हैं। CRPF ने जगह-जगह बैरिकेड लगा रखे हैं और कड़ी पूछताछ के बाद ही एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने की इजाजत मिलती है।
- 10 जुलाई से ही दोनों राज्यों की पुलिस आमने-सामने, मिजोरम जमीन पर, तो असम की पुलिस पहाड़ पर तैनात
- जवान लाइट मशीन गन (LMG) से लैस, एक-दूसरे पर ऐसे निगाह रख रहे जैसे दुश्मन देश हों
नॉर्थ ईस्ट के राज्य असम और मिजोरम के बीच सड़क पर और शहर में तो हालात सामान्य दिख रहे, पर जंगल में माहौल तनावपूर्ण है। मिजोरम के कोलासिब में आने वाले वैरेंगटे से करीब 20 किमी दूर बुराचेप में दोनों राज्यों की पुलिस आमने-सामने है।
पहाड़ों की ऊंचाई पर असम पुलिस ने कैंप बना रखे हैं। जहां जवान LMG लिए खड़े हैं। वहीं पहाड़ के नीचे मिजोरम पुलिस के कैंप बने हुए हैं। यहां भी जवानों के पास LMG हैं। 26 जुलाई को दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद को लेकर फायरिंग हुई थी, जिसमें असम के 6 पुलिस वाले शहीद हो गए थे। इस घटना के बाद पहली बार इन कैम्प के फोटो और वीडियो भास्कर सामने लाया है।
हमने उसी ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर पूरी स्थिति का मुआयना किया। पढ़िए ग्राउंड से ये डिटेल रिपोर्ट…
असम के कछार जिले में आने वाले लैलापुर में पुलिस पेट्रोल पोस्ट पर CRPF के जवान तैनात हैं। यही रास्ता असम से मिजोरम को जोड़ता है। 26 जुलाई को इसी इलाके में असम और मिजोरम की पुलिस आमने-सामने आ गई थी और गोली चली, जिसमें 7 लोग मारे गए।
2 अगस्त, सोमवार सुबह 8 बजे हम लैलापुर पहुंचे तो हमें CRPF ने जांच के लिए रोका। नाम और प्रेस कार्ड दिखाने के बाद आगे जाने की परमिशन मिली। कुछ दूर चलने के बाद CRPF का एक और बैरिकेड मिला। यहां भी पूरी डिटेल नोट करवाई गई। जगह-जगह लगे बैरिकेड्स के अलावा रास्ते में भी CRPF जवान गन लेकर गश्त कर रहे हैं। मिजोरम में एंट्री के पहले हमने CRPF का तीसरा बैरिकेड मिला। यहां भी पूछताछ की गई, तब आगे जाने दिया गया।
असम के कछार जिले में आने वाले लैलापुर के रास्ते मिजोरम जाने के दौरान हमें ऐसे तीन चेक पोस्ट मिले, जहां पर प्रेस कार्ड देखने और एंट्री करने के बाद ही आगे बढ़ने दिया गया। बीती 26 जुलाई को इसी क्षेत्र में असम-मिजोरम पुलिस सीमा विवाद को लेकर भिड़ गई थी।
तीसरे चेक पोस्ट के बाद हम उस जगह पहुंचे जहां 26 जुलाई को दोनों राज्यों के बीच हिंसा हुई थी। सड़क पर ही कुछ जली हुई गाड़ियां खड़ी दिखीं। एक बस भी खड़ी थी, जिसके कांच टूटे-फूटे थे। इस पर लाल अक्षरों से मिजोरम लिखा था। यहां से आगे बढ़ते हुए हमें मिजोरम पुलिस का एंट्री गेट मिला।
खास बात ये कि मिजोरम की जहां से सीमा शुरू होती है, वहां CRPF नहीं बल्कि मिजोरम पुलिस तैनात है। हमारे वाहन को अंदर जाने से पहले रोका गया, फिर मीडिया का बताने पर लिखा-पढ़ी कर एंट्री दी गई। इस चेक पोस्ट के बाद दो और बैरिकेड्स को क्रॉस करते हुए हम वैरेंगटे पुलिस चेक गेट पर पहुंचे। यहां फिर एंट्री की गई।
वैरेंगेट पुलिस चेक गेट पर हमें मिजोरम पुलिस की तरफ से नियुक्त की गईं मीडिया ऑफिसर मेजर कैरोलिन मिलीं। उन्होंने बताया, ‘लैलापुर में तो दोनों राज्यों के बीच झड़प 26 जुलाई को हुई है, लेकिन टेंशन 10 जुलाई से ही शुरू हो चुका था। क्योंकि असम की पुलिस हमारे एरिया में दाखिल हुई और उन्होंने पहाड़ों पर बने सुपाड़ी के बागानों को उजाड़ दिया और वहां अपने कैंप बना लिए। इसी के बाद से लोगों में गुस्सा था, जिसकी प्रतिक्रिया 26 जुलाई को देखने को मिली।’
असम का लैलापुर इलाका पार करने के बाद मिजोरम का वैरेंगटे इलाका शुरू होता है। लेकिन दोनों राज्यों में सुरक्षा बलों की तैनाती में फर्क नजर आता है। असम की सीमा के चेक पोस्ट पर CRPF तैनात थी, जबकि मिजोरम में मिजोरम पुलिस के जवान तैनात नजर आए।
आईतलांग, बुराचेप में दोनों राज्यों की पुलिस आमने-सामने
हम कैरोलिन के साथ आईतलांग और बुराचेप की मौके की स्थिति जानने पहुंचे। वैरेंगटे पुलिस चेक गेट से कुछ ही दूरी पर स्थित एक घर की छत से हमें पहाड़ पर बने कैंप दिखाए गए। स्थनीय निवासी रॉकी ने कैंप की तरफ इशारा करते हुए बताया कि, यह एरिया वैरेंगटे में आता है। हम यहां सालों से खेती-बाड़ी कर रहे हैं, लेकिन 29 जून को असम के दो सौ से ज्यादा जवान यहां घुस आए और खेतों को उजाड़ दिया। हमने अपनी पुलिस के साथ मिलकर उन्हें रोकने की कोशिश की। फिर भी उन्होंने पहाड़ पर कैंप बना लिए।
वैरेंगटे में मिजोरम पुलिस ने कुछ इस तरह के कैंप बना लिए हैं। इनमें जवानों के रहने की अस्थाई व्यवस्था है। मिजोरम सरकार का आरोप है कि असम पुलिस ने इस इलाके में रहने वाले किसानों की फसल उजाड़ी, इसी के बाद हिंसा भड़की।
बारिश के कारण आईतलांग तक जाना संभव नहीं था, क्योंकि घने जंगल के बीच से कच्ची सड़क का रास्ता है, जो बारिश में आने-जाने लायक नहीं रहता। हमने दूरबीन से देखा तो पुलिस के पांच से छह कैंप नजर आए। इसमें एक कैंप मिजोरम पुलिस का है और तीन से चार कैंप असम पुलिस के हैं।
आईतलांग की स्थिति जानने के बाद हम बुराचेप के लिए आगे बढ़े। बुराचेप वैरेंगटे में ही आने वाला एक छोटा कस्बा है। यहां पहाड़ों पर खेती की जाती है। इसमें सुपाड़ी और पान उगाए जाते हैं। वहीं जिन पहाड़ों के बीच में थोड़ी-थोड़ी जगह है, वहां थोड़ा बहुत धान लगाया जाता है। यह वैरेंगटे पुलिस चौकी से करीब 20 किमी दूर है।
यह मिजोरम के वैरेंगटे इलाके में आने वाले छोटे से कस्बे बुराचेप का बाजार है। बुराचेप के लोगों ने बताया कि 10 जुलाई को असम पुलिस JCB लेकर पहुंची और सड़क बनाने के लिए हमारी फसल उजाड़ दी। इसके बाद से दोनों राज्यों के बीच तनाव के हालात थे।
हमें दो से तीन किमी की पैदल दूरी तय करनी पड़ी क्योंकि यहां गाड़ियां आना-जाना नहीं कर सकतीं। बुराचेप में पहुंचते ही नीचे की तरफ मिजोरम पुलिस के छह से सात कैंप दिखे। पहाड़ों पर असम पुलिस के दो-तीन कैंप नजर आए। बेराचुप फेनुअम पंचायत में आता है। मौके की जानकारी के लिए हमने फेनुअम पंचायत के सदस्य लफामकिमा को अपने साथ ले लिया था। उनके अलावा हमारे साथ कैरोलिना, लल्हलिम्पुइया, एच चुनाना, रॉकी लालचंदमा, लालरेमरूता और ह्रुइमाविया भी थे। ये भी मिजोरम के ही स्थानीय लोग हैं।
बुराचेप में भी मिजोरम पुलिस ने इस तरह के कैंप बना रखे हैं। जबकि ऊपर पहाड़ियों पर असम पुलिस के कैंप हैं। स्थानीय लोगों ने दूरबीन की मदद से हमें ऊपर पहाड़ियों पर बने असम पुलिस के कैंप दिखाए। दोनों ओर के जवान लाइट मशीन गन जैसे हथियारों से लैस हैं और 24 घंटे एक दूसरे की निगरानी कर रहे हैं।
लफाकमिमा ने बताया कि 10 जुलाई को सौ से ज्यादा असम पुलिस के जवान बुराचेप गांव में JCB लेकर आए और रोड बनाने लगे। हम दस-बीस आदमी काम बंद कराने गए, क्योंकि यह हमारा गांव है और हमारी जमीन है। यहां हम सालों से पहाड़ों पर खेती करते आ रहे हैं, लेकिन उन्होंने हमें मारा। उन्होंने हमारे सुपाड़ी बागान में कैंप बना लिए। इसके जवाब में हमारी पुलिस ने भी कैंप बना लिए। हम 70 साल से यहां खेती कर रहे हैं, लेकिन ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, जो अब हो रहा है।
असम से गाड़ियां नहीं आ रहीं मिजोरम, सप्लाई पूरी तरह बंद
असम और मिजोरम को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे पर सन्नाटा है। 26 जुलाई की हिंसा के बाद से असम की ओर से कॉमर्शियल गुड्स की एक भी गाड़ी नहीं आई है। मिजोरम खाने-पीने और रोजमर्रे के सामान की सप्लाई के लिए बहुत हद तक असम पर ही निर्भर है।
नेशनल हाईवे 306 असम से मिजोरम को जोड़ता है। मिजोरम में जरूरतें की चीजें जैसे खाने-पीने का सामान, तेल, गैस, कपड़े आदि की सप्लाई असम से ही होती है। 26 जुलाई को दोनों राज्यों के बीच हिंसा होने के बाद से असम से कोई भी कॉमर्शियल गुड्स मिजोरम नहीं आया है।
मिजोरम चेक पोस्ट से मिली जानकारी के मुताबिक 26 जुलाई से 2 अगस्त की शाम 5 बजे तक मिजोरम से असम कुल 421 वाहन गए। जिनमें निजी और कमर्शियल वाहन दोनों शामिल थे, लेकिन असम से मिजोरम में सिर्फ CRPF और मीडिया की गाड़ियों ने ही एंट्री ली।
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