भारत और रूस के बीच हथियारों की डील: 70 हजार AK-103 असॉल्ट राइफल खरीदेगी वायुसेना, मौजूदा इंसास को बदलने की तैयारी
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नई दिल्ली39 मिनट पहले
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इंडियन एयर फोर्स (IAF) ने रूस से 70 हजार AK-103 असॉल्ट राइफलों की खरीदने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है। यह डील पुरानी हो चुकी इंसास की खेप को बदलने के लिए की गई है। खूफिया एजेंसियों ने भारत में सक्रिय आतंकवादी समूहों को अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों द्वारा छोड़े गए हथियार मिलने की आशंका जताई है। ऐसे में इस डील को अहम माना जा रहा है।
सुरक्षाबलों को है 6.5 लाख राइफलों की जरुरत
300 करोड़ रुपए की यह डील पिछले हफ्ते एयरफोर्स और रुस के बीच साइन की गई थी। इंडियन एयर फोर्स को 1.5 लाख नई असॉल्ट राइफल की जरुरत है। यह हथियार संवेदनशील एयर बेस के साथ जम्मू-कश्मीर, श्रीनगर जैसे क्षेत्रों में सैनिकों के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे।
जरुरत के बाकी हिस्से की सप्लाई AK-203 को बनाने के लिए होने वाले समझौते के बाद पूरी होगी। इन एडवांस AK-203 का निर्माण भारत में रूस के सहयोग से किया जाएगा। AK-203 असॉल्ट राइफलों की यह डील आर्मी के जरिए की जा रही है। आर्मी को सैनिकों की लिए करीब 6.5 लाख राइफलों की जरुरत है।
नेवी के मरीन कमांडो के पास पहले से मौजूद नए AK-103 असॉल्ट राइफल
IAF की जरुरत के एक छोटे से हिस्से को करीब 4 हजार सिग सॉयर (Sig Sauer) असॉल्ट राइफलों की खरीद से पूरा किया गया था। इसे इंडियन आर्मी ने एक बड़ी आर्म कान्ट्रैक्ट के तहत खरीदा था। पिछले कुछ सालों के भीतर पूर्वी लद्दाख के मोर्चे पर चीनी हमले के बाद भारतीय सुरक्षा बलों ने हथियारों की खरीद को तेज कर दिया है।
सैनिकों को पहले ही 16 हजार से अधिक नेगेव लाइट मशीन गन के साथ 1.54 लाख अमेरिकी सिग सॉयर दिए जा चुके हैं। इंडियन नेवी के मरीन कमांडो पहले से ही AK-103 असॉल्ट राइफलें का कश्मीर घाटी के आपरेशन में प्रयोग करते आए हैं। इंडियन आर्म्ड फोर्स को इन हथियारों से लड़ाई के समय तैयारियों में मदद मिलेगी।
1 साल के भीतर डिलीवर होंगे हथियार
सुरक्षाबलों को अपनी जरुरत के मुताबिक हथियार खरीदने की छूट दी गई है। इन हथियारों की डिलीवरी एक साल के भीतर हो जाएगी। AK-103 पुराने और घातक AK-47 का अपग्रेडेड वर्जन है। यह राइफल देश भर में एयरबेस पर तैनात गरुड़ स्पेशल फोर्स को भी दी जाएंगी।
IAF को लंबे समय से अपग्रेडेड हथियारों की जरुरत थी, लेकिन 2016 में पठानकोट हमले के बाद इनकी खरीद में तेजी आई। IAF इस समय तकनीकी क्षमताओं के साथ सैनिकों की व्यक्तिगत युद्ध क्षमताओं पर भी जोर दे रहा है।
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