बिटकॉइन की कीमतों में तेजी: 62 हजार डॉलर के पार हुआ बिटकॉइन, इस महीने अब तक 29% बढ़ा
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नई दिल्ली3 घंटे पहले
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बिटकॉइन की कीमत 62 हजार डॉलर के पार पहुंच गई है। इस समय बिटकॉइन 62,070 डॉलर के करीब ट्रेड कर रहा है। इससे पहले 15 अक्टूबर को बिटकॉइन ने 60 हजार का लेवल पार किया था। अप्रैल 2021 के बाद ऐसा पहली बार हुआ था जब बिटकॉइन 60 हजार डॉलर के पार गया था।
इस महीने में 29% बढ़ा बिटकॉइन
अक्टूबर में अब तक 18 दिन में ही बिटकॉइन 29% बढ़ा है। 1 अक्टूबर को बिटकॉइन की कीमत 48,160 डॉलर पर थी जो अब 62,070 पर पहुंच गई है। इसके अलावा अन्य क्रिप्टो करेंसी की बात करें तो एथेरियम 1 अक्टूबर को 3,306 डॉलर पर था जो अब 3,851 पर पहुंच गया है। वहीं पोलकाडाट 42 डॉलर पर पहुंच गया है जो 1 अक्टूबर को 31 डॉलर पर था।
क्यों आ रही तेजी?
अमेरिकी रेगुलेटर्स क्रिप्टोकरेंसी के लिए पहले फ्यूचर्स एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) को हरी झंडी दे सकता है। इसी के चलते बिटकॉइन की कीमतों में तेजी आई है। आंकड़ों के अनुसार, यह डिजिटल करेंसी एक महीने में 28.74% बढ़कर 62,070 डॉलर पर पहुंच गई है। अमेरिकी सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ETF को अगले सप्ताह तक कारोबार करने की मंजूरी दे सकता है।
बिटकॉइन की कीमत में आएगी और तेजी
जानकारों का मानना है कि बिटकॉइन की कीमतों में यहां से अच्छी तेजी दिखेगी। हो सकता है कि अगले साल यह 90 हजार डॉलर तक के आंकड़े को पार कर जाए। हालांकि इस साल के अंत तक इसकी कीमत 60 हजार डॉलर तक जा सकती है। बिटकॉइन की कीमत 3 महीने पहले 32 हजार डॉलर पर चली गई थी। जबकि पोलकाडाट की कीमत 22 डॉलर पर पहुंच गई थी।
भारत में 12-14 क्रिप्टो के एक्सचेंज हैं जो कारोबार करते हैं। भारत में क्रिप्टोकरेंसी में रोजाना का टर्नओवर 1,000-1500 करोड़ रुपए का है। देश में क्रिप्टो करेंसी में 1 से 1.20 करोड़ निवेशक हैं।
क्रिप्टो करेंसी है क्या?
यह आपके रुपए, डॉलर, येन या पाउंड जैसी ही करेंसी है। पर यह डिजिटल यानी वर्चुअल है। क्रिप्टोग्राफी के सिद्धांत पर काम करती ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से ही यह वर्चुअल करेंसी बनी है। इसी वजह से इसे क्रिप्टोकरेंसी कहते हैं।
जब आप रुपए, डॉलर, येन या पाउंड की बात करते हैं तो उस पर उसे जारी करने वाले देश के केंद्रीय बैंक का नियंत्रण होता है। यह करेंसी कितनी और कब छपेगी, वह यह देश की आर्थिक परिस्थिति को देखकर तय करते हैं। पर क्रिप्टोकरेंसी पर किसी का कंट्रोल नहीं है, यह पूरी तरह से डिसेंट्रलाइज्ड व्यवस्था है। कोई भी सरकार या कंपनी इस पर नियंत्रण नहीं कर सकती। इसी वजह से इसमें अस्थिरता भी है। यह डिस्ट्रिब्यूटेड सिस्टम पर काम करती है, जिसे न तो कोई हैक कर सकता है और न ही किसी तरह की छेड़छाड़।
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