बागी बरागटा से विशेष बातचीत: चेतन बोले- BJP के बड़े नेताओं ने नामांकन वापसी के लिए धमकाया, कहा- नहीं तो करियर खराब हो जाएगा
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शिमला26 मिनट पहले
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हिमाचल प्रदेश की जुब्बल-कोटखाई सीट पर BJP से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे चेतन बरागटा ने कहा है कि नामांकन वापसी के लिए उन्हें बहुत डराया-धमकाया गया। राजनीतिक करियर खराब होने की बात तक कही। वह जब नहीं माने तो उन्हें एक साजिश के तहत पार्टी से निष्कासित कर दिया। बरागटा ने कहा कि वह अब न तो BJP वाले हैं न ही कांग्रेस वाले, वह तो केवल सेब वाले हैं। BJP में वापस जाने की बात पर चेतन ने खुलकर कहा कि वह क्षेत्र की जनता के कहने पर मैदान में उतरे हैं, अब जनता ही इसका भी फैसला करेगी। दैनिक भास्कर ने चेतन बरागटा से कुछ विशेष मुद्दों पर विस्तृत बात की। पेश है इस बातचीत के कुछ अंश…
दैनिक भास्कर : BJP से बगावत कर राजनीतिक करियर दांव पर नहीं लगा दिया…?
बरागटा : 15 साल संगठन को दिए। 2010 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के ऑल इंडिया सोशल मीडिया हेड के रूप में जिम्मेदारी संभाली। 8 साल तक सोशल मीडिया नेशनल हेड रहा। 2018 से लेकर निष्कासन तक भाजपा आईटी सेल का हेड रहा। अब जहां तक मेरे राजनीतिक करियर का सवाल है, वह जुब्बल-कोटखाई की जनता तय करेगी। क्योंकि BJP ने पार्टी से निकाला है तो जनता के कहने पर ही चुनाव मैदान में उतरा हूं। यह लड़ाई अब मेरी नहीं क्षेत्र की जनता की प्रतिष्ठा की लड़ाई है। अपना सब कुछ और राजनीतिक करियर भी जनता के भरोसे ही छोड़ दिया है।
दैनिक भास्कर : नामांकन वापस लेने के लिए किसी भी तरह का कोई प्रेशर था…?
बरागटा : दिल्ली और BJP के प्रदेश नेतृत्व ने नामांकन वापसी के लिए लगातार प्रेशर बनाया। डराया गया कि मेरा राजनीतिक करियर खराब हो जाएगा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर समेत BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से भी बात हुई। वे सभी चाहते थे कि मैं पीछे हट जाऊं। इसके लिए कई तरह की तिकड़न लड़ाई गई। लेकिन मैंने जुब्बल-कोटखाई की जनता के कहने पर मैदान नहीं छोड़ा और अब भी डटा हुआ हूं। पार्टी की प्रेशर के आगे झुकने की बजाय सामने जनता की आवाज सुनना बेहतर समझा।
दैनिक भास्कर : BJP ने अंत समय में टिकट काट दी, क्या कारण रहा…?
बरागटा : सोची समझी चाल के तहत पार्टी से निकाला गया। पहले पिता स्व. नरेंद्र बरागटा के साथ ऐसा किया गया, मंत्री बनाने का बात कहकर भी पार्टी ने उन्हें दरकिनार कर दिया। अब BJP के आला नेताओं ने पिता के देहांत के 15 दिन बाद ही फोन कर फील्ड में निकलने और चुनावों में डट जाने के लिए कहा। 3-4 महीने में फील्ड में घूम कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया। उसके बाद ऐसे निकाल कर साइड कर दिया जैसे चाय में गिरी मक्खी हूं। चुपके से किसी और को बैक डोर से टिकट थमा दिया गया। खुद समझ नहीं आया कि ऐसा कैसे हो गया। अब धीरे-धीरे बात समझ में आ रही है कि उन्हें राजनीतिक रूप से खत्म करने की साजिश थी जिसे चरणबद्ध तरीके में रचा गया। पहले फील्ड में उतारा, उसके बाद किनारे कर टिकट काटा और फिर BJP से बाहर कर दिया गया।
दैनिक भास्कर : क्या इसे परिवारवाद मानते हैं या फिर गुटबाजी का शिकार हुए…?
बरागटा : पहले पहल तो लगा कि यह परिवारवाद के कारण हुआ, लेकिन अब बातें खुल रही हैं तो इसके में एक सोची समझी साजिश सामने आ रही है। क्योंकि पार्टी में कई ऐसे नेता हैं जिनके बेटे भी मंत्री या विधायक हैं। गुटबाजी को लेकर तो कुछ नहीं कह सकता, क्योंकि जितना काम अनुराग ठाकुर के लिए किया उतना ही जयराम ठाकुर के लिए भी किया। मैंने पार्टी के लिए सोचा और पार्टी के लिए काम किया। ऐसे में गुटबाजी हुई है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
दैनिक भास्कर : चुनाव चिह्न सेब मिला है… क्या मानते हैं…?
बरागटा : जुब्बल-कोटखाई का इलाका सेब उत्पादन वाला इलाका है। यह पिता स्व. नरेंद्र बरागटा और देवी-देवताओं का आशीर्वाद है कि चुनाव चिह्न सेब मिला है। दे बड़ी पार्टियों के प्रत्याशियों के सामने चुनाव मैदान में उतरते समय इसे एक वरदान के रूप में देखता हूं।
दैनिक भास्कर : क्षेत्र के लिए क्या नई प्राथमिकता हैं…?
बरागटा : प्राथमिकता सिर्फ और सिर्फ बागवान और उनकी बागवनी। पिता नरेंद्र बरागटा का सेब और सेब उत्पादकों के लिए लड़ते हुए स्वर्गवास हो गया। इस सेब उत्पादक क्षेत्र विकास के लिए जो उनका विजन था उसे ही आगे लेकर जाएंगे। पिता के सपने ने राह आसान कर दी है, विकास का ब्लूप्रिंट सामने है और आधारशिला रखी जा चुकी है। अब नई सोच और नई तकनीक के सहारे इसे आगे बढ़ाना है।
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