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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक(Tokyo Olympic) का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। उससे पहले आपको मिलवाते हैं उन खिलाड़ियों से जो अपने खेल के अकेले महारथी हैं। और अपनी अपनी विधाओं में भारत का परचम बुलंद करने की उम्मीदों के साथ टोक्यो रवाना हुए हैं।
मीराबाई चानू (Mirabai Chanu)
मीराबाई चानू बचपन से अपने पिता के साथ जंगल में लकड़ियां बीनने का काम करती थीं। उन्हें क्या पता था कि बचपन में घर चलाने के लिए जो काम कर रही हैं वही काम उनकी तकदीर का सितारा चमका देगा। चानू के नन्हें हाथ तो तब से ही मजबूत थे जब से वो लकड़ी का भारी गट्ठर उठा कर घर तक लाती थीं. वही ट्रेनिंग अब खेल के मैदान में काम आई। जहां इंफाल के गांव नोंगपोक ककचिंग की चानू अपना ही नहीं पूरे देश का नाम रोशन करने का माद्दा रखती हैं।
मीराबाई चानू के बड़े भाई ने बहन को वजन उठाते हुए देखा तो उसे वेटलिफ्टर बनाने की ठान ली। फिर शुरू हो गई इम्फाल स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया में वेटलिफ्टिंग(Weightlifting) की ट्रेनिंग। भारत को अपने इस वेट लिफ्टर(Weight-Lifter) से ओलिंपिक खेलों के दूसरे दिन एक मेडल की उम्मीद है।
सी.ए भवानी देवी(C.A Bhavani Devi)
भवानी देवी ने ओलंपिक में क्वालिफाइ कर इतिहास रच दिया हैं। ओलंपिक इतिहास में पहली बार भवानी फेंसिग(Fencing) में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।
हांलाकि उनका यह सफर बिल्कुल भी आसान नहीं रहा हैं। पिछली साल ही उन्होंने कोरोना के कारण अपने पिता को खोया हैं और उनकी मां भी कोविड पॉजीटीव होने के कारण अस्पताल में भर्ती रही थी। भवानी की तरह ही उनकी मां भी एक वॉरियर हैं, उन्होंने अपने बच्चे के सपने को पूरा करने के लिए अपने गहने तक गिरवी रख दिए थे।
प्रणति नायक(Pranati Nayak)
दीपा करमाकर के बाद प्रणति नायक ओलंपिक के जिमनास्टिक्स(Gymnastics) इवेंट में क्वालिफाइ करने वाली दूसरी खिलाड़ी हैं। पश्चिम बंगाल के मिदनापुर की रहने वाली एक निजी बस चालक की जिमनास्ट(gymnast) बेटी ओलंपिक में भारत का परचम लहराने के लिए तैयार हैं।
सुशीला देवी लिकमाबाम(Sushila Devi Likmabam)
सुशीला देवी लिकमाबाम इंफाल के पूर्वी जिले में स्थित हिंगांग मयाई लीकाई की रहने वाली हैं। सुशीला ने शुरू से ही जूडो(Judo) में एक चैंपियन बनने के संकेत दिखाए जिसके बाद उनके चाचा लिकमबम दीनित जो खुद एक अंतरराष्ट्रीय जूडो(Judo) खिलाड़ी रहे हैं सुशीला को अपने साथ ले गए और भारतीय खेल प्राधिकरण और स्पेशल एरिया गेम्स के तहत ट्रेनिंग कराई।
फवाद मिर्जा(Fouaad Mirza)
बेंगलुरु के फवाद मिर्जा भारत को 20 साल बाद ओलंपिक कोटा दिलाने वाले घुड़सवार(Hore-Rider) बने। ओलंपिक के लिए क्वालिफाइ करने वाले फवाद तीसरे भारतीय घुड़सवार हैं। घुड़दौड़ में भारत की जीत का दारोमदार उन्हीं के कंधों पर है।
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