फायरवर्क्स सिटी शिवकाशी से ग्राउंड रिपोर्ट: संकट में पटाखा इंडस्ट्री, 6 हजार करोड़ का कारोबार, पटाखाें का स्टॉक तो है, लेकिन खरीदार नहीं, इस बार उत्पादन 45% कम
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6 मिनट पहले
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शिवकाशी में 1,070 पंजीकृत और करीब इतनी ही गैरपंजीकृत इकाइयों में पटाखे बनाए जाते हैं।
तमिलनाडु का शिवकाशी शहर देश की फायरवर्क्स सिटी के नाम से मशहूर है। यहां का लगभग हर परिवार त्योहारों के उल्लास में अपना योगदान देता है। देश के 90% पटाखे इसी शहर में बनते हैं। शिवकाशी में 1,070 पंजीकृत और करीब इतनी ही गैरपंजीकृत इकाइयों में पटाखे बनाए जाते हैं। इनमें आठ से 10 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार मिला है। दिवाली को 15 दिन बचे हैं, लेकिन इस बार भी पटाखा निर्माताओं में पहले सा उत्साह नहीं है। डीलर्स के पास बड़ी मात्रा में स्टॉक रखा है। कई निर्माताओं ने उत्पादन 50% तक घटा दिया है।
तिरुमुरुगन फायर वर्क्स के मुरुगेशन कहते हैं, ‘तीन साल से दिवाली पर पटाखों पर प्रतिबंध लग रहा है। कई निर्माताओं और डीलर्स के पास बड़ी मात्रा में पटाखे बचे हैं। दिल्ली और एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध लग चुका है। शिवकाशी की पटाखा इंडस्ट्री करीब 6,000 करोड़ रुपए की है। इसमें दिल्ली और एनसीआर की करीब 15% यानी 900 करोड़ रुपए की हिस्सेदारी है।
बड़ी कंपनियां तो कोरोना-पूर्व की तरह पटाखों के निर्माण का जोखिम ले रही हैं, लेकिन छोटे और मध्यम स्तर की निर्माण इकाइयां कुल क्षमता का सिर्फ 50% ही काम कर रही हैं।’ कई निर्माताओं का मानना है कि डीलर, खासकर जो उत्तर भारत के हैं, शिवकाशी से माल उठाने पर संशय में हैं। पटाखा उद्योग की निर्यात क्षमता के बारे में उद्योग विशेषज्ञ अमरनाथ ने कहा, कोलम्बो और सिंगापुर से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) पाने में कठिनाई के कारण शहर से निर्यात 1997 से बंद था।
तमिलनाडु सरकार से उद्योग को अपने खोए कारोबार को पुनर्जीवित करने के लिए एनओसी की सुविधा देने करने की अपील की है। यदि एनओसी मिलती है, तो हम 2,000 कंटेनर पटाखा निर्यात कर सकते हैं। एस्पायर फायरवर्क्स फैक्टरी के काथिरवेल कहते हैं, ‘नए ऑर्डर में 60% की गिरावट है। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे दक्षिणी राज्यों में स्टॉक की गति बहुत सुस्त है।
जितने पटाखे सालभर बिकते हैं, उसका 80% सिर्फ दिवाली पर
फेडरेशन ऑफ तमिलनाडु फायरवर्क्स ट्रेडर्स के जनरल सेक्रेटरी एन एलंगोवन ने कहा, ‘हम बिक्री के लिए दिवाली पर निर्भर हैं। हर साल लगभग 3,500 करोड़ रुपए के पटाखे बनाते हैं। इसमें से 80% बिक्री दिवाली पर होती है।’ प्रमुख पटाखा निर्माता वीवी मैन्युफैक्चरिंग के मालिक वेलमुरुगन कहते हैं, ‘इस बार भी अनिश्चितता है।
बड़े ऑर्डर रद्द हो रहे हैं। जिन डीलरों ने एडवांस पैसे दिए थे, वे भी पटाखे नहीं ले रहे हैं। पता नहीं है कि कितने राज्यों में पटाखे फोड़ने की अनुमति होगी? पिछली बार ऐन दिवाली पर कुछ राज्यों ने प्रतिबंध लगा दिया था। ऐसे में कोई कैसे रिस्क लेगा?’
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