प्रदेश में तीसरी लहर की तैयारी: जरूरत पड़ी तो 21 हजार मरीजों को एक साथ मिल सकेगी ऑक्सीजन, रोज हो रहा 461 टन का उत्पादन
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रायपुरएक घंटा पहलेलेखक: अमिताभ अरुण दुबे
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तीसरी लहर की आशंका के बीच राहत की बड़ी खबर ये है कि प्रदेश में मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ गया है।
तीसरी लहर की आशंका के बीच राहत की बड़ी खबर ये है कि प्रदेश में मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन इतना बढ़ गया है कि तीसरी लहर पूरी शिद्दत से आती है, तब रोजाना 21 हजार मरीजों को ऑक्सीजन सीधे बेड पर पहुंचाई जा सकती है। प्रदेश में पिछले छह माह में 73 से अधिक आक्सीजन प्लांट अस्पतालों में ही तैयार कर लिए गए हैं। इनसे वहीं के सेटअप में कुल 15 हजार मरीजों को बिस्तर में ऑक्सीजन पहुंचाई जा सकती है।
दूसरी लहर के पीक में प्रदेश में ऑक्सीजन उत्पादन 386.92 टन प्रतिदिन था, जो बढ़कर 461 टन हो चुका है। यही नहीं, प्रदेश के अस्पतालों में अभी 112 से अधिक आक्सीजन प्लांट निर्माणाधीन हैं। ये तीन-चार माह में चालू हो जाएंगे, उसके बाद 25 हजार मरीजों को सीधे बिस्तर पर रोजाना अक्सीजन पहुंचाई जा सकेगी, यानी यहां के अस्पतालों में इतने ऑक्सीजन बेड हो जाएंगे।
प्रदेश में दस्तावेजी तौर पर दूसरी लहर में भी ऑक्सीजन का संकट नहीं था, लेकिन बेड नहीं थे इसलिए सैकड़ों मरीजों तक जरूरत के समय ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाई। जब दूसरी लहर आई, प्रदेश में करीब 300 टन मेडिकल आक्सीजन का उत्पादन हो रहा था। इसमें अस्पताल और उद्योगों के जरिए बनाई जा रही आक्सीजन शामिल है। जरूरत बढ़ी तो दूसरी लहर के दौरान ही नई कंपनियों को आक्सीजन बनाने की अनुमति दी गई, लिहाजा अप्रैल में ही आक्सीजन उत्पादन बढ़कर 386.92 टन से अधिक हो गया।
कोरोना की दूसरी लहर में 15 दिन में बढ़ी 14 गुना तक डिमांड
भास्कर ने दूसरी लहर के दौरान आक्सीजन की स्थिति का आकंलन भी किया है। 15 मार्च के आसपास प्रदेश में दूसरी लहर के शुरुआती दौर में केवल 227 मरीजों को ही 4.25 टन आक्सीजन की जरूरत पड़ रही थी। 30 मार्च तक आक्सीजन की जरूरत वाले मरीज बढ़कर 1290 हो गए थे, जिसके अनुपात में आक्सीजन की खपत भी बढ़कर 26 टन से ज्यादा पर पहुंच गई।
इसके कुछ ही दिन बाद अप्रैल के शुरूआती हफ्ते में प्रदेश में आक्सीजन सपोर्ट वाले मरीज 3 हजार से अधिक हो गए और खपत भी बढ़कर 56 टन से ज्यादा हो गई थी। पहली लहर के पीक में प्रदेश में आक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों की संख्या एक हजार के आसपास रही और उस दौरान मेडिकल आक्सीजन की खपत 26 टन के लगभग रही। इन दोनों स्थितियों की तुलना में प्रदेश में अभी 461 टन आक्सीजन का उत्पादन हो रहा है।
दो स्तर पर ऑक्सीजन उत्पादन
प्रदेश में प्राइवेट कंपनियों और अस्पताल दोनों के द्वारा मेडिकल आक्सीजन का उत्पादन हो रहा है। अस्पताल कंपनी मिलाकर दूसरी लहर के दौर में केवल 29 जगहों पर 386 टन से ज्यादा आक्सीजन उत्पादन किया जा रहा था। इसमें इंडस्ट्री के जरिए बनाई जा रही मेडिकल आक्सीजन 100 से 150 टन के लगभग थी। पड़ताल में पता चला है कि कोरोना की दूसरी लहर के पीक के गुजरने के बाद ही कोविड मरीजों की आक्सीजन जरूरत भी घटने लगी।
ग्राउंड रिपोर्ट: रायपुर में अलर्ट मोड पर 4 अस्पताल
ओमिक्रॉन वैरिएंट के खतरे को देखते हुए रायपुर में चार हॉस्पिटल पंडरी जिला अस्पताल, माना, आयुर्वेदिक अस्पताल और आयुष यूनिवर्सिटी को अलर्ट मोड पर रखा गया है। केस बढ़े तो यहां मरीजों की भर्ती की जाएगी। इन चारों ही अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट बनकर तैयार हो गए हैं। भास्कर टीम ने चारों जगहों का जायजा लिया।
जिला अस्पताल पंडरी के प्लांट से 70 से अधिक मरीजों के बिस्तर तक सीधे आक्सीजन पहुंचाई जा सकती है। शहर के बीचों बीच आयुर्वेदिक कॉलेज में भी प्लांट शुरु हो गया है। यहां एक वक्त में 400 से ज्यादा मरीजों के बिस्तरों तक आक्सीजन सीधे पहुंचाने का बंदोबस्त है। वहीं माना के प्लांट के जरिए 160 और आयुष यूनिवर्सिटी के प्लांट से 100 से ज्यादा बिस्तर तक आक्सीजन पहुंचाई जा सकती है।
तीसरी लहर के मद्देनजर प्रदेश में मरीजों को आक्सीजन की जरूरत में कोई कमी नहीं होगी। इसके लिए पूरे बंदोबस्त हैं फिर चाहे प्लांट हों या सिलेंडर या कि कंस्ट्रेटर हमारे पास पर्याप्त व्यवस्था है। – डॉ. सुभाष मिश्रा, डायरेक्टर, एपिडेमिक
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