प्रकाशोत्सव पर लेह स्थित 11,562 फीट ऊंचे गुरुद्वारे के दर्शन: गुरुद्वारा श्री पत्थर साहिब जहां राक्षस ने गुरु नानक देव पर पत्थर फेंका, वह उनका स्पर्श पाकर मोम बन गया

प्रकाशोत्सव पर लेह स्थित 11,562 फीट ऊंचे गुरुद्वारे के दर्शन: गुरुद्वारा श्री पत्थर साहिब जहां राक्षस ने गुरु नानक देव पर पत्थर फेंका, वह उनका स्पर्श पाकर मोम बन गया

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20 मिनट पहलेलेखक: लेह से लौटकर भास्कर फाेटाे जर्नलिस्ट राकेश वर्मा की रिपोर्ट

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प्रकाशोत्सव पर लेह स्थित 11,562 फीट ऊंचे गुरुद्वारे के दर्शन: गुरुद्वारा श्री पत्थर साहिब जहां राक्षस ने गुरु नानक देव पर पत्थर फेंका, वह उनका स्पर्श पाकर मोम बन गया

जिस पहाड़ी से पत्थर फेंका गया था, वहां तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां भी बनाई गई हैं।

सिखों के पहले गुरु नानक देव जी का आज जन्माेत्सव है। भास्कर आपको ऐसे ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब के दर्शन करवा रहा है, जो श्रीनगर से 393 किमी दूर और लेह से 25 किमी पहले स्थित है। मान्यता है कि 1517 ई. में गुुरु नानक देव लेह आए थे। तब एक राक्षस ने पहाड़ी की चोटी से उन्हें पत्थर से मारना चाहा। लेकिन गुरु नानक देव के स्पर्श से वह पत्थर मोम बन गया। गुस्से में राक्षस ने पत्थर काे दाहिना पैर मारा ताे उसका पैर भी पत्थर में धंस गया।

उसी जगह गुरुद्वारा ‘श्री पत्थर साहिब’ है। इसका संचालन भारतीय सेना करती है। लेह-लद्दाख जाने वाले पर्यटक यहां दर्शन के बाद ही आगे बढ़ते हैं। लेह रोड बनाने के दौरान सेना को यह पत्थर 1970 में मिला था। इसके बाद इसे गुरुद्वारे का स्वरूप मिला। सेना इस गुरुद्वारे को ‘हर मैदान फतेह’ के नाम से पुकारती है। सर्दी में यहां तापमान माइनस 20 डिग्री तक रहता है। इसलिए यह मार्ग नवंबर से मई तक बंद हाे जाता है।

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