पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर भास्कर एक्सक्लूसिव: 13 नवंबर से 4 दिन तक सुखोई और मिराज उतरेंगे, 16 को मोदी और राजनाथ हरक्युलिस से करेंगे लैंड

पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर भास्कर एक्सक्लूसिव: 13 नवंबर से 4 दिन तक सुखोई और मिराज उतरेंगे, 16 को मोदी और राजनाथ हरक्युलिस से करेंगे लैंड

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दिल्ली/सुल्तानपुर3 घंटे पहलेलेखक: ​​​​​​​डीडी वैष्णव

UP के सुल्तानपुर में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर एयरफोर्स के लड़ाकू विमानों की लैंडिंग और टेक ऑफ की तैयारी पूरी कर ली गई है। यह ट्रायल 13 नवंबर से शुरू होगा और 4 दिन तक चलेगा। सूत्रों के मुताबिक, 16 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हरक्युलिस विमान से लैंड करेंगे।

एक्सप्रेस-वे एयर स्ट्रिप पर लैंडिंग के लिए एयरफोर्स के 5 बड़े एयरबेस से करीब 30 लड़ाकू विमान उड़ान भरेंगे। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, 16 नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में एयरफोर्स के सुखोई-30 एमकेआई, सी-130 जे सुपर हरक्युलिस जैसे विमान लैंड करेंगे। एक्सप्रेस वे पर ‘टच एंड गो’ ऑपरेशन के दौरान कई सुखोई लड़ाकू विमान लैंड करते ही वापस टेक ऑफ करेंगे।

हरक्युलिस विमान से आएंगे मोदी-राजनाथ
राजस्थान के बाड़मेर की तरह यहां भी सीधे ही एक्सप्रेस-वे के रनवे पर सुपर हरक्युलिस में पीएम मोदी के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के लैंड करने की खबर है। ये गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस से उड़ान भरेंगे। हालांकि, अभी इस बारे में कोई अधिकृत जानकारी नहीं दी गई है।

पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर लड़ाकू विमान उतारने के लिए 3.3 किमी लंबी इमरजेंसी लैंडिंग फैसिलिटी (ELF) यानी आपातकालीन एयर स्ट्रिप विकसित की गई है।

पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर लड़ाकू विमान उतारने के लिए 3.3 किमी लंबी इमरजेंसी लैंडिंग फैसिलिटी (ELF) यानी आपातकालीन एयर स्ट्रिप विकसित की गई है।

5 बड़े एयरबेस से उड़ेंगे फाइटर प्लेन

  • पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के रनवे पर लैंडिंग के लिए भारतीय वायुसेना के 5 बड़े एयरबेस से विमान उड़ान भरेंगे।
  • यहां पर भारत अपनी हवाई ताकत की दुनिया के सामने नुमाइश करेगा।
  • हिंडन एयरबेस से सी-130 जे सुपर हरक्युलिस व जगुआर उड़ान भरेगा।
  • लखनऊ के बख्शी का तालाब से किरण मार्क-2 उड़ान भरेगा।
  • बरेली से सुखोई 30 एमकेआई उड़ान भरेगा।
  • ग्वालियर से मिराज, गोरखपुर से जगुआर और आगरा से एएन-32 विमान के उतारने की तैयारी की गई है।
पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के रनवे पर लैंडिंग के लिए भारतीय वायुसेना के 5 बड़े एयरबेस से विमान उड़ान भरेंगे। यहां पर भारत अपनी हवाई ताकत की दुनिया के सामने नुमाइश करेगा।

पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के रनवे पर लैंडिंग के लिए भारतीय वायुसेना के 5 बड़े एयरबेस से विमान उड़ान भरेंगे। यहां पर भारत अपनी हवाई ताकत की दुनिया के सामने नुमाइश करेगा।

डेढ़ दशक लगा प्रस्ताव मंजूर होने में

  • साल 2001 के बाद से एयरफोर्स इस प्रस्ताव पर काम कर रहा था, जो 2014 में मंजूर होने के बाद अब मूर्त रूप लेने लगा है।
  • देश भर में 25 इमरजेंसी हाईवे रन-वे तैयार हो रहे हैं।
  • देश के 53 से ज्यादा ऑपरेशनल एयरबेस देश के विभिन्न इलाकों में स्थित हैं।
  • युद्ध के दौरान एयरबेस के रन-वे नष्ट होने की स्थिति में इन एयरबेस के आसपास बड़े हाईवे की रोड रनवे में तब्दील करने की रणनीति है।
  • इसके लिए रक्षा मंत्रालय के साथ सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने पहले फेज में 25 नए बन रहे हाईवे पर निर्माण का कार्य शुरू कराया है।
  • इनमें पाकिस्तान व चीन से सटे राज्यों राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, पंजाब और गुजरात शामिल है। निर्माणाधीन हाईवे पर तीन किमी सीधे पॉकेट चिह्नित किए हैं, जहां पर रोड रनवे बनेंगे।

पहली बार दूसरे विश्व युद्ध में उपयोग
द्वितीय विश्व युद्ध के समय हाईवे का इस्तेमाल अस्थाई रोड रन-वे के रूप में होता रहा है। वहीं, पाकिस्तान साल 2001 से इस्लामाबाद-पेशावर और इस्लामाबाद-लाहौर मोटर-वे की रोड रनवे के रूप में इस्तेमाल करता रहा है। इसका जवाब देने के लिए ही भारत ने एक साथ दो दर्जन से ज्यादा जगहों की को रोड रन-वे के रूप में विकसित करने की तैयारी की है। हर बड़े हाईवे पर 50 से 100 किमी के दायरे में ऐसे रोड रनवे बनाने की योजना भी है।

सबसे पहले यमुना एक्सप्रेस वे पर 2015 में दिल्ली के नजदीक मिराज 2000 की लैंडिंग हुई थी। इसके बाद, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर उन्नाव के पास 2016 में तीन मिराज व तीन सुखोई की सफल लैंडिंग हुई थी।

सबसे पहले यमुना एक्सप्रेस वे पर 2015 में दिल्ली के नजदीक मिराज 2000 की लैंडिंग हुई थी। इसके बाद, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर उन्नाव के पास 2016 में तीन मिराज व तीन सुखोई की सफल लैंडिंग हुई थी।

यह भी जानें

  1. अस्थाई एटीसी : इमरजेंसी लैंडिंग स्ट्रिप का उपयोग करने के लिए दो मंजिला एटीसी टॉवर बनाया गया है। जरूरत पड़ने पर एयरफोर्स इसमें एयर ट्रैफिक कंट्रोल शुरू कर सकता है।
  2. रोड क्लीयरेंस : भारतमाला नेशनल हाईवे पर भारी ट्रैफिक चलता रहता है। जरूरत होने पर दोनों ओर चार-चार किमी की दूरी एयरफोर्स ट्रैफिक रोककर रन वे क्लीयरेंस देगी। पिछले दो दिन से एयरफोर्स ने यहां ट्रैफिक रोक दिया है।
  3. बर्ड क्लीयरेंस : विमानों की लैंडिंग व टेक ऑफ करने से पहले बर्ड क्लीयरेंस कराई गई है। एयरफोर्स की ग्राउंड टीम सबसे पहले पहुंचकर आसपास उड़ने वाले पक्षियों को भगाती है।
  4. रेस्क्यू वाहन की व्यवस्था : आपात रन-वे के पास ही एयरफोर्स की ओर से दमकल, रेस्क्यू ऑपरेशन हेलिकॉप्टर, मेडिकल व एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई है।
  5. सड़क से अलग एयर स्ट्रिप : इसकी साढ़े तीन किमी लंबाई और 32 मीटर चौड़ाई है। इसके पास ही यातायात के लिए 7 मीटर चौड़ी सर्विस रोड बनाई गई है। ये टू लेन रोड है, इस पर ही यातायात संचालित होता रहेगा, जबकि सड़क के साथ रन वे की मोटाई 320 एमएम है, जिससे भारी भरकम विमान उतर सकते हैं। जबकि सामान्य सड़क 90 एमएम मोटी है।
  6. पहली बार कब: सबसे पहले सबसे पहले यमुना एक्सप्रेस वे पर 2015 में दिल्ली के नजदीक मिराज 2000 की लैंडिंग हुई थी। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर उन्नाव के पास 2016 में तीन मिराज व तीन सुखोई की सफल लैंडिंग हुई थी। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर ही 2017 में सी 130 जे सुपर हरक्युलिस की लैंडिंग के साथ गरुड़ कमांडो ने मॉक ड्रिल की थी।

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