पुणे के छात्रों का अनूठा कारनामा: MIT कॉलेज के छात्रों ने बनाई बिना ड्राइवर के चलने वाली कार, एक बार के चार्ज में चलती है 40 किलोमीटर

पुणे के छात्रों का अनूठा कारनामा: MIT कॉलेज के छात्रों ने बनाई बिना ड्राइवर के चलने वाली कार, एक बार के चार्ज में चलती है 40 किलोमीटर

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पुणे9 घंटे पहले

इस कार में सेंसर, लीडर कैमरा, माइक्रोप्रोसेसर, ऑटोमेटिक एक्शन कंट्रोल सिस्टम इत्यादि जैसे फीचर्स दिए गए हैं।

पुणे के MIT वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के छात्रों ने बिना ड्राइवर के चलने वाली देश की पहली कार बनाई है। इसे बनाने वाले छात्रों का कहना है कि मानवीय चूक की वजह से होने वाले हादसों को देखते हुए इस कार के निर्माण का आइडिया आया। फिलहाल यह एक प्रोटोटाइप है और कुछ अन्य मंजूरियों के बाद इसका कमर्शियल उत्पादन भी शुरू हो सकेगा।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल कर बनी यह कार एक बार के चार्ज में 40 किलोमीटर तक चलती है। इसे बनाने वाले छात्रों का दावा है कि यह कार ‘मेड इन इंडिया’ कांसेप्ट पर है।

इस कार को MIT कॉलेज के दो डिपार्टमेंट के छात्रों ने मिलकर तैयार किया है।

इस कार को MIT कॉलेज के दो डिपार्टमेंट के छात्रों ने मिलकर तैयार किया है।

कार में ऑटोनॉमस व्हीकल लेवल-3 टेक्नोलॉजी
MIT कॉलेज के मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलिकम्यूनिकेशन के छात्रों ने मिलकर इस कार का निर्माण किया है। इसके निर्माण से जुड़े यश देसाई ने बताया कि ये ऑटोनॉमस व्हीकल लेवल-3 पर बेस्ड है और इलेक्ट्रिक पावरट्रेन के लिए उन्होंने एक BLDC इलेक्ट्रिक मोटर और लिथियम आयरन फॉस्फेट बैटरी का उपयोग किया है।

आधुनिक सेंसर और कैमरे से लैस है यह कार
यश देसाई ने आगे कहा कि इस ड्राइवलेस इलेक्ट्रिक कार के स्टीयरिंग व्हील, थ्रॉटल और ब्रेक को कई अलग-अलग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग एल्गोरिदम से कंट्रोल किया गया है। इस कार में सेंसर, लीडर कैमरा, माइक्रोप्रोसेसर, ऑटोमेटिक एक्शन कंट्रोल सिस्टम इत्यादि जैसे फीचर्स दिए गए हैं।

छात्रों ने फिलहाल एक प्रोटोटाइप कार बनाई है और आने वाले समय में इसका कमर्शियल उत्पादन किया जाएगा।

छात्रों ने फिलहाल एक प्रोटोटाइप कार बनाई है और आने वाले समय में इसका कमर्शियल उत्पादन किया जाएगा।

4 घंटे में फुल चार्ज होती है यह कार
यश देसाई बोले, ‘ये कार सिंगल चार्ज में 40 किलोमीटर तक का सफर करने में सक्षम है। इसकी बैटरी को फुल चार्ज होने में 4 घंटे का समय लगता है। डेवलपर्स का यह भी दावा है कि, इस वाहन का उपयोग परिवहन, कृषि, खनन जैसे कई अलग-अलग क्षेत्रों में किया जा सकता है।’

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