पीएम मोदी की कुंडली: सितारे कहते हैं चुनौतियां बढ़ेंगीं, कुछ फैसले पलटने पर मजबूर हो सकते हैं, लेकिन लोकप्रियता पर कोई असर नहीं पड़ेगा
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3 मिनट पहले
- देश के तीन जाने-माने ज्योतिषाचार्य और अंकशास्त्री की मोदी पर भविष्यवाणी
- बंगाल और कॉमन सिविल कोड दोनों पर कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं मोदी
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन है। 71 बरस के हो चुके पीएम मोदी के लिए आने वाले कुछ साल पहले से ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। हालांकि उनकी लोकप्रियता का ग्राफ नीचे नहीं गिरेगा, फिर भी कुछ फैसलों पर मोदी सरकार को भारी विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
देश के जाने-माने एस्ट्रोलॉजर डॉ. अजय भांबी, नस्तूर बेजान दारूवाला और अंक शास्त्री डॉ. कुमार गणेश ने कुंडली और अंकों के आधार पर पीएम मोदी के आने वाले कुछ सालों का एनालिसिस किया है। सारे एनालिसिस से एक बात साफ नजर आ रही है कि आने वाले साल पीएम मोदी के लिए पहले की तरह नहीं होंगे। कई मुद्दों पर भारी विरोध और तगड़ी चुनौतियों का सामना उन्हें करना पड़ सकता है।
मोदी अपने फैसलों पर अडिग रहने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन 2022 और उसके बाद भी उन्हें अपने कुछ फैसले वापस लेने पड़ सकते हैं या उनमें बड़े बदलाव करने पड़ सकते हैं। लोकप्रियता के मामले में वे फिर भी टॉप पर रहेंगे। पढ़िए, पीएम मोदी की कुंडली और उनके अंक क्या कहते हैं…
अर्थव्यवस्था सुधरेगी, लेकिन बाहरी ताकतें मुश्किलें बढ़ा सकती हैंः डॉ. अजय भांबी, ज्योतिषाचार्य
प्रधानमंत्री मोदी का लग्न वृश्चिक और नवमांश सिंह है। लग्न में रूचक योग कारक मंगल, नीच के चन्द्रमा के साथ स्थित है। चतुर्थ में बृहस्पति है। पंचम में राहू, दशम में शनि और शुक्र, एकादश भाव में सूर्य, बुध, केतु विराजमान हैं।
1/09/2011 से चन्द्रमा की 10 वर्षीय दशा चल रही थी जो 31/08/2021 को समाप्त हो गई। चन्द्रमा का मंगल के साथ स्थित होने के कारण प्रबल नीचभंग राजयोग बना हुआ है। चन्द्रमा नवम यानी भाग्य स्थान का स्वामी है। इस दस वर्षीय चन्द्रमा की दशा में मोदी को जो फल प्राप्त हुए वो अतुलनीय हैं और जीवन में इससे बेहतरीन दशा कभी नहीं आई थी। ज्योतिष का एक सूत्र है कि जिस ग्रह का नीचभंग हो रहा है अगर वो दूसरे राजयोग कारक ग्रह के साथ हो तभी परिणाम कुछ इस प्रकार के मिलते हैं जो इस योग के नाम से ही स्पष्ट है यानी नीचभंग राजयोग।
इन पिछले दस वर्षों में प्रधानमंत्री बनने से लेकर राजपाट संभालने तक इनको बहुत सारी नीच स्थितियों का सामना करना पड़ा। ज्योतिष मूलतः संस्कृत भाषा में लिखा गया था और संस्कृत में नीच का अर्थ होता है एक्सट्रीम निगेटिविटी। जो सामने तो आती है, लेकिन अपने आप ही भंग भी हो जाती है यानी समाप्त हो जाती है।
वर्तमान में 31/08/2021 से मंगल की सप्त वर्षीय दशा शुरू हुई है। यूं तो मंगल रूचक पंच महापुरुष राजयोग वाला है और दुनिया ने देखा कि इस राजयोग कारक ग्रह ने चन्द्रमा को अपनी सारी ताकत दे दी और मोदी सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए। यह मंगल, नवमांश में स्वयं नीच है और जब कोई ग्रह नवमांश में नीच होता है तब वो अपनी निगेटिविटी छोड़ता नहीं है, तो आने वाले साल में मंगल उन्हें कई बेहतरीन मौके तो देगा, लेकिन अगर मौके लपकने में चूक हुई, तो नुकसान भी कर देगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुंडली।
वर्ष कुंडलीः प्रधानमंत्री मोदी की 2021-2022 की वर्ष कुंडली का लग्न मकर है। लग्न में शनि और गुरु हैं। शनि लग्न का स्वामी है, जो बहुत अच्छा है, लेकिन गुरु नीच राशि का है, ये अच्छा नहीं है। दोनों ग्रह वक्री भी हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि ऐसे कई अवसर हो सकते हैं जब इन्हें अपने लिए हुए निर्णयों पर पुनर्विचार करना पड़ेगा। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में यह देखा गया है कि वो अपने निर्णयों को बदलने के पक्ष में कभी नहीं होते, लेकिन इस वर्ष शायद स्थिति बाध्य कर दे।
दशम स्थान में मुंथा और शुक्र स्थित हैं। शुक्र दशम का स्वामी है और साथ में मुंथा है। वर्ष कुंडली में मुंथा को सब ग्रहों से बलवान माना जाता है और दशमेश के साथ होने से वो बहुत स्ट्रॉन्ग बन पड़ी है। इसका मतलब यह है कि आंतरिक और बाहरी शक्तियों द्वारा तनाव का वातावरण भी बनाया जाएगा। अफवाहों का सिलसिला भी बना रहेगा। आंदोलन-किसान या अन्य जो भी हों, अगर उनके समाधान पर विचार किया जाए तो मुंथा इतना बल देगी कि समस्याएं हमेशा के लिए नियंत्रण में आ जाएंगी।
नवम भाव में सूर्य, मंगल और बुध स्थित हैं। इसका मतलब है कि विदेश से पूंजी और व्यापार का सिलसिला बहुत जोर से प्रारम्भ होगा और जीडीपी में इम्प्रूवमेंट भी होने लगेगा। सारे ग्रह मिलकर इन्हें ऊर्जावान बनाते हैं और ये अपनी रफ्तार में कमीं नहीं आने देंगे।
राहू पंचम में है और केतु एकादश में। दोनों उच्च के ग्रह हैं, लेकिन देखा गया है कि अक्सर राहू तनाव और वेदना का माहौल समय-समय पर बनाता रहता है। हालांकि ये निर्णय लेने में हमेशा सक्षम और स्वतंत्र रहते हैं और इस वर्ष भी ऐसा ही करना चाहिए। संभवतः औरों की राय इनके मुनासिब नहीं होगी।
2026 तक का समय अच्छा नहीं, विरोध बढ़ेगाः डॉ. कुमार गणेश, अंक शास्त्री
जयपुर के अंकशास्त्री डॉ. कुमार गणेश के मुताबिक वर्ष 2026 तक की अवधि राजनीतिक दृष्टिकोण से पीएम मोदी के लिए अच्छी नहीं कही जा सकती। इनसे संबंधित राजनीतिक विवाद पनपेंगे, बढ़ेंगे और पसरेंगे। प्रधानमंत्री के नाते इनके लिए इस अवधि में कुछ बड़े निर्णय अपयश देने वाले सिद्ध होंगे। जनता बार-बार त्रस्त भाव से सड़कों पर प्रदर्शन के लिए उतर सकती है। कानून और व्यवस्था की स्थितियां बिगड़ती रहेंगी। इन्हें अपने कुछ बड़े निर्णय लौटाने होंगे या फिर उनमें अत्यधिक संशोधन करने पड़ जाएंगे। चुनावी मामलों में विजय का श्रेय कम और पराजय का अधिक मिल सकता है।
इस अवधि में मोदी जी ‘समान नागरिक अधिकार कानून’ का निर्णय ले सकते हैं। ये CAA और NRC के मामले को आगे बढ़ा सकते हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों से सम्बन्धित दीर्घकालिक प्रभावकारी निर्णय ले सकते हैं। जम्मू-कश्मीर में सफलतापूर्वक चुनाव करवाने का श्रेय पीएम मोदी के खाते में जा सकता है। पश्चिम बंगाल से जुड़ा कोई बड़ा निर्णय भी ले सकते हैं।
अब बात करें अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में पीएम मोदी के भविष्य की। वर्ष 2022 से 2026 की अवधि में मोदी जी का मान-सम्मान बढ़ेगा। इनके खाते में वैश्विक स्तर पर कुछ मामलों में मुखिया की भूमिका आ सकती है। बड़े-बड़े देश इनकी बात को न केवल अत्यधिक ध्यान से सुनेंगे, अपितु उस पर क्रियान्वयन की दृष्टि भी रख सकते हैं। चीन के साथ संबंधों के मामले में प्रगति इनके खाते में आ सकती है। पाकिस्तान की सरकार को मोदी के सामने झुक कर ही रहने पर विवश होना पड़ सकता है।
महंगाई और बेरोजगारी बड़ी चुनौती बन कर उभरेंगेः नस्तूर बेजान दारूवाला, ज्योतिषाचार्य
प्रधानमंत्री मोदी की सफलता का राज उनकी कुंडली और हस्तरेखा दोनों में है। प्रधानमंत्री मोदी की हथेली पर शुक्र पर्वत बहुत शक्तिशाली है, ये उनको लोकप्रिय और शक्तिशाली नेता बनाता और एक शानदार लाइफ स्टाइल भी देता है। उनकी कुंडली में सूर्य की स्थिति राजयोग देने वाली है।
मंगल उन्हें विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की शक्ति देता है। उनकी कुंडली के सितारे बताते हैं कि आने वाले 4-5 साल उनके जीवन के लिए बहुत बेहतरीन हो सकते हैं। इस दौरान बूढ़े, विधवा और स्टूडेंट्स के लिए कुछ अच्छी योजनाएं घोषित हो सकती हैं। जो चिंता का विषय है वो राहू और केतू की स्थिति है, जो कुछ विरोध की स्थितियां बना रही है।
संभव है कि महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर पीएम मोदी को जनता के विरोध का सामना भी करना पड़े। इन तमाम परिस्थितियों के बावजूद भी मोदी और शाह की जोड़ी फिर वापसी कर सकती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका, कनाडा और यूके से भारत के संबंध काफी मजबूत होंगे। पाकिस्तान और चीन से संबंध बिगड़ सकते हैं, लेकिन ये दोनों देश फिलहाल कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे।
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