पाकिस्तान का सॉफ्ट टारगेट बनीं पंजाब की सीमाएं: पंजाब सीमा पर पाकिस्तान ड्रोन से गिरा रहा हथियार व नशा, दहशत में किसान; दिन में खेती नहीं कर पा रहे, रातें आसमान ताकते बीत रहीं

पाकिस्तान का सॉफ्ट टारगेट बनीं पंजाब की सीमाएं: पंजाब सीमा पर पाकिस्तान ड्रोन से गिरा रहा हथियार व नशा, दहशत में किसान; दिन में खेती नहीं कर पा रहे, रातें आसमान ताकते बीत रहीं

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बॉर्डर से लगते गांवों से5 मिनट पहलेलेखक: हरपाल रंधावा

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पाकिस्तान का सॉफ्ट टारगेट बनीं पंजाब की सीमाएं: पंजाब सीमा पर पाकिस्तान ड्रोन से गिरा रहा हथियार व नशा, दहशत में किसान; दिन में खेती नहीं कर पा रहे, रातें आसमान ताकते बीत रहीं

गांव डलके (अमृतसर) के लोग।

  • एक माह में ड्रोन से हथियार गिराने की चार घटनाएं नई चुनौती
  • दोहरा डर – एक तो जान का खतरा, खेत से नशा या हथियार मिले तो पुलिस भी करती है ग्रामीणों पर शक

पंजाब से लगते 553 किमी. लंबे इंटरनेशनल बॉर्डर पर तस्करों की गतिविधियां बढ़ गई हैं। दो साल में 50 से ज्यादा बार पाकिस्तानी ड्रोन हमारी हद में आए, जो 35 से ज्यादा ग्रेनेड गिराकर गए। 2019 से अब तक पुलिस और बीएसएफ ने 2538 किलो हेरोइन जब्त की है। सूत्रों का दावा है कि महज अगस्त में ड्रोन आने की चार घटनाएं हुई हैं। इंटेलिजेंस को संदेह है कि जर्मनी, कनाडा, अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया में बैठे आतंकी पाक के जरिए हथियार पहुंचा रहे हैं। अब तक सिर्फ दो बार ही ड्रोन हाथ लगा है। वह सामान्य राडार की पकड़ में नहीं आता।

ग्रामीणों को डर है कि कहीं उनके गांव पर ही गोला-बारूद आकर न फट जाए या अंधेरे में नशे की खेप न गिरा जाए। भास्कर ने जीरो लाइन पर बसे तरनतारन के गांव खेमकरण, मेहदीपुर, कलस, मस्तगढ़, थेह कलां, हवेलिया, नौशहरा ढाला, ठट्टा, भुसे, अमृतसर के गांव दउके, बच्चीविंड, डलके, राजोके, गुरदासपुर के गांव सलाच और फिरोजपुर के गट्टी राजोके, भाने वाला समेत 21 गांवों का दौरा किया। पढ़िए रिपोर्ट।

सरहदी लोगों की जुबानी… हम खेतों में भी कम जा पा रहे, डर के कारण कोई दूसरा भी जमीन ठेके पर नहीं ले पा रहा

सात अगस्त की आधी रात को ट्यूबवेल की बिजली आई, तो तेज रोशनी से आंख खुल गई। अचानक ऊंचाई से अजीब सी आवाज आनी शुरू हुई। तभी घर के पास ही धान के खेतों में हलचल हुई। लगा कि यहां तस्कर हो सकते हैं। पल भर में धम्म से कुछ गिरा। ये ड्रोन ही था जो लगभग 15 मिनट रहकर लौट गया। यह कहना है जीरो लाइन पर बसे अमृतसर के गांव बच्चीविंड के पूर्व सरपंच 48 वर्षीय गुरभेज सिंह का।

उनकी ही सूचना पर सुबह सर्चिंग में पड़ोसी गांव बहडवाल व डल्लके के पास से टिफन बम में 2.5 किलो आरडीएक्स, 5 हैंड ग्रेनेड और 100 कारतूस मिले। खेतों में घर बनाकर रहने वाले गुरभेज के परिवार को डर है कि आसपास कहीं नशा व हथियार और न गिरे पड़े हों। इन्हें साजिश में फंस जाने और जान गंवा देने का भी खतरा है। इसी डर में जी रहे गांव के बुजुर्ग दर्शन सिंह, गुलजार सिंह, युवक गुरजंट सिंह, दविंदर सिंह की भी नींद उड़ी हुई है।

गांव के अधिकतर लोग रात में भी आसमान की तरफ देख लेते हैं कि कहीं कुछ अजीब तो नहीं। पड़ोस के गांव डल्लके के बुजुर्ग संतोख सिंह कहते हैं कि हमारे गांव में भी किसी के घर, खेत या हवेली में बम गिर सकता है। ऐसे में एक जान का खतरा, दूसरा पुलिस की खींचतान अलग। महिंदर सिंह, हीरा सिंह, जागीर सिंह, कुलबीर सिंह कहते हैं कि हमारी जमीन तारबंदी के पास है। हम अपने खेत जाने में भी डर रहे हैं। दरअसल, पंजाब में ड्रोन से दहशत की कहानी 2019 में शुरू हुई। 22 सितंबर को तरनतारन के भुसे गांव के पास ड्रेन से अधजला ड्रोन मिला।

वह पाकिस्तान लौटने में विफल रहा तो आतंकियों ने उसे जला दिया। पुलिस ने बाद में चार खूंखार आतंकवादी भी पकड़े। हथियार भी मिले। यहीं के 45 वर्षीय ज्ञान सिंह कहते हैं कि ड्रोन तो गांव से दूर मिला था, लेकिन दहशत तभी से दिल में है। तरनतारन जिले के गांव मेहदीपुर के चारों तरफ तारबंदी है। यह भारत-पाक सीमा पर बसा अंतिम गांव है। यहां मिले दुकानदार लाभ सिंह नफा-नुकसान सोचकर बमुश्किल बातचीत को राजी हुए। वे कहने लगे कि यह गांव 1965, 1971 सहित कई बार बसा और उजड़ा है।

करगिल की जंग में तो कई लोग दूसरी जगह जा बसे। बॉर्डर पर तनाव होते ही हमें सब उठाने आ जाते हैं। यहां नशे की तस्करी भी बड़ी सिरदर्दी है। यहां किसी की जमीन से नशा, हथियार या कोई अन्य वस्तु पाकिस्तानी तस्करों की फेंकी हुई मिल जाती है तो उसका जिम्मेदार किसान को बना दिया जाता है। 4 साल पहले दो भाई तारबंदी के पार फसल काटने गए थे। वहां खेत में हेरोइन मिली। केस उन पर हो गया। पूरे गांव ने विरोध किया तब वे छूटे। गांव निवासी गुरप्रीत सिंह, निशान सिंह, बलबीर सिंह कहते हैं कि कि ड्रोन और तस्करों के डर से तारबंदी के पार जमीन को कोई ठेके पर भी नहीं ले रहा है।

ऐसे ही गुरदासपुर जिले का एक छोटा गांव है सलाच। यहां के प्यारा सिंह, हीरा सिंह और सुच्चा सिंह कहते हैं कि 21 दिसंबर 2020 को बीएसएफ ने एक पाकिस्तानी ड्रोन कस्बा दोरांगला के पास देखा था। जवानों ने उस पर फायरिंग की। बाद में खेतों से 11 ग्रेनेड मिले थे। तभी से पूरा गांव डरने लगा है। अब बीएसएफ ने सीमा पर सख्ती कर दी है। 5 बजे के बाद सीमा के पास किसी भी गांव में कोई भी वाहन या व्यक्ति नहीं घूम सकता। लेकिन जब तक ड्रोन उड़ते रहेंगे तब तक हम चैन से कैसे सो पाएंगे।

आपने ड्रोन आता देखा क्या?
फिरोजपुर बीएसएफ सेक्टर के साथ लगती सीमा पर है गांव टेंडीवाला। तीन तरफ से आर्मी के बंकरों में घिरा है। 2 हजार से कम आबादी वाले इसे गांव की अधिक जमीन तारबंदी के पार है। यहां डर से कोई जमीन ठेके पर नहीं लेता। 41 वर्षीय सिमन सिंह व बलबीर सिंह कहते हैं कि उनका गांव मस्तके पाक में चला गया। उनको यहां जमीन तार के पार मिली है। यहां आए दिन घटनाएं होती हैं। खेतों में जाने से जवान रोक देते हैं। ड्रोन भी कई बार दिखे। अक्सर बीएसएफ पूछती है कि आप ने ड्रोन आता देखा क्या? पुलिस और सुरक्षा बलों की पूछताछ की डर से भी कई बार ग्रामीण रिपोर्ट नहीं कराते।

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