पहाड़ी गुलजार: 3 हजार हेक्टेयर की पहाड़ी 12 साल बाद नीलकुरिंजी से गुलजार; फूलों को देखने हर साल दुनियाभर से 10 लाख लोग पहुंचते हैं

पहाड़ी गुलजार: 3 हजार हेक्टेयर की पहाड़ी 12 साल बाद नीलकुरिंजी से गुलजार; फूलों को देखने हर साल दुनियाभर से 10 लाख लोग पहुंचते हैं

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  • After 12 Years, The Hill Of 3 Thousand Hectares Is Buzzing With Neelakurinji; Every Year One Million People From All Over The World Reach To See The Flowers.

मुन्नारएक मिनट पहलेलेखक: चेन्नई से आर रामकुमार

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पहाड़ी गुलजार: 3 हजार हेक्टेयर की पहाड़ी 12 साल बाद नीलकुरिंजी से गुलजार; फूलों को देखने हर साल दुनियाभर से 10 लाख लोग पहुंचते हैं

ये फूल जुलाई-अगस्त में खिलते ह�

तस्वीर केरल के इडुक्की जिले की है। यहां मुन्नार में शालोम हिल्स पर 12 साल बाद खिले नीलकुरिंजी के फूलों से 3 हजार हैक्टेयर में फैली लुढ़कती पहाड़ी गुलजार हो गई है। ये फूल जुलाई-अगस्त में खिलते हैं और अक्टूबर तक रहते हैं। मदर टेरेसा यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डॉ. ए ऊषा राजा नंथिनी बताती हैं कि दुर्लभ नीलकुरिंजी के फूल 30 से 60 सेमी तक ऊंचे होते हैं। इसके फूल अपने जीवन काल में सिर्फ एक बार ही खिलते हैं। अब यहां नए फूल 2033 में खिलेंगे।

भारत में दुर्लभ नीलकुरिंजी की 46 प्रजातियां हैं।

भारत में दुर्लभ नीलकुरिंजी की 46 प्रजातियां हैं।

खास बात यह है कि नीलकुरिंजी के फूलों से निकला शहद 15 साल तक खराब नहीं होता है। नीलकुरिंजी के फूल को पहली बार 2006 में तमिलनाडु और केरल में देखा गया था। भारत में दुर्लभ नीलकुरिंजी की 46 प्रजातियां हैं। मुन्नार में रहने वाले बीनू पॉल बताते हैं कि केरल के लोग इन फूलों के खिलने का बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्योंकि वे इसे समृद्धि की निशानी मानते हैं। दूसरी तरफ, इन फूलों को देखने के लिए हर साल दुनियाभर से 10 लाख लोग पहुंचते हैं। मालूम हो कि इससे पहले 2018 में मुन्नार की अनामलाई हिल्स पर नीलकुरिंजी के फूल खिले थे।

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