पद्मश्री गूंगा पहलवान की सीएम से मुलाकात आज: धरना देने वाले वीरेंद्र को खेल निदेशक का भरोसा- मूक-बधिर खिलाड़ियों की मांगों पर विचार के लिए बनेगी कमेटी

पद्मश्री गूंगा पहलवान की सीएम से मुलाकात आज: धरना देने वाले वीरेंद्र को खेल निदेशक का भरोसा- मूक-बधिर खिलाड़ियों की मांगों पर विचार के लिए बनेगी कमेटी

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चंडीगढ़एक घंटा पहले

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पद्मश्री गूंगा पहलवान की सीएम से मुलाकात आज: धरना देने वाले वीरेंद्र को खेल निदेशक का भरोसा- मूक-बधिर खिलाड़ियों की मांगों पर विचार के लिए बनेगी कमेटी

पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित हरियाणा के पैरा पहलवान वीरेंद्र सिंह गुरुवार को पंचकूला में हरियाणा सरकार के खेल विभाग के निदेशक पंकज नैन से मिलने पहुंचे। वीरेंद्र सिंह प्रदेश के मूक-बधिर खिलाड़ियों को पैरा खिलाड़ियों के बराबर सम्मान दिलाने का मुद्दा उठा रहे हैं। पंकज नैन से मुलाकात के बाद वीरेंद्र सिंह ने दावा किया कि खेल निदेशक ने गुरुवार शाम 7 बजे उनकी मुलाकात हरियाणा के सीएम मनोहर लाल से कराने का भरोसा दिया है। खेल निदेशक ने उन्हें एक कमेटी बनाने का आश्वासन भी दिया जो मूक-बधिर खिलाड़ियों की मांगों पर विचार करेगी।

पहलवान वीरेंद्र सिंह को मंगलवार को ही नई दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया। इसके अगले ही दिन, वीरेंद्र सिंह अपने सारे मैडल्स और पदमश्री अवॉर्ड के साथ नई दिल्ली में हरियाणा भवन के सामने धरने पर बैठ गए। गूंगा पहलवान के नाम से मशहूर वीरेंद्र सिंह की मांग है कि मूक-बधिर खिलाड़ियों को भी पैरा खिलाड़ियों के बराबर सम्मान और अधिकार दिए जाएं। हरियाणा भवन के बाहर 7 घंटे तक धरना देने वाले वीरेंद्र सिंह मुख्यमंत्री से मुलाकात के भरोसे के बाद ही वहां से उठे।

मुख्यमंत्री को टैग कर किया ट्वीट

मुख्यमंत्री को टैग कर किया ट्वीट

पैरा खिलाड़ियों के बराबर सुविधाएं देने की मांग

पहलवान वीरेंद्र सिंह गुरुवार दोपहर 3 बजे पंचकूला में खेल विभाग के निदेशक पंकज नैन से मिलने उनके दफ्तर पहुंचे। वीरेंद्र सिंह के साथ मौजूद उनके भाई रामबीर सिंह ने बताया कि उनके भाई का संघर्ष सामान्य खिलाड़ियों के खिलाफ नहीं है बल्कि वह तो सिर्फ मूक-बधिर खिलाड़ियों को पैरा-खिलाड़ियों के बराबर सम्मान और सुविधाएं देने की मांग कर रहे हैं। जब केंद्र सरकार पैरा खिलाड़ियों और मूक-बधिर खिलाड़ियों को बराबर सम्मान दे रही है तो हरियाणा सरकार को भी वैसी ही खेल नीति अपनानी चाहिए।

शाम 7 बजे सीएम हाउस में होगी मुलाकात

रामबीर सिंह के अनुसार, खेल निदेशक पंकज नैन ने वीरेंद्र सिंह की सीएम मनोहर लाल के साथ मीटिंग करवाने का आश्वासन दिया। यह मीटिंग गुरुवार शाम 7 बजे चंडीगढ़ में ही सीएम हाउस में होगी। खेल निदेशक ने यह भी कहा कि हरियाणा सरकार खेल और खिलाड़ियों के हितों का ख्याल रखते हुए एक कमेटी बनाएगी जिसमें मूक-बधिर खिलाड़ी और पूर्व ओलिंपिक खिलाड़ी शामिल होंगे। यह कमेटी खिलाड़ियों की बेहतरी के लिए जो भी सुझाव देगी, उन्हें खेल नीति में शामिल करते हुए लागू किया जाएगा।

वीरेंद्र सिंह ने CM के बधाई वाले ट्वीट पर कसा तंज

गूंगा पहलवान वीरेंद्र सिंह को पद्मश्री सम्मान मिलने पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ट्वीट कर बधाई दी। वीरेंद्र सिंह ने बधाई वाले सीएम के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा, ‘मुख्यमंत्री जी आप मुझे पैराखिलाड़ी मानते हैं तो उनके समान अधिकार क्यों नहीं देते। पिछले 4 साल से दर-दर की ठोकरें खा रहा हूं। मैं आज भी जूनियर कोच हूं और न ही समान कैश अवाॅर्ड दिया गया। कल इस बारे में मैंने प्रधानमंत्री @narendramodi जी से बात की। अब फैसला आपको करना है!’

CM मनोहर लाल के ट्वीट पर वीरेंद्र पहलवान ने कसा तंज।

CM मनोहर लाल के ट्वीट पर वीरेंद्र पहलवान ने कसा तंज।

भेदभाव के बाद स्पेशल कैटेगरी में खेले

सिर्फ सुनने की क्षमता न होने की वजह से वीरेंद्र सिंह को वर्ल्ड चैंपियनशिप से बाहर कर दिया गया। इस भेदभाव के बाद वीरेंद्र ने मूक-बधिर श्रेणी में खेलना शुरू किया। 2005 में वीरेंद्र ने Deaf Olympics में पहला गोल्ड मेडल जीता। अभी तक वीरेंद्र ने कई अंतरराष्ट्रीय मेडल जीते हैं, जिनमें चार गोल्ड मेडल भी शामिल हैं। खेलों में उनके योगदान के लिए वीरेंद्र सिंह को वर्ष 2016 में अर्जुन पुरस्कार और 2021 में पद्मश्री अवॉर्ड मिल चुका है।

10 साल की उम्र में शुरू की कुश्ती

मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले से ताल्लुक रखने वाले वीरेंद्र सिंह की जिंदगी और उनके संघर्ष पर 2014 में डॉक्यूमेंट्री भी बन चुकी है। वीरेंद्र सिंह ने 10 साल की उम्र से मिट्टी के दंगल में पहलवानी के दांवपेंच सीखने शुरू कर दिए। हरियाणा, यूपी और राजस्थान के मेलों में लगने वाले दंगल में वह सामान्य पहलवानों के साथ कुश्ती करते रहे। मेलों के बाद, साल 2002 में उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। वर्ल्ड कैडेट रेसलिंग चैंपियनशिप 2002 के नेशनल राउंड्स में उन्होंने गोल्ड जीता। इस मुकाबले में उनके सामने सामान्य कैटेगरी का खिलाड़ी था। इस जीत से उनका वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए जाना पक्का हो गया, लेकिन दिव्यांगता को कारण बताते हुए फेडरेशन ने आगे खेलने के लिए नहीं भेजा।

दिल्ली के हरियाणा भवन के बाहर धरने पर बैठे पहलवान वीरेंद्र सिंह।

दिल्ली के हरियाणा भवन के बाहर धरने पर बैठे पहलवान वीरेंद्र सिंह।

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