पंजाब विधानसभा चुनाव की तैयारी में BJP: 3 केंद्रीय मंत्रियों व एक सांसद की बनाई टीम, सिख चेहरे के तौर पर हरदीप पुरी को जगह; कृषि कानूनों से नाराज किसान कर रहे पार्टी के हर प्रोग्राम का विरोध
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- A Team Of 3 Union Ministers And One MP Formed Amidst The Anti agricultural Reform Law Movement; Hardeep Puri Also Included As Sikh Face
जालंधर3 घंटे पहले
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किसान आंदोलन की चुनौती के बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने पंजाब में चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं। बुधवार को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को पंजाब में चुनाव प्रभारी लगा दिया गया। शेखावत राजस्थान से सांसद हैं। उनके साथ केंद्रीय आवास, व शहरी मामलों, पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी, केंद्रीय विदेश, संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी व गुजरात के कच्छ से सांसद विनोद चावड़ा को सह प्रभारी लगाया गया है।
पंजाब के लिहाज से इसमें केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी इकलौते नेता हैं, जो अमृतसर से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि कांग्रेस के मौजूदा सांसद गुरजीत औजला से उन्हें हार मिली थी। इसके अलावा सियासी माहिर कहते हैं कि सिख चेहरे की वजह से भी पंजाब में उन्हें सह प्रभारी बनाया गया है।
राज्य में पार्टी की स्थिति और टिकट बंटवारे पर नजर
पंजाब चुनाव प्रभारी व सहप्रभारी की टीम राज्य में पार्टी के हालात का फीडबैक देगी। मौजूदा वक्त में संगठन की क्या स्थिति है और नेताओं से लेकर वर्कर कितने सक्रिय हैं, इस पर भी उनकी नजर रहेगी। इसके अलावा टिकट के दावेदारों व उनकी जमीनी हकीकत के बारे में भी यह टीम ब्यौरा जुटाएगी। जिसके बाद पार्टी के संसदीय बोर्ड के साथ बैठक कर पंजाब चुनाव से जुड़े फैसले लिए जाएंगे।
चुनौतीपूर्ण हालात से असमंजस में पार्टी
पंजाब में भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती किसान आंदोलन है। यहां मामूली बैठक में भी किसान उनका विरोध कर रहे हैं। ऐसे में पुलिस सुरक्षा के बीच भाजपा के कार्यक्रम हो रहे हैं। इसी वजह से पार्टी के नेता व कार्यकर्ता भी असमंजस में हैं कि आखिर पार्टी का आगे रुख क्या है? कुछ समय पहले प्रदेश प्रधान अश्विनी शर्मा ने नेताओं से बैठकें की हैं लेकिन इसके बावजूद कोई स्पष्ट संदेश नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में पंजाब चुनाव प्रभारी व सह प्रभारियों की कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना भी बड़ी चुनौती रहेगी। मौजूदा प्रदेश नेतृत्व से भी कई नेता व वर्कर नाराज चल रहे हैं। नेता उन्हें समझा नहीं पा रहे कि आखिर चुनाव किन मुद्दों पर लड़ा जाना है।
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