पंजाब में कैप्टन का तख्तापलट !: CM रहते हुए विधायकों व नेताओं से नहीं मिलते थे अमरिंदर; कैप्टन को इसी दांव से पटखनी दे गए सिद्धू
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जालंधर37 मिनट पहले
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डिनर के दौरान पार्टी विधायकों व नेताओं के साथ कैप्टन अमरिंदर सिंह।
पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी नेताओं से न मिलने की कमजोरी ही उनकी कुर्सी पर संकट बन गई। पंजाब कांग्रेस के नए प्रधान बने नवजोत सिद्धू ने कैप्टन को इसी दांव से पटखनी दे दी। सिद्धू ग्रुप ने पर्दे के पीछे से सारा सियासी खेल रचा। कैप्टन की इस कमजोरी को ही सिद्धू बार-बार जाहिर करते चले गए। जिसके बाद कैप्टन के खिलाफ खुली बगावत होने लगी। सिद्धू के दांव में फंसते गए कैप्टन को मजबूर होकर नेताओं से मिलना पड़ा। जिस कैप्टन अमरिंदर सिंह पर विधायकों से न मिलने के आरोप थे, वो चेयरमैन तक से मिलने लगे। जिस आरोप को सिद्धू लगाते रहे, कैप्टन ने उसे सही साबित कर दिया। जिसके बाद कैप्टन की कुर्सी को खतरा पक्का हो गया।
कैप्टन अमरिंदर को लेकर अक्सर यह बात कही जाती रही है कि वो महाराजा स्टाइल में काम करते हैं। उनसे मिलना बहुत मुश्किल है। यहां तक कि विरोधी भी उन पर फार्म हाउस से सरकार चलाने के आरोप लगाते रहे हैं। कैप्टन ने इसके बाद तालमेल के लिए कुछ एडवाइजर भी लगाए। हालांकि विधायकों की बात सुनने के बजाय एडवाइजर टकराव करने लगे। जिसके बाद कैप्टन के खिलाफ पूरा सियासी जाल बिछता चला गया।
ऐसे कसता गया सिद्धू का जाल
कैप्टन को मुलाकात की फोटो जारी करनी पड़ी : सिद्धू ने प्रदेश कांग्रेस की कुर्सी संभालते ही नेताओं से न मिलने के विवाद को हवा दी। जिसके बाद विधायक भी खुलकर बोलने लगे। पंजाब में अफसरशाही हावी होने के आरोप लगाए गए। जिसके बाद कैप्टन को विधायकों व नेताओं से मुलाकात कर फोटो तक जारी करनी पड़ी।
मंत्रियों को कांग्रेस भवन भेजने को कहा : नवजोत सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस का प्रधान बनने के बाद कैप्टन से बैठक की। उन्हें कहा कि वो हर हफ्ते मंत्रियों को कांग्रेस भवन भेजें ताकि वो कांग्रेसी वर्करों की मुश्किलें सुन सकें। कुछ मंत्री आए भी लेकिन इसके बाद यह मामला भी ठप हो गया।
तालमेल कमेटी की बैठक टालते गए : इसके बाद पंजाब में संगठन और सरकार के बीच तालमेल के लिए कमेटी बनी थी। जिसके चेयरमैन कैप्टन अमरिंदर थे। जिसमें 3 मंत्रियों समेत 13 मेंबर रखे गए थे। हालांकि इसमें सिद्धू का नाम काफी नीचे था और उन्हें को-चेयरमैन तक नहीं बनाया गया। इसकी 3 बैठकें रखी गई लेकिन हर बार सिद्धू ग्रुप ने यह बैठक टाल दी।
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