पंजाब के एडवोकेट जनरल का इस्तीफा: APS देयोल की नियुक्ति पर नवजोत सिद्धू ने उठाए थे सवाल; कांग्रेस प्रधान का पद भी छोड़ दिया था
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चंडीगढ़9 घंटे पहले
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एडवोकेट एपीएस देयोल
पंजाब के एडवोकेट जनरल (AG) एपीएस देयोल ने इस्तीफा दे दिया है। देयोल की नियुक्ति को लेकर पंजाब कांग्रेस चीफ नवजोत सिद्धू सवाल उठा रहे थे। डीजीपी इकबालप्रीत सहोता के साथ देयोल की नियुक्ति को लेकर सिद्धू ने इस्तीफा दिया था। इसके बाद सिद्धू ने पार्टी के कामकाज से दूरी बना रखी है। एडवोकेट देयोल जल्द सीएम चरणजीत चन्नी से मुलाकात कर औपचारिक तौर पर इसकी घोषणा करेंगे।
नवजोत सिद्धू का कहना था कि बेअदबी और उससे जुड़े गोलीकांड के मुद्दे पर कैप्टन को CM की कुर्सी से हटाया गया। इसके बाद सीएम चन्नी की सरकार ने एपीएस देयोल को एडवोकेट जनरल बना दिया। एडवोकेट देयोल गोलीकांड के एक मामले में आरोपी पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी और आईजी परमराज उमरानंगल को जमानत दिलवा चुके थे। सिद्धू का कहना था कि आरोपियों के वकील को अहम पद देना ठीक नहीं है।
नियुक्तियों के मुद्दे पर सिद्धू और सीएम के बीच रिश्ते बिगड़ गए थे
सीएम चन्नी और हाईकमान का फॉर्मूला भी नहीं चला
सिद्धू की नाराजगी के बाद सीएम चरणजीत चन्नी ने एडवोकेट देयोल को बेअदबी और गोलीकांड के केस से अलग कर लिया। उनकी जगह पर एडवोकेट आरएस बैंस को स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त कर दिया। हालांकि सिद्धू इस पर भी राजी नहीं हुए।
सिद्धू पटवालिया को चाहते थे AG
नवजोत सिद्धू चाहते थे कि एडवोकेट डीएस पटवालिया पंजाब के नए एडवोकेट जनरल बनें। उनकी नियुक्ति तक होने की चर्चा थी। हालांकि सरकार इससे सहमत नहीं हुई। जिसके बाद अंत में एडवोकेट देयोल की नियुक्ति कर दी गई।
डीजीपी इकबालप्रीत सहोता
अब डीजीपी पर भी फैसले के आसार
एडवोकेट जनरल के बाद अब डीजीपी इकबालप्रीत सहोता पर भी कोई फैसला आ सकता है। सहोता के पास फिलहाल डीजीपी का कार्यकारी चार्ज है। सरकार ने परमानेंट डीजीपी के लिए UPSC को पैनल भेजा है। सिद्धू सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को डीजीपी लगाना चाहते थे। उनका आरोप था कि सहोता बेअदबी मामले की पहली एसआईटी के प्रमुख थे। उन्होंने बादल सरकार को क्लीन चिट दी थी। हालांकि डीजीपी सहोता की तरफ से इसको लेकर सफाई भी दी गई थी कि किसी को क्लीन चिट नहीं दी गई। केस सीबीआई को ट्रांसफर हो गया था।
कैप्टन अमरिंदर सिंह
अमरिंदर नहीं माने तो अब सिद्धू को रखना सियासी जरूरत
सियासी तौर पर चर्चा यह भी है कि सिद्धू के रवैये से कांग्रेस हाईकमान खफा था। वह चाहते थे कि कैप्टन अमरिंदर सिंह नई पार्टी न बनाएं और कांग्रेस के साथ रहें। हालांकि अमरिंदर ने इससे स्पष्ट इनकार कर दिया। जिसके बाद हाईकमान को पंजाब चुनाव को देखते हुए सिद्धू को मनाना पड़ा। अमरिंदर के कांग्रेस में न रहने पर पंजाब चुनाव के लिए सिद्धू कांग्रेस की सियासी जरूरत बन चुके हैं।
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