नौसेना की ताकत बढ़ेगी: इस महीने नेवी को मिलेगा पहला स्टील्थ डिस्ट्रॉयर INS विशाखापत्तनम और कलवरी सबमरीन INS वेला

नौसेना की ताकत बढ़ेगी: इस महीने नेवी को मिलेगा पहला स्टील्थ डिस्ट्रॉयर INS विशाखापत्तनम और कलवरी सबमरीन INS वेला

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नई दिल्ली2 मिनट पहले

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नौसेना की ताकत बढ़ेगी: इस महीने नेवी को मिलेगा पहला स्टील्थ डिस्ट्रॉयर INS विशाखापत्तनम और कलवरी सबमरीन INS वेला

भारतीय नौसेना की मारक क्षमता में इस महीने बढ़ोतरी होने वाली है। नवंबर महीने में भारतीय नौसेना में पहली स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर INS विशाखापत्तनम और कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी INS वेला को शामिल किया जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 21 नवंबर को INS विशाखापत्तनम को नौसेना को सौपेंगे। इसके ठीक 4 दिन बाद 25 नवंबर को INS वेला को नेवी चीफ एडमिरल करमबीर सिंह की उपस्थिति में नेवी में कमीशन (शामिल) मिलेगा।

INS वेला प्रोजेक्ट-75 के तहत बनी चौथी पनडुब्बी है। इन दोनों के बाद दिसंबर की शुरुआत में देश के पहले सर्वे वैसल प्रोजेक्ट के तहत बने पोत संध्यक को भी नौसेना में शामिल किया जाएगा।

INS विशाखापत्तनम भारत में बना सबसे बड़ी ड्रिस्टॉयर
नौसेना के वाइस चीफ वाइस एडमिरल सतीश एन. घोरमडे ने कहा कि INS विशाखापत्तनम के प्रोडक्शन में पूरी तरह स्वदेशी स्टील का उपयोग किया गया है। यह भारत में बना सबसे बड़ा ड्रिस्टॉयर ृहै। इसकी लंबाई 163 मीटर और इसका वजन 7400 टन से ज्यादा है। उन्होंने कहा कि समुद्र में होने वाले युद्ध में यह वॉरशिप बहुत महत्वपूर्ण है। इसके निर्माण में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 75 फीसदी स्वदेशी उपकरणों से किया गया है।

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सरफेस से हवा में निशाना लगाने में सक्षम
INS विशाखापत्तनम कई हथियारों और सेंसर से लैस है। इसमें सरफेस (सतह) टू सरफेस के अलावा सतह से हवा में निशाना लगाने की भी क्षमता है। इसके अलावा इसमें मीडियम और छोटी दूरी की बंदूकें, पनडुब्बी को रोकने में सक्षम रॉकेट भी हैं।

चीन और पाकिस्तान से निपटने में मिलेगी मदद
चीन लगातार दक्षिण चीन सागर में अपनी सैन्य क्षमता को तेजी से बढ़ रहा है। चीन कभी ताइवान के पास अपनी पनडुब्बी पहुंचा देता है तो कभी साउथ कोरिया और जापान के मछुआरों को समुद्र में डराने धमकाने लगता है।
पाकिस्तान भी अपनी नौसेना को ताकतवर बनाने की कोशिश कर रहा है।

तुर्की ने अगले साल से एसटीएम-500 पनडुब्बी का निर्माण करने की घोषणा की है। हालांकि, यह पारंपरिक पनडुब्बी से छोटी होगी, लेकिन इसे सीमा की सुरक्षा के लिए तैनात किया जा सकता है। संभावना है कि पाकिस्तान इसे तुर्की से खरीद सकता है।

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