नीति आयोग की शिक्षा मंत्रालय को सिफारिश: बच्चो! स्कूल की तैयारी करो, बस- 70% शिक्षकों और स्कूल स्टाफ को टीके की एक डोज लग जाए
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नई दिल्ली18 घंटे पहलेलेखक: पवन कुमार
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नीति आयोग ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा विभाग को सिफारिश भेजी है कि प्राथमिक स्कूल शुरू कर दिए जाएं।
- राज्य चाहें तो प्रति 10 लाख की आबादी पर रोज 10 से कम केस आने पर ही स्कूल खोलें
पिछले 20 दिनों से ज्यादा समय से देश में कोरोना संक्रमण की दर 3% से कम रिकॉर्ड की जा रही है। सिर्फ कुछ ही हिस्से हैं जहां संक्रमण की रफ्तार अभी इससे ज्यादा है। कई अध्ययनों में यह भी दावा किया जा चुका है कि छोटे बच्चों पर संक्रमण का प्रभाव बहुत कम होता है। इन्हीं बातों के आधार पर नीति आयोग ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा विभाग को सिफारिश भेजी है कि प्राथमिक स्कूल शुरू कर दिए जाएं।
हालांकि इसके लिए कुछ शर्तों का प्रावधान सुझाया गया है, ताकि स्थानीय स्तर पर संक्रमण की रफ्तार को देखते हुए निर्णय लिया जा सके। नीति आयोग की सिफारिश है कि यदि 70% स्कूल टीचर्स व अन्य स्टाफ को वैक्सीन की कम से कम एक डोज लग जाए तो स्कूल खोल देने चाहिए।
राज्य चाहें तो प्रति 10 लाख की आबादी पर रोज 10 से कम केस आने पर ही स्कूल खोलें
थोड़ी नरमी रखें तो
- यदि राज्य रियायत चाहें तो सक्रिय मरीज प्रति 10 लाख की आबादी पर रोज 100 से कम आने पर स्कूल खोलें। नए केस प्रति 10 लाख की आबादी पर रोज 20 से कम हों। संक्रमण की रफ्तार 5% से कम होनी चाहिए।
सख्ती करें तो
- राज्य सख्ती करना चाहें तो प्रति 10 लाख की आबादी पर रोज 10 से कम नए केस आने पर स्कूल खोलें।
- संक्रमण की दर व नए केसों का आकलन पिछले 14 दिनों के स्थानीय आंकड़ों पर हो।
जितने स्टाफ को टीका लगे, उसी के अनुपात में छात्र बुलाएं
कहा गया है कि स्कूल शुरू करने से पहले कम से कम 70 फीसदी शिक्षक और दूसरे कर्मियों को टीका लगा दिया जाए। यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो उन्हीं कर्मियों को स्कूल आने की इजाजत दी जाए, जिनको टीका लग चुका है और इसी अनुपात में स्टूडेंट्स को स्कूल आने की इजाजत दी जाए। साप्ताहिक तौर पर ऐसे कर्मियों का आरटी-पीसीआर की जाए जिनको वैक्सीन नहीं लग पाई है।
बच्चे को कोई गंभीर बीमारी हो तो माता-पिता की सहमति होना जरूरी
- शिक्षक, कर्मी व छात्रों के लिए मास्क अनिवार्य।
- बैठने की व्यवस्था ऐसी हो जिसमें दो स्टूडेंट्स के बीच पर्याप्त दूरी हो।
- पब्लिक एनाउंसमेंट सिस्टम होना चाहिए।
- क्या करें और क्या न करें इसका पूरा विवरण एक बोर्ड पर डिस्प्ले होना चाहिए।
- ऐसे बच्चे जिन्हें गंभीर बीमारी हो उनके माता-पिता की सहमति जरूरी है।
6 से 17 वर्ष तक के 55% से ज्यादा बच्चों में एंटीबॉडी
देशव्यापी चौथे सीरो सर्वे के मुताबिक 6 से 9 वर्ष तक के 57.2% और 10 से 17 वर्ष तक के 61.6% बच्चों में एंटीबॉडी पाई गई थी। बच्चों को टीका अभी नहीं लग रहा है। यानी इन बच्चों में एंटीबॉडी कोरोना संक्रमण की वजह से ही बनी थी। एनटैगी के प्रमुख डॉ. एन. के. अरोड़ा का कहना है कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर में देखा गया कि 10 वर्ष से कम उम्र के करीब 3% बच्चे ही ऐसे थे जिनमें कोरोना के लक्षण दिखे। इस आयु वर्ग में मृत्यु दर 0.3% ही है।
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