नहीं थमा पंजाब में कांग्रेस का घमासान: सिद्धू और अमरिंदर एक दीवार के फासले पर थे, लेकिन मुलाकात नहीं की; कैप्टन अड़े- सिद्धू माफी मांगें तो बात आगे बढ़े
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जालंधर15 घंटे पहलेलेखक: मनीष शर्मा
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पंजाब में कांग्रेस का घमासान थम नहीं रहा। कांग्रेस हाईकमान ने नवजोत सिद्धू को पंजाब में पार्टी प्रधान बना दिया। वो लगातार समर्थकों से मिल रहे हैं। वहीं, सिद्धू के आरोपों से नाराज कैप्टन अमरिंदर सिंह माफी की मांग पर अड़े हैं। पहले ये इशारों में थी लेकिन अब खुलकर कैप्टन ने सलाहकार के जरिए ही कह दी गई है।
सिद्धू से कैप्टन की नाराजगी इस कदर है कि कैप्टन ने उन्हें बधाई तक नहीं दी। प्रधान बनने के औपचारिक ऐलान के बाद सोमवार को सिद्धू और कैप्टन सिर्फ एक दीवार के फासले पर थे। कैप्टन अपने सरकारी आवास में थे तो सिद्धू इसके पीछे मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा के घर पर थे। फिर भी दोनों की मुलाकात नहीं हुई। कैप्टन वहीं बैठे रहे और सिद्धू पटियाला लौट आए।
सिद्धू सार्वजनिक माफी मांगेंगे या नहीं? इस पर वे चुप हैं। वहीं, कैप्टन ने कह दिया कि जब तक माफी नहीं, तब तक सिद्धू से मुलाकात नहीं। अब पंजाब में सबकी निगाहें इस सवाल पर हैं कि हाईकमान के आशीर्वाद के बाद पंजाब में जबरदस्त समर्थन पा रहे सिद्धू झुकेंगे या फिर अब तक पंजाब में कांग्रेस की राजनीति में दबदबा रखने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह?
रविवार रात पंजाब कांग्रेस प्रधान बनने के बाद सोमवार सुबह सिद्धू ने पटियाला गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब में माथा टेका। फिर वो काली माता मंदिर और मस्जिद भी गए।
कैप्टन पर जनता के बीच नहीं जाने के आरोप, इधर सिद्धू के ताबड़तोड़ दौरे
नवजोत सिद्धू प्रधान बनने के औपचारिक ऐलान से पहले ही मैदान में उतर गए थे। कैप्टन पर यह आरोप अक्सर लगता रहा कि वे आम लोगों से तो दूर, कांग्रेसियों तक से नहीं मिलते। इसके जवाब में सिद्धू ने ताबड़तोड़ उन सब कांग्रेसियों से मुलाकात शुरू कर दी, जो कैप्टन से नाराज थे या उनके खेमे से दूर थे। रविवार की रात जब वो लुधियाना और जालंधर में विधायकों से मुलाकात कर पटियाला लौट रहे थे तो प्रधान बनने की औपचारिक घोषणा हो गई।
सिद्धू ने अगली सुबह पटियाला स्थित गुरुद्वारा श्री दुख निवारण साहिब, काली माता मंदिर और मस्जिद में माथा टेका। अगले दिन वो सीधे चंडीगढ़ पहुंचे और निवर्तमान प्रधान सुनील जाखड़ से मिले। इसके बाद सीधे चंडीगढ़ पहुंचकर मंत्री सुखजिंदर रंधावा, कार्यकारी प्रधान कुलजीत नागरा, राजिंदर कौर भट्ठल, मंत्री रजिया सुल्ताना और विधानसभा स्पीकर राणा केपी से मुलाकात की।
सिद्धू मंगलवार को अमृतसर पहुंचे तो समर्थकों ने जबरदस्त स्वागत किया।
मुख्यमंत्री आवास के पीछे सिद्धू का शक्ति प्रदर्शन
सिद्धू ने कद्दावर मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा के घर शक्ति प्रदर्शन किया। यहीं लंच भी हुआ। यहीं सिद्धू के साथ डटे विधायक अमरिंदर राजा वड़िंग ने कहा कि कैप्टन से मुलाकात का समय मांगा है। इसके बाद सिद्धू मंगलवार को खटकड़कलां पहुंचे। फिर शहीदों को नमन कर जालंधर में जोरदार स्वागत के बाद अमृतसर चले गए। अमृतसर में भी समर्थकों ने उनका जोरदार स्वागत किया। इससे पहले वो कैप्टन के करीबी विधायक राजकुमार वेरका, इंद्रबीर सिंह बुलारिया समेत कई नेताओं से मिले।
कैप्टन फार्म हाउस से सरकारी आवास पहुंचे तो कुछ यूं विधायकों से मुलाकात हुई।
सिद्धू चंडीगढ़ में थे, तभी फार्म हाउस से सरकारी आवास पहुंचे कैप्टन
सिद्धू को प्रधान बनाने के औपचारिक ऐलान से पहले कैप्टन को मनाने पंजाब कांग्रेस इंचार्ज हरीश रावत सिसवां फार्म हाउस पहुंचे। कैप्टन ने हाईकमान का फैसला तो मान लिया, लेकिन शर्त रखी कि सिद्धू उन पर ट्वीट और इंटरव्यू में लगाए आरोपों पर माफी मांगें। सिद्धू ने माफी तो नहीं मांगी लेकिन उनके प्रधान बनने की औपचारिक घोषणा हो गई। कैप्टन खेमा भी इससे हैरान हो गया और अगली सुबह कैप्टन ने भी फार्म हाउस में ही गुजारा।
सोमवार को वो अचानक सरकारी आवास पहुंच गए। यहां उन्होंने अपने खेमे के मंत्रियों और विधायकों से मुलाकात की। शुरूआत में इसे पटियाला के विकास की मीटिंग बताया, लेकिन शाम होते ही फोटो ट्वीट कर बताया कि यह कांग्रेसी विधायकों और मंत्रियों से मुलाकात थी यानी इशारों में शक्ति प्रदर्शन था। इसके बाद कैप्टन अभी तक कुछ नहीं बोले हैं।
कैप्टन के मीडिया एडवाइजर का वो ट्वीट- जिसमें पहली बार खुलकर सिद्धू को माफी मांगने के लिए कहा गया।
पहले मंत्री ने रखी कैप्टन खेमे की राय, फिर खुद मीडिया एडवाजइर के जरिए दो-टूक
मंगलवार को कैप्टन खेमे से मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा का बयान आया कि कैप्टन से सुलह तक वो सिद्धू से मुलाकात नहीं करेंगे। यह संदेश ज्यादा असर न छोड़ सका, जितना कैप्टन खेमा चाहता था। इसके बाद देर रात कैप्टन के मीडिया एडवाजइर ने ट्वीट किया कि सिद्धू ने मिलने का समय नहीं मांगा है। सिद्धू जब तक माफी नहीं मांगते, तब तक मुलाकात नहीं होगी। कैप्टन की नाराजगी बरकरार है।
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