नशे ने बुझा दिए घरों के चिराग: लुधियाना के पीड़ित परिवार बोले, हमारे यहां दिवाली पर भी अंधकार, नशा बंद कर तोहफा दें CM चन्नी
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लुधियानाएक घंटा पहलेलेखक: दिलबाग दानिश
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नशे से मरे युवकों की फोटो के साथ उनके परिजन
दिवाली खुशियों और रोशनी का पर्व है, मगर पंजाब के गांवों-शहरों में नशे के दानव ने घरों के चिराग के बुझा दिए तो वह किस आस में आज दिए जलाएं। दीपावली पर आज उन घरों की व्यथा लेकर आ रहे हैं, जिस पर पिछली ओर मौजूदा सरकार ने पर्दा डालकर रखा हुआ है। पंजाब के इंडस्ट्रियल हब लुधियाना में कई ऐसे इलाके भी हैं, जहां नशा, बेरोजगारी और क्राइम के अलावा कुछ भी नहीं है।
नशे के कारण मरे बेटे की फोटो मोबाइल में दिखाते हुए राम कृष्ण।
इनमें से एक है पीरूबंदा मोहल्ला, यहां के निवासी राम कृष्ण हलवाई का काम करते हैं, इनका पेशा लोगों के घरों में मीठा पहुंचाना है। मगर, नशे ने इनकी जिंदगी में कड़वाहट घोल दी है। उनके 36 वर्षीय बेटे अरविंदर कुमार उर्फ सोनू इसी माह 3 अक्टूबर को मौत हो गई। वह नशे करने का आदी था और इसी के चलते उसकी मौत हो गई। वह अपने पीछे सात माह की मासूम बच्ची और पत्नी छोड़ गया। पिता ने नशे की लत छुडवाने के लिए सात से आठ लाख रुपए भी खर्च कर दिए और उसके ऊपर पांच लाख रुपए का कर्ज भी है।
पिता गुरु रविदास ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं और इलाके में चल रहे नशे के धंधे के खिलाफ आवाज उठाते हैं, नशा तस्करों ने उनके बेटे को ही नशे पर लगा दिया ताकि वह आवाज ही ना उठा सके। इस ट्रस्ट के चेयरमैर बलवीर चंद हैं। वह कहते हैं कि अकेले राम कृष्ण के घर में नशे ने घर बरबाद नहीं किया है बल्कि हर तीसरे घर में नशे से मौत हो चुकी है। यह कोई नई बात नहीं है, उनके मोहल्ले में नशा दस साल पहले आया था और आज हर एक घर में है। शायद ही कोई ऐसा घर होगा यहां पर नशे की दस्तक न दी हो।
बलवीर चंद कहते हैं कि आप इस दिवाली की बात करते हो शायद कोई दिवाली निकली हो जब यहां पर खुशियां बनाई गई हों। दिवाली के आसपास ही यहां किसी न किसी घर में मातम होता है।
पंजाब एड्स कंट्रोल सोसायटी के सेंटर से नशा करने के लिए सिरिंज लेते युवक।
सरकारी सिरिंज से रोजाना ढ़ाई सौ युवा करते हैं नशा
पंजाब सरकार की तरफ से पंजाब एड्स कंट्रोल सोसायटी एक प्रोजेक्ट चला रही है। जिसका मुख्य उदेश्य एक सिरिंज से बार बार नशे करने से होने वाली गंभीर बीमारियों जैसे काला पीलिया, एड्स से युवाओं को बचाना है। डॉ. कोटनिस एक्यूप्रेशर अस्पताल के सहयोग से शहर में तीन सेंटर चलाए जा रहे हैं। यहां से रोजाना ढ़ाई सौ के करीब युवक नशे के लिए सिरिंज लेकर जाते हैं। जिसमें कुछ संख्या युवतियों की भी है। यानि के ढ़ाई सौ नशेड़ी तो सरकारी सिरिंज से ही रोजाना नशा कर रहे हैं, जो सिविल अस्पताल, प्राइवेट मेडिकल स्टोर से सिरिंज लेकर नशा करते हैं वह अलग है।
पुलिस कमिश्नर कार्यालय तक घेरना पड़ा था परिवारों को
लुधियाना के सेंसी मोहल्ले के हालात भी कुछ ऐसे हैं। यहां पर दो साल में नौ युवकों की मौत हो चुकी है और इसी को लेकर यहां के बाशिंदों ने उक्त युवकों की फोटो लेकर पुलिस कमिश्नर कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया था। इसके कुछ ही दिन बाद उनकी ओर से मोहल्ले में मशाल मार्च भी निकाला गया था मगर इसका कोई फायदा नहीं हुआ है। यहां के निवासी राजवंत सिंह कहते हैं कि हालात बहुत ज्यादा नहीं बदले हैं। पहले कुछ समय पुलिस का पहरा रहता था मगर फिर से यहां नशा बिकने लगा है।
नशे खिलाफ जानकारी देते हुए बलवीर चंद।
मुख्यमंत्री चन्नी से अपील हमें फ्री कुछ नहीं चाहिए, नशा बंद कराओ
गुरु रविदास सेवा ट्रस्ट के चेयरमैन बलवीर चंद कहते हैं कि प्रदेश के मुख्यमंत्री एससी समाज से हैं और यही विडंबना है कि एससी समाज के ही ज्यादातर युवा नशे में फंस चुके हैं। मुख्यमंत्री गरीब तबके लिए बेहद राहत भरे काम कर रहे हैं। मगर मेरा निवेदन है कि वह दिवाली पर उन्हें तोहफा देते हुए नशे की सप्लाई बंद करवाए। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी 2017 चुनाव के दौरान गुटका साहिब की सौगंध खाई थी कि वह नशा खत्म कर देंगे। मगर नशा खत्म नहीं हुआ है। अब CM चन्नी को ही इसके लिए कुछ करना होगा।
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