नवजोत सिद्धू की नई अरदास: करतारपुर कॉरिडोर खुलवाने डेरा बाबा नानक जाएंगे; 2 साल पहले आज ही के दिन हुआ था उद्घाटन, कोरोनाकाल में बंद
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चंडीगढ़13 मिनट पहले
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दूरबीन के जरिए गुरूद्वारा करतारपुर साहिब के दर्शन करते सिद्धू, कॉरिडोर बनने से पहले सब इसी तरह दर्शन करते थे। फाइल फोटो
पंजाब कांग्रेस चीफ नवजोत सिद्धू मंगलवार को गुरदासपुर में डेरा बाबा नानक जाएंगे। जहां वह करतारपुर कॉरिडोर को फिर से खुलवाने के लिए अरदास करेंगे। सिद्धू ने खुद इसकी जानकारी दी है। हालांकि सियासी चर्चा यह भी है कि सिद्धू जल्द कोई बड़ा फैसला लेने वाले हैं। कांग्रेस सरकार के प्रति सिद्धू के बागी तेवर बरकरार हैं। बार-बार समझौते के बावजूद सिद्धू सरकार को निशाना बनाने से नहीं चूक रहे।
वहीं बता दें कि साल 2019 में आज ही के दिन यानी 9 नवंबर को करतारपुर कॉरिडोर खोला गया था। उस वक्त नवजोत सिद्धू पाकिस्तान गए थे। वहां पर सिद्धू ने पाक पीएम इमरान खान की जमकर तारीफ की थी। सिद्धू अपने पाक प्रेम के कारण अक्सर कैप्टन अमरिंदर सिंह के निशाने पर रहे हैं। अमरिंदर उन्हें एंटी-नेशनल तक कह चुके हैं।
कोरोना की वजह से बंद कॉरिडोर, CM भी उठा चुके मसला
पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब गुरूद्वारे में जाने के लिए गुरदासपुर के डेरा बाबा नानक से कॉरिडोर बना हुआ है। इसे कोरोना के चलते बंद कर दिया गया था। इसे खुलवाने को लेकर कुछ समय पहले CM चरणजीत चन्नी भी केंद्रीय गृह मंत्री और प्रधानमंत्री से मिले थे। उन्होंने इसे खोलने की मांग उठाई थी।
सीएम बनने के बाद पहली बार सीएम चन्नी ने पीएम से मुलाकात में यह मांग उठाई थी।
गुरु नानक देव से जुड़ा करतारपुर गुरुद्वारे का इतिहास
पाकिस्तान के नारोवाल जिले में रावी नदी के पास स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब का इतिहास करीब 500 साल पुराना है। मान्यता है कि 1522 में सिखों के पहले गुरु नानक देव जी ने इसकी स्थापना की थी। उन्होंने अपने जीवन के आखिरी साल यहीं बिताए थे। लाहौर से करतारपुर साहिब की दूरी 120 किलोमीटर है तो गुरदासपुर इलाके में भारतीय सीमा से यह लगभग 7 किलोमीटर दूर है।
भारत-पाक सरकारों के प्रयासों से बना था कॉरिडोर
भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने गुरदासपुर के डेरा बाबा नानक और पाकिस्तान के करतारपुर में स्थित पवित्र गुरुद्वारे को जोड़ने के लिए कॉरिडोर बनाने का फैसला लिया था। कॉरिडोर की नींव 2018 में रखी गई थी। भारत में 26 नवंबर को और पाकिस्तान में 28 नवंबर को शिलान्यास हुआ था। इसके बाद गुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव पर 9 नवंबर 2019 को इसे जनता को समर्पित कर दिया गया था।
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