नड्‌डा के गृहराज्य में भाजपा साफ: हिमाचल की मंडी लोकसभा और तीनों विधानसभा सीट पर मिली हार; ये रहे पार्टी की हार के 6 कारण

नड्‌डा के गृहराज्य में भाजपा साफ: हिमाचल की मंडी लोकसभा और तीनों विधानसभा सीट पर मिली हार; ये रहे पार्टी की हार के 6 कारण

[ad_1]

  • Hindi News
  • Local
  • Himachal
  • Shimla
  • 4 Reasons For The Defeat Of BJP In Mandi Parliamentary And All Three Assembly Seats In Himachal, Pressure Will Increase On CM Thakur

कुल्लू2 घंटे पहले

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा के गृह राज्य हिमाचल प्रदेश के उपचुनाव में हुई हार ने बीजेपी के प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व को सवालों के घेरे में ला दिया है। मंडी लोकसभा के साथ 3 विधानसभा सीटों पर हुए इस उपचुनाव को दिसंबर-2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था। इसमें कांग्रेस ने भाजपा का सफाया कर दिया है।

मंडी संसदीय सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने, जबकि विधानसभा उपचुनाव में अर्की सीट पर कांग्रेस के संजय अवस्थी, जुब्बल-कोटखाई सीट पर कांग्रेस के रोहित ठाकुर और फतेहपुर सीट पर कांग्रेस के भवानी सिंह पठानिया ने जीत दर्ज की।

हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर 4 साल से सरकार चला रहे हैं और बतौर CM उनकी कार्यशैली पर सवाल भी उठते रहे हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में पूर्व CM प्रेमकुमार धूमल के हारने के बाद जयराम ठाकुर को मुख्यमंत्री की कुर्सी जातिगत समीकरणों की वजह से मिली। खराब परफॉर्मेंस की वजह से हाईकमान उन्हें कई बार दिल्ली तलब कर चुका है।

भाजपा की हार के 6 बड़े कारण…

1. कांग्रेस में काम कर गया सहानुभूति कार्ड
8 जुलाई 2021 को पूर्व CM वीरभद्र सिंह के निधन से अर्की विधानसभा सीट खाली हुई। वीरभद्र सिंह के निधन के बाद हिमाचल में यह पहले उपचुनाव थे। ऐसे में कांग्रेस ने मंडी लोकसभा और अर्की सीट पर सहानुभूति कार्ड खेला और उसे इसका फायदा मिला। कांग्रेस ने मंडी लोकसभा सीट पर वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को ही मैदान में उतारा। अर्की पर संजय अवस्थी को सहानुभूति वोट मिले।

2. हिमाचल में भाजपा की सबसे बड़ी चिंता गुटबाजी
हिमाचल में भाजपा की सबसे बड़ी चिंता पार्टी की गुटबाजी है। यहां पूर्व CM प्रेमकुमार धूमल के गुट और नड्‌डा कैंप के बीच चल रही खींचतान से हर कोई वाकिफ है। इसी खींचतान की वजह से उपचुनाव में जुब्बल-कोटखाई से चेतन बरागटा को पार्टी टिकट नहीं मिला क्योंकि चेतन धूमल और उनके बेटे केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के करीबी हैं। बीजेपी ने बरागटा की जगह जिस महिला नेत्री नीलम सरैइक को टिकट दिया, उन्हें महज 2644 वोट मिले और उनकी जमानत तक जब्त हो गई।

इस गुटबाजी का नतीजा ये रहा कि जुब्बल-कोटखाई सीट पर भाजपा प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रही। उपचुनाव से पहले मंडी लोकसभा सीट और जुब्बल-कोटखाई विधानसभा सीट भाजपा के पास थी, वहीं अर्की और फतेहपुर विधानसभा सीटें कांग्रेस के पास थीं।

3. महंगाई का मुद्दा भाजपा पर भारी
हिमाचल प्रदेश में 2017 से भाजपा की सरकार है और वहां के लोग लगातार बढ़ती महंगाई से परेशान हैं। चुनाव प्रचार के दौरान लोगों ने इस मुद्दे पर बेबाकी से अपनी राय भी रखी। मंगलवार को चार सीटों के नतीजे आने के बाद खुद CM जयराम ठाकुर ने माना कि महंगाई ही भाजपा की हार की वजह रही।

4. सरकार से नाराजगी, यूथ नहीं आया वोट देने
भाजपा हिमाचल में 4 साल से सत्ता में है और वहां के लोगों में पार्टी के प्रति नाराजगी साफ झलकती है। इस पहाड़ी प्रदेश के लोगों का मानना है कि 4 बरसों में न तो लोगों को रोजगार मिला और न ही विकास के काम हुए। ऐसे में उन्होंने अपना गुस्सा उपचुनाव में कांग्रेस को वोट देकर निकाला।

भाजपा का वोट बैंक समझा जाने वाला यूथ इस उपचुनाव में वोट डालने ही नहीं आया। भाजपा के इस वोट बैंक की बेरुखी इसी बात से समझी जा सकती है कि मंडी संसदीय सीट पर महज 57.73% मतदान हुआ। हिमाचल में 12 महीने बाद, यानी दिसंबर 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

5. आपसी फूट भी बड़ा फैक्टर
हिमाचल में भाजपा कई गुटों में बंटी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा‌ और पूर्व सीएम प्रेमकुमार धूमल के बीच पुरानी अदावत है। किसी समय हिमाचल के सबसे ताकतवर नेता रहे धूमल ने ही CM रहते हुए नड्‌डा को हिमाचल की राजनीति से बाहर करने के मकसद से राज्यसभा भेजा, लेकिन समय ने ऐसी पलटी खाई कि नड्‌डा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए। नतीजा- आज धूमल और उनके गुट के नेता साइडलाइन हैं।

6. पुरानी अदावत भाजपा को ले डूबी
नड्डा-धूमल की इस लड़ाई की वजह से पार्टी ने जुब्बल-कोटखाई से चेतन बरागटा का टिकट काटते हुए नीलम सरैइक को उम्मीदवार बना दिया जिन्हें उपचुनाव में महज 2644 वोट मिले। भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले बरागटा ने उपचुनाव में 23662 वोट हासिल लिए और महज 6293 वोट से हार गए। अगर भाजपा आपसी खींचतान को छोड़कर जुब्बल कोटखाई से चेतन बरागटा को टिकट देती तो शायद यहां का नतीजा कुछ और रहता।

ऐसे रहे चुनाव के नतीजे…

भाजपा का सैनिक कार्ड फेल, प्रतिभा सिंह ने कारगिल वार हीरो को हराया

मंडी लोकसभा सीट पर भाजपा ने सैनिक कार्ड चलते हुए कारगिल युद्ध के हीरो रहे ब्रिगेडियर खुशहाल सिंह को मैदान में उतारा। ब्रिगेडियर खुशहाल सिंह की यूनिट 18 ग्रेनेडियर ने ही कारगिल युद्ध के दौरान सबसे मुश्किल मानी जाने वाली चोटी तोलोलिंग और टाइगर हिल पर भारतीय झंडा फहराया था। मंडी संसदीय हलके में पूर्व सैनिकों के अच्छे-खासे वोट भी हैं, मगर पार्टी की रणनीति सफल नहीं रही।

कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने रिटायर्ड ब्रिगेडियर को 8766 वोटों से हराया। प्रतिभा सिंह को कुल 3 लाख 65 हजार 650 और ब्रिगेडियर खुशहाल सिंह को 3 लाख 56 हजार 884 वोट मिले। हालांकि वोट प्रतिशत का अंतर महज 1.18% ही रहा। प्रतिभा सिंह को कुल वोटिंग का 49.23%, जबकि खुशहाल सिंह को 48.05% वोट मिला।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का गृह जिला है मंडी
जयराम ठाकुर को बदलने की चर्चाएं भी चलती रही हैं। मंडी जयराम ठाकुर का गृह जिला है और उपचुनाव में वहां हुई भाजपा की हार से CM पर दबाव बढ़ेगा। मंगलवार को चुनाव नतीजों के बाद जयराम ठाकुर ने यह कहकर कि पार्टी महंगाई की वजह से हारी, विरोधियों को केंद्र सरकार पर भी निशाना साधने का मौका दे दिया।

अर्की में सुबह से पहले नंबर पर रहे संजय अवस्थी

अर्की विधानसभा सीट पर कांग्रेस के संजय अवस्थी ने भाजपा उम्मीदवार रतन सिंह पाल को 3219 वोटों से हराया। यहां संजय अवस्थी ने सुबह 8 बजे मतगणना शुरू होने के साथ ही बढ़त बना ली और आखिर तक पहले नंबर पर बने रहे। 30 अक्टूबर को हुए मतदान में अर्की सीट पर कुल 60550 वोट पड़े थे और कांग्रेस के संजय अवस्थी को इसमें से 30798 मत मिले। दूसरे नंबर पर रहने वाले भाजपा के रतन सिंह पाल को 27579 वोट मिले। आखिरी राउंड में भाजपा प्रत्याशी को अधिक वोट मिले, मगर वह संजय अवस्थी की लीड को पार नहीं कर पाए और 3219 वोटों से हार गए।

जुब्बल-कोटखाई में भाजपा को भारी पड़ा बरागटा का टिकट काटना

​​​​​​​जुब्बल-कोटखाई सीट पर सुबह से ही मुकाबला कांग्रेस के रोहित ठाकुर और भाजपा से बागी होकर, निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले चेतन बरागटा के बीच रहा। यहां रोहित ठाकुर ने बरागटा को 6293 वोटों से हराया। उपचुनाव के दौरान जुब्बल-कोटखाई सीट पर 30 अक्टूबर को 56607 लोगों ने वोट दिया। इसमें से रोहित ठाकुर को 29955 वोट मिले।

भाजपा के पूर्व मंत्री नरेंद्र बरागटा के बेटे और निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले चेतन सिंह बरागटा दूसरे नंबर पर रहे। उन्हें 23662 मत मिले। यहां भाजपा ने चेतन बरागटा की जगह नीलम सरैइक को टिकट दिया था जो कभी भी मुकाबले में नजर नहीं आईं। सुबह से ही तीसरे नंबर पर रहीं नीलम को महज 2644 वोट मिले।

फतेहपुर में पठानिया ने ठाकुर को 5789 वोटों से हराया

फतेहपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के भवानी सिंह पठानिया और भाजपा उम्मीदवार बलदेव ठाकुर के बीच आखिरी डेढ़ घंटे से पहले तक कांटे का मुकाबला रहा और उसके बाद पठानिया ने 5789 वोट से जीत दर्ज की।30 अक्टूबर को मतदान में फतेहपुर विधानसभा सीट पर कुल 57095 लोगों ने वोट दिया था। इसमें से 24449 वोट लेकर कांग्रेस के भवानी सिंह पठानिया ने जीत दर्ज की। दूसरे नंबर पर रहे भाजपा के बलदेव ठाकुर को 18660 वोट मिले।

खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Source link

Published By:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *