दिल्ली की हवा हुई जहरीली: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दी घर से बाहर न निकलने की सलाह, अगले 2 दिन तक हालात गंभीर

दिल्ली की हवा हुई जहरीली: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दी घर से बाहर न निकलने की सलाह, अगले 2 दिन तक हालात गंभीर

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नई दिल्ली2 घंटे पहले

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दिल्ली की हवा हुई जहरीली: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दी घर से बाहर न निकलने की सलाह, अगले 2 दिन तक हालात गंभीर

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने दिल्ली में बेहद खराब हवा को देखते हुए चेतावनी जारी की है। इसमें गंभीर रोगी, बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को कम से कम अगले दो दिन घर से नहीं निकलने की सलाह दी गई है। CPCB ने शुक्रवार को हुई समीक्षा बैठक के बाद यह फैसला लिया है। बैठक में बताया गया कि 18 नवंबर तक मौसम की स्थिति पॉल्यूटेंट्स के फैलाव के लिए बेहद प्रतिकूल रहेगी।

CPCB ने कहा कि सरकारी और निजी कार्यालयों के कर्मचारियों को निजी परिवहन के उपयोग में 30% की कमी करनी चाहिए। साथ ही जिन लोगों को खांसने, नाक बहने या फिर छाती में दर्द-भारीपन की शिकायत हो रही है, उन्हें भी घर में ही आराम करना चाहिए। दिल्ली में 24 घंटे का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) शाम 4 बजे तक 471 दर्ज किया गया, जो इस मौसम में अब तक का सबसे खराब है। गुरुवार को AQI 411 था।

अगले 48 घंटे तक स्थिति गंभीर
बोर्ड ने कहा कि 48 घंटों के लिए हवा की क्वालिटी गंभीर बनी हुई है। राज्यों और स्थानीय निकायों को आपातकालीन उपायों को लागू करना चाहिए, जिसमें स्कूलों को बंद करना, निजी कारों पर ‘ऑड-ईवन’ प्रतिबंध लगाना और सभी तरह के कंस्ट्रक्शन को रोकना शामिल है।

बढ़े हुए PM2.5 स्तर के चलते फेफड़ों को नुकसान
CPCB के मुताबिक, दिल्ली की हवा में फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले PM2.5 (धूल के बेहद महीन कण) का स्तर आधी रात के करीब 300 का आंकड़ा पार कर गया। यह शाम 4 बजे 381 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था। हवा के सुरक्षित होने के लिए PM2.5 का स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होना चाहिए। फिलहाल यह सुरक्षित सीमा के 6 गुना के करीब है। PM2.5 इतना छोटा होता है कि यह फेफड़ों के कैंसर और सांस से जुड़ी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।

दिल्ली में काम करने वाली सभी प्रशासनिक एजेंसियों को CPCB ने सख्त हिदायत दी है कि वह एक्शन लेने के साथ ही नियमित तौर पर निगरानी करे। इस निगरानी की हर रिपोर्ट रोजाना बोर्ड को सौंपे। संबंधित एजेंसियों को ग्रैप (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) के मुताबिक इमरजेंसी उपायों को लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयार होना चाहिए।

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